Darbhanga : सतत विकास ही हमें सफलता के शिखर पर पहुंचाता, नई खोज के साथ उसकी उपयोगिता पर स्थिरता बहुत बड़ी बात
कुलपति सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि इस अंतर राष्ट्रीय कान्फ्रेंस का विषय बहुआयामी है। नई खोज के साथ उसकी उपयोगिता पर स्थिरता बहुत बड़ी बात होती है। शीर्ष पर पहुंच जाना एक उपलब्धि होती है लेकिन उस पर कायम रहना बहुत कठिन होता है।
जासं, दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग द्वारा इनोवेटिव रिसर्च इन लाइफ साइंस फोर सस्टेनेबल डेवलपमेंट विषय पर विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय ई. कान्फ्रेंस का आयोजन किया गया। कुलपति सुरेंद्र प्रताप सिंंह ने कहा कि इस अंतर राष्ट्रीय कान्फ्रेंस का विषय बहुआयामी है। नई खोज के साथ उसकी उपयोगिता पर स्थिरता बहुत बड़ी बात होती है। शीर्ष पर पहुंच जाना एक उपलब्धि होती है, लेकिन उस पर कायम रहना बहुत कठिन होता है। कहा कि यूनाइटेड नेशन ने चिन्हित सस्टेनेबल डेवलपमेंट के 17 बिंदुओं पर कार्य किया था और उनके रिपोर्ट पर उत्तर प्रदेश सरकार कार्य कर रही है। सतत विकास ही हमें सफलता के शिखर पर पहुंचाता है। प्रतिकुलपति प्रो. डॉली सिन्हा ने कहा कि विभाग द्वारा इस तरह के वेबिनार का आयोजन सराहनीय है। मुख्य अतिथि के रूप में संदीप विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. समीर कुमार वर्मा ने मिथिला की भौगोलिक अवस्था की चर्चा करते हुए कहा यहां प्रतिवर्ष लोगों को बाढ़ का प्रकोप झेलना पड़ता है। यहां की उपजाऊ जमीन, जलीय पौधों और जीव जंतुओं के प्रबंधन के कई आयामों पर शोध किया जा सकता है। विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. वीएस झा ने कहा कि दरभंगा में बहुत ऐसे शोध हुए हैं, जो समाज को दिशा दिखा सकती है। पद्मश्री डा. मोहन मिश्रा ने बहुत कम खर्च में यहां के जल में पाए जाने वाले विषैले आर्सेनिक से मुक्ति के उपाय बताए। कुलसचिव डा. मुश्ताक अहमद शोध के छात्रों को इस तरह के कान्फ्रेंस में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। विभागाध्यक्ष प्रो. अभय कुमार ने बताया कि कान्फ्रेंस में विदेशों से 12 वैज्ञानिक अपना शोध प्रस्तुत करेंगे। वेबिनार में विकास पदाधिकारी प्रो. केके साहू और डा. राम नरेश झा मुख्य रूप से शामिल थे।
शिक्षा हब को सजाना संवारना है शिक्षकों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती
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- डीपीटीए के नए अध्यक्ष चुने गए ई. आरई खान व सचिव बने आरके झा
दरभंगा, संस. : मिथिला की बौद्धिक राजधानी दरभंगा पहले से शिक्षा के हब के रूप में स्थापित है। लेकिन, समय के बदलते चक्र व सरकारी के अनुरूप शिक्षण पैटर्न का नया वातावरण तैयार करना यहां के शिक्षकों के समक्ष आज सबसे बड़ी चुनौती है। दरभंगा प्राइवेट टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष चुने जाने के बाद गुरुवार को इंजीनियर आरई खान ने उक्त बातें कही। उन्होंने कहा कि मिथिला की शिक्षा व्यवस्था दशकों नहीं हजारों वर्ष पुरानी है। मिथिला से ही शिक्षा की पताका फहराया गया था। इसके प्रकाश में आज सारा संसार जगमगा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस संदेश लॉकडाउन में सबसे अधिक हानि प्राइवेट शिक्षकों की हुई है प्राइवेट शिक्षकों को उनका वाजिब हक दिलाना दरभंगा प्राइवेट टीचर एसोसिएशन की प्राथमिकताओं में शामिल होगा। दरभंगा के शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ मानी जाने वाली संस्था दरभंगा प्राइवेट टीचर एसोसिएशन की बैठक में विभिन्न पदों के लिए चुनाव कराया गया। डा. नौशाद अहमद, डा. आदर्श कुमार व कमरे आलम का पर्यवेक्षण कर रहे थे। चुनाव में भौतिकी शिक्षक ई. आरई खान अध्यक्ष पद के लिए चुने गए। गणित शिक्षक आरके झा को संगठन के सचिव पद के लिए चुना गया। सर्वसम्मति से हुए इस चुनाव में राजीव ठाकुर और आरके राही को उपाध्यक्ष के पद के लिए निर्वाचित घोषित किया गया। संगठन के कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी सामूहिक रूप से ओपी राय, ई. अशोक कुमार तथा तबरेज आलम को सौंपी गई। डा. एम मनोहर और दीपक ङ्क्षसह को संगठन के उपसचिव के रूप चुना गया।
चुनाव को शांतिपूर्ण और सुचारु रूप से संपन्न करवाने में शहर के प्रसिद्ध शिक्षक एके कर्ण, एके चौधरी, अरुण कुमार, एस कुमार , पीके, एम कुमार, एमके ङ्क्षसह, एमके राय, फारूक आजम, एस के ङ्क्षसह, एन के झा समेत कई वरिष्ठ व कनीय शिक्षकों ने अहम भूमिका निभाई। चुनाव में शहर के लगभग 300 से ज्यादा शिक्षक मौजूद रहे। कोङ्क्षचग जल्द से जल्द सुचारू रूप से खुले इस बात को सरकार तथा प्रशासन तक पूरी ताकत से पहुंचने का शिक्षकों ने संकल्प लिया। सचिव आरके झा ने कहा कि दरभंगा जिला के जो कोङ्क्षचग संस्थान नही जुड़े हैं उन्हें जल्द ही इस एसोसिएशन की सदस्यता दिलाई जाएगी।