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Pashchim Champaran: वीटीआर में सूखने लगे जलस्रोत, प्यास बुझाने को भटक रहे जानवर

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) के वन्य क्षेत्र में गर्मी बढऩे के साथ ही जलस्रोत सूखने लगे हैं। त्रिवेणी कैनाल में बहुत कम पानी जंगली नदियों का जलस्तर घटा। वन्यजीवों के लिए बनाए गए दो दर्जन वाटर होल में भी पानी की कमी।

By Murari KumarEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 04:53 PM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 04:53 PM (IST)
Pashchim Champaran: वीटीआर में सूखने लगे जलस्रोत, प्यास बुझाने को भटक रहे जानवर
सूखने के कगार पर वाल्मीकिनगर स्थित त्रिवेणी कैनाल।

वाल्मीकिनगर (पश्चिम चंपारण), जासं। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) के वन्य क्षेत्र में गर्मी बढऩे के साथ ही जलस्रोत सूखने लगे हैं। त्रिवेणी कैनाल सूखने के कगार पर है। यही हाल जंगल के बीच स्थित अन्य प्राकृतिक जलस्रोतों का है। 

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वीटीआर के जंगल से करीब एक दर्जन पहाड़ी नदियां बहती हैं। इनमें  नारायणी, सोनहा, तमसा, भपसा सहित अन्य हैं। इन सभी का जलस्तर कम हो गया है। वाल्मीकिनगर में नरदेवी जंगल से सटा त्रिवेणी कैनाल भी है। यह लगभग सूख गया है। दूसरी ओर वन्यजीवों के लिए पानी की कमी न हो इसके लिए वीटीआर में कुल 24 वाटर होल (वन विभाग द्वारा बनाया गया छोटा तालाब, जिसमें बरसात का पानी जमा होता है) है। लगभग सभी सूखने लगे हैं। इससे बाघ, तेंदुआ, हिरण, खरगोश, लोमड़ी व अन्य कई वन्यजीवों के लिए पानी की समस्या खड़ी होने लगी है।  

वाल्मीकिनगर के मुखिया पन्नालाल साह बताते हैं कि जंगल के आसपास के गांवों में भी गर्मी के दिनों में पेयजल संकट उत्पन्न हो जाता है। ऐसी स्थिति अभी से बनने लगी है। वाल्मीकिनगर रेंजर महेश प्रसाद का कहना है कि जंगली जानवरों के लिए जल संकट नहीं है। दो दर्जन से अधिक वाटर होल बनाए गए हैं। अगले एक सप्ताह में सभी प्राकृतिक जलस्रोतों और वाटर होल का जायजा लिया जाएगा। स्थिति देखकर टैंकर से पानी डाला जाएगा। 

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