Bihar News : पश्चिम चंपारण में नदी की धारा मोड़ आम का बाग लगा दिए ग्रामीण
Bihar News पश्चिम चंपारण के बनकटवा के ग्रामीणों ने संकल्प से खोले समृद्धि के द्वारबाढ़ से मुक्ति के साथ 125 एकड़ रेतीली जमीन में लहलहा रहे आम के बाग गांव को बचाने के लिए ग्रामीणों ने श्रमदान से नदी की धारा मोड़ने का निर्णय लियाा
पश्चिम चंपारण, [अर्जुन जायसवाल] । ग्रामीणों ने संकल्प लिया और भपसा नदी की धारा मोड़ दी। नदी में समाई खेती की जो जमीन निकली वह रेत से पटी थी। कोई फसल नहीं हो सकती थी, इसलिए ग्रामीणों ने बागवानी का विकल्प चुना। एक किसान ने शुरुआत की। फिर तो एक-एक कर 125 एकड़ में आम के बाग लग गए। आज यह धरती 'सोना' उगल रही। इससे पश्चिम चंपारण के बगहा दो प्रखंड स्थित बनकटवा गांव की तस्वीर बदल गई है।
पहाड़ी नदी भपसा हर साल बरसात में कहर ढाती थी। कटान से महुआवा कटहरवा पंचायत के बनकटवा गांव के उजडऩे का खतरा उत्पन्न हो गया था। ग्रामीणों की गुहार न प्रशासन सुन रहा था, न ही अधिकारी ध्यान दे रहे थे। गांव को बचाने के लिए वर्ष 1981 में ग्रामीणों ने श्रमदान से नदी की धारा मोडऩे का निर्णय लिया। बांस, चचरी व रेत की बोरी से बांध और चैनल बनाकर नदी का रुख मोड़ दिया। गांव के 100 मीटर पास से बहने वाली नदी 1500 मीटर दूर बहने लगी।
भरतलाल प्रसाद बताते हैं कि नदी की धारा मुडऩे से गांव तो बचा ही, इससे करीब सवा सौ एकड़ जमीन निकल आई जो रेत से पटी थी। वहां कोई फसल नहीं हो सकती थी, इसलिए लंबे समय तक यह जमीन पड़ी रही। उन्होंने वर्ष 2006 में रेत पर दोमट मिट्टी बिछाकर बागवानी मिशन से मालदह व जर्दालु प्रजाति के 100 पौधे लगाए। छह साल बाद इन पर फल आए तो अन्य ग्रामीण भी आकॢषत हुए। आज 100 से अधिक किसान यहां 13 हजार से अधिक पौधे लगा चुके हैं। आम का अच्छा उत्पादन भी हो रहा है। पिछले साल तीन हजार टन आम हुआ था। इसकी सप्लाई पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश के अलावा नेपाल तक हुई थी। प्रति एकड़ करीब एक लाख की आमदनी हुई थी। इस बार भी पेड़ों पर खूब मंजर आए हैं। अच्छे उत्पादन की संभावना है।
15 एकड़ बढ़ा बागवानी का दायरा :
महेंद्र गुरो और राजवंशी प्रसाद बताते हैं कि गांव में 110 परिवार हैं। कोई ऐसा परिवार नहीं, जिसने बागवानी न की हो। बीते साल सुरेंद्र प्रसाद ने करीब 15 एकड़ में 1000 पौधे लगाए। जल-जीवन-हरियाली योजना से भी 2200 पौधे लगाने की योजना है। मुखिया ज्ञानू देवी कहती हैं कि कभी भपसा को बनकटवा गांव के लिए शोक कहा जाता था। आज यहां समृद्धि बरस रही। बीडीओ प्रणव कुमार गिरि का कहना है कि बनकटवा के किसानों ने सराहनीय पहल की है।