West Champaran: बंद हुई चीनी मिल तो किसानों ने छोड़ दी गन्ने की खेती, वैकल्पित खेती की कर रहे तलाश
West Champaran News गन्ने की खेती के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले पश्चिम चंपारण के किसानों को उस समय एक बहुत बड़ा झटका लगा जब चनपटिया चीनी मिल बंद हो गई। परंपरागत खेती से जुड़े अधिकांश किसान वैकल्पित खेती की कर रहे तलाश।
पश्चिम चंपारण [शशि कुमार मिश्र]। गन्ने की खेती के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले पश्चिम चंपारण के किसानों को उस समय एक बहुत बड़ा झटका लगा, जब चनपटिया चीनी मिल बंद हो गई। इस चीनी मिल के बंद होने से 103 गांवों से जुड़े अधिकांश किसान प्रभावित हो गए। हालांकि विभाग ने इन गांवों से जुड़े किसानों को बगल के चीनी मिलों से टैग कर दिया, लेकिन चालाल मिलने में समस्या एवं ढ़ुलाई खर्च बढ़ जाने से ऐसे किसान गन्ने की खेती छोड़ दी। नकदी फसल गन्ने की जगह उन्हें धान, गेहूुं, दलहन, मक्का आदि को ही विकल्प के रूप में अपनाना पड़ा।
दूसरी नकदी फसल के रूप में उन्हें अब भी विकल्प की तलाश है। बरवाचाप गांव के किसान विजय चौबे के अनुसार चनपटिया चीनी मिल बंद होने के कुछ वर्ष बाद तक वे गन्ने की खेती करते रहे, लेकिन चलान में परेशानी, ढुलाई खर्च ज्यादा पड़ने व गन्ने मूल्य का मिल प्रबंधन द्वारा समय पर भुगतान नहीं किए जाने के कारण उन्हें गन्ने की खेती छोड़ देनी पड़ी। जैतिया के विक्रम यादव के अनुसार ढ़ुलाई खर्च बढ़ जाने एवं गन्ने मूल्य के भुगतान में विलंब के कारण अब गन्ने की खेती करना उनके लिए मुफीद नहीं है।
गन्ने के विकल्प की तलाश में इस क्षेत्र के अधिकांश किसान
गन्ने की आपूर्ति चीनी मिल में कर एवं उससे प्राप्त मूल्य से किसान अपना परिवार चलाने के साथ-साथ अन्य मांगलिक कार्य किया करते थे। उन्हें गन्ने का एक मुश्त भुगतान मिलता था और इस राशि से उनके महत्वपूर्ण काम भी हो जाते थे। ऐसे में उन्हें गन्ने की फसल के विकल्प के रूप में अन्य नकदी फसल की आज भी तलाश है। चनपटिया प्रखंड के बड़हरवा गांव के मुरारी झा बताते हैं कि गन्ने की जगह उन्हें अब भी कोई नकदी फसल की तलाश है। बरहाल वे धान, गेहूं, अरहर आदि की परंपरागत खेती ही करते हैं। इसी प्रखंड के ओरैया गांव के नवीन कुमार ने बताया कि गन्ने की खेती की जगह अन्य फसलों की तलाश है।
चीनी मिल बंद होने से बेरोजगार हो गए एक हजार कर्मी
चनपटिया चीनी मिल के बंद हो जाने के बाद एक हजार कर्मी बेरोजगार हो गए। उनके समक्ष भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई। इसके में दो दर्जन कर्मी तो दवा दारू के अभाव में असमय काल के गाल में समा गए।