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Makar Sankranti 2021: पर्व को लेकर स्नान के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, दही-चूड़ा खाने-खिलाने का क्रम जारी

Makar Sankranti 2021 Muzaffarpur Celebration सुबह से ही स्‍नान करने के बाद लोग कर रहे दान। आज के द‍िन दूध दही के साथ चूड़ा एवं तिल गुड मिलाकर भोजन करने का है खास महत्‍व। वैज्ञान‍िक दृष्‍ट‍ि से भी यह इस मौसम के श्रेष्‍ठ माना जाता है।

By Ajit kumarEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 01:21 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 02:11 PM (IST)
Makar Sankranti 2021: पर्व को लेकर स्नान के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, दही-चूड़ा खाने-खिलाने का क्रम जारी
मुजफ्फरपुर के गरीब स्‍थान मंद‍िर में भक्‍तों ने दान भी क‍िए। फोटो: जागरण

मुजफ्फरपुर/पूर्वी चंपारण, जासं। मकर संक्रांति त्योहार को लेकर गुरुवार को बूढ़ी गंडक के विभिन्न घाटों पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई। इसके बाद भगवान भास्कर को जल अर्पित कर दान दिया। सुबह से ही सिकन्दरपुर सीढ़ी घाट, अखड़ाघाट समेत अन्य घाटों पर पुलिस व स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती की गई है। इसके साथ ही खरमास भी समाप्त हो गया। गुरुवार को स्नान-दान करना पुण्य फलदायक मकर-संक्रांति का मान पूरे दिन है। मान्यता है कि इस त्योहार पर सूर्यदेव अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए आते हैं। सूर्य और शनि का संबंध इस पर्व से होने के कारण यह त्योहार और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। नए अन्न, कम्बल, तिल, घी आदि का दान करना अति शुभ है। रात में भोजन में नए अन्न की खिचड़ी बनाने की परम्परा है। इस दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में चलते हैं, इसे ही सूर्य की मकर संक्रांति कहा जाता है। 

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मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़

मकर सक्रांति पर्व को लेकर शहर के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ है। मुजफ्फरपुर में लोग गरीब स्‍थान मंद‍िर में जलाभ‍िषेक कर रहे हैं। वहीं दाने भी कर रहे। वहीं पूर्वी चंपारण के रक्‍सौल में सुबह से ही शहर के तुमड़िया टोला स्थित त्रिमूर्ति शिव मंदिर, भकुआ ब्रह्मस्थान शिव मंदिर का मुख्य द्वार खोल दिया गया है। कोरोना संक्रमण को लेकर लोग काफी सतर्क दिखे। सुबह से ही विभिन्न मंदिरों में श्रद्धालु कतार मेंं खड़ा होकर अपनी बारी का इंतजार में थे। मंदिर में श्रद्धालु पूजा अर्चना एवं दर्शन कर रहे हैं।

स्नान और दान का महत्व 

माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही भागीरथ के आग्रह और तप से प्रभाव‍ित होकर गंगा उनके पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम पहुंची थीं और वहां से होते हुए वह समुद्र में जा म‍िली थीं. इसी दिन राजा भागीरथ ने गंगा के पावन जल से अपने पूर्वजों का तर्पण किया था। इसलिए मकर संक्रांति के दिन गंगा में स्नान करना काफी फलदायी माना गया है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान से सभी पाप मिट जाते हैं।


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