समस्तीपुर के इस कलाकार को प्रकृति ने नहीं बख्शी रंगों को पहचानने की क्षमता, अभ्यास के बल पर मूर्तियों को कर देते जीवंत
कलर ब्लाइंडनेस के शिकार समस्तीपुर के कुंदन मूर्तिकला व चित्रकला में पारंगत हैं। ये मूर्तियों में हर्बल और इको फ्रेंडली रंग भरते हैं। इन्हें अब तक कई सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।
समस्तीपुर, [प्रकाश कुमार]। ये कलर ब्लाइंड हैं। रंगों की पहचान नहींं कर पाते। पर, हुनर ऐसा कि रंगों से मूर्तियों को जीवंत कर दें। रंग भी हर्बल और इको फ्रेंडली। ये हैं समस्तीपुर शहर स्थित मगरदही इलाके के कुंदन कुमार राय। इन्हेंं कई पुरस्कार मिल चुके हैं।
नागपुर की चित्रकला प्रतियोगिता टर्निंग प्वाइंट
बचपन से ही पेंटिंग में रुचि रखने वाले 35 वर्षीय कुंदन की राह में कलर ब्लाइंडनेस बड़ी बाधा थी। गुलाबी, हरा, लाल, भूरा, कत्थई, नीला रंग पहचानने में मुश्किल होती थी। समस्तीपुर से स्नातक के बाद एमबीए करने नागपुर पहुंचे। वहां शिक्षक के कहने पर चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लिया। डर सता रहा था कि रंग कैसे भरेंगे। उनकी बहन ने डिब्बे से पढ़कर रंग भरने की बात कही। यह आइडिया क्लिक कर गया। ऐसा करने के बाद उन्होंने पेंटिंग बनाई। यह उनके कॅरियर का टर्निंग प्वाइंट था। इसके बाद हॉबी को रंग देना शुरू किया।
इको फ्रेंडली मूर्तियों के लिए अभियान
इसी दौरान नागपुर में ही 300 साल पुरानी काली मंदिर में पेंटिंग का काम मिला। मंदिर की मूर्तियों में रंग भर उसे नवजीवन दिया। इसके बाद वे ईको फ्रेंडली मूर्तियां बनाने लगे। इसके लिए अभियान भी चलाया। कुंदन नदियों, सरोवरों और तालाबों को प्रदूषित होने से बचाने के लिए मिट्टी की मूर्तियां बनाने का संदेश दे रहे। केमिकल की जगह हर्बल कलर भरते हैं।
कोरोना पर जागरूक करने को बनाई पेंटिंग्स
कभी कोरोना का संहार करते प्रभु श्रीराम तो कभी देश को बचाने के लिए दृढ़ संकल्पित प्रधानमंत्री मोदी। लॉकडाउन अवधि के हर दौर को मधुबनी पेंटिंग से कुछ इसी तरह कुंदन ने सजाया। कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए अलग-अलग पेंटिंग बनाई। पहली बार 22 मार्च को जनता कफ्र्यू पर पेंटिंग बनाई। पेंटिंग से बताया कि संयम, संकल्प, साहस और शारीरिक दूरी बनाकर ही कोरोना का नाश किया जा सकता है। पहले लॉकडाउन की अवधि में थाली पीटने और दीपक या मोमबत्ती जलाने की पेंटिंग बनाई। प्रधानमंत्री के साथ खड़े लोग विपदा की घड़ी में एकता का संदेश दे रहे थे। रामनवमी के मौके पर कोरोना का संहार करते प्रभु श्रीराम की पेंटिंग बनाई। लॉकडाउन में विश्व पृथ्वी दिवस पर उन्होंने पेंटिंग से पर्यावरण बचाने का संदेश दिया। पृथ्वी को निगल रहे कोरोना की पेंटिंग बनाकर प्राकृतिक संपदा के बचाव की सीख दी। इसके अलावा कई अन्य पेंटिंग बनाई।
कई सम्मान अबतक प्राप्त
इन्होंने पद्मभूषण शारदा सिन्हा के गीतों को भी कलाकृतियों में ढाल 2017 में उन्हेंं भेंट की। कुंदन को भारत लीडरशिप अवार्ड, बिहार गौरव सम्मान, समस्तीपुर रत्न, पर्यावरण योद्धा सम्मान 2018, भारतश्री 2018, यूथ आइकॉन अवार्ड-2018, विजनरी ऑफ इंडिया अवार्ड-2018, ओरेटर ऑफ द मंथ व यंग इंडिया चेंजमेकर पिपुल्स च्वाइस अवार्ड समेत अन्य सम्मान मिल चुके हैं। इसी साल कलाम बिहार यूथ लीडरशिप कॉन्फ्रेंस में इंटरनेशनल स्पीकर के रूप में भाग लिया। कुंदन कहते हैं कि उनकी चाह है कि समस्तीपुर में कला के विकास के लिए एक संस्थान की शुरुआत करें।
गण्यमान्य लोगों ने की काम की सराहना
कुंदन की कला से काफी प्रभावित प्रख्यात लोक गायिका पद्मभूषण शारदा सिन्हा कहतीं हैं कि कुंदन कला के क्षेत्र में मिसाल साबित होंगे। शिक्षाविद डॉक्टर संजय सी रघहटाटे, अविनाश राय व गुंजन मेहता कहते हैं कि कुंदन मूर्तिकला व मिथिला पेंटिंग से लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे। जिला उद्योग केंद्र के प्रमुख अलख कुमार सिन्हा कहते हैं कि वे दूसरों को भी प्रेरणा दे रहे।