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सड़क जर्जर, लोग गिर रहे पल-पल

तीन साल से स्मार्ट सिटी में रहने का सपना संजोए शहरवासियों को जर्जर सड़कों पर ठोकर खाकर अस्पताल की राह लेनी पड़ रही है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 02:27 AM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 02:27 AM (IST)
सड़क जर्जर, लोग गिर रहे पल-पल
सड़क जर्जर, लोग गिर रहे पल-पल

मुजफ्फरपुर। तीन साल से स्मार्ट सिटी में रहने का सपना संजोए शहरवासियों को जर्जर सड़कों पर ठोकर खाकर अस्पताल की राह लेनी पड़ रही है। शहर की सभी प्रमुख सड़कों का हाल यह है कि सावधानी हटी और उसी पल गिरकर चोटिल होना तय है। जवाहर लाल रोड, क्लब रोड, मोतीझील, स्टेशन रोड, बीबी कॉलेजिएट रोड, गोला बांध रोड समेत कई ऐसी सड़कें हैं जहां से होकर गुजरना किसी सजा से कम नहीं। बरसात होने पर इन जर्जर सड़कों पर जलजमाव जानलेवा हो जाता है। इनके निर्माण की आस लगाए लोग लंबे समय से हिचकोले खा रहे हैं। जनप्रतिनिधि हों या अधिकारी, एक दशक से शहर व सड़कों की सूरत बदलने का सिर्फ दावा कर रहे हैं। हकीकत इनके विपरीत है। सड़क टूटने का किया जाता इंतजार

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जब तक सड़क पूरी तरह से टूटेगी नहीं, निर्माण के लिए निविदा कैसे निकलेगी। पूरी सड़क के निर्माण की निविदा होने पर ही कमीशन का खेल हो पाएगा। जी हां, बस कमीशन के इस खेल से सड़क पर हुए छोटे-छोटे गढ्डों की मरम्मत नहीं की जाती है। जबकि, उन्हें ठीक करा दिया जाए तो सड़कें वर्षो चलेंगी। सड़क को पूरी तरह से टूटने के लिए छोड़ दिया जाता है, ताकि लोगों को परेशानी हो और वे इसके निर्माण को लेकर सड़क पर उतरें। सरकार को सड़क निर्माण की योजना बनानी पड़े। इस खेल में नेता, अधिकारी और संवेदक सभी शामिल हैं। मरम्मत के नाम पर गड्ढे में भर दिया जाता कूड़ा-कचरा

जब भी लोग सड़क के टूटने की शिकायत करते हैं तो गड्ढों में कूड़ा-कचरा भर दिया जाता है। नहीं तो सीधे रोड़ा-पत्थर डालकर छोड़ दिया जाता है। ये जर्जर सड़कों से ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं। कागजों पर रखरखाव, जमा राशि का बंदरबाट

पीसीसी हो या अलकतरा वाली सड़कें, संवेदक को पांच साल की गारंटी देने के साथ-साथ उसका रखरखाव का जिम्मा भी लेना पड़ता है। इसके लिए संवेदक द्वारा अग्रधन व जमानत के तौर पर जमा राशि से 10 फीसद की कटौती कर उसे रखरखाव मद से संबंधित विभाग रख लेता है। रखरखाव की निर्धारित अवधि समाप्त होने के बाद ही जमा राशि लौटाई जाती है। लेकिन, संवेदक टूटी सड़क की मरम्मत नहीं करता।

महापौर सुरेश कुमार ने कहा कि शहर की मुख्य सड़कें पथ निर्माण विभाग के अधीन हैं। विभाग को पत्र लिखकर उन सड़कों के निर्माण के लिए कहेंगे। निगम के अधीन सड़कों की मरम्मत के लिए अधिकारियों से बात करेंगे।


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