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Ram Mandir Bhumi Pujan: सीतामढ़ी के पंथपाकड़ में जबरदस्त उल्लास, मनेगा दीपोत्सव

Ayodhya Ram Mandirविवाह के बाद अयोध्या जाते समय पंथपाकड़ में ही रुकी थी मां सीता की डोली। यहां अखंड रामायण पाठ भजन-कीर्तन और दीपोत्सव मनाया जाएगा।

By Murari KumarEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 11:43 AM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 11:43 AM (IST)
Ram Mandir Bhumi Pujan: सीतामढ़ी के पंथपाकड़ में जबरदस्त उल्लास, मनेगा दीपोत्सव
Ram Mandir Bhumi Pujan: सीतामढ़ी के पंथपाकड़ में जबरदस्त उल्लास, मनेगा दीपोत्सव

सीतामढ़ी [अवध बिहारी उपाध्याय]। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर पंथपाकड़ में जबरदस्त उल्लास है। विवाह के बाद अयोध्या जाते समय बथनाहा प्रखंड के पंथपाकड़ में ही मां जानकी की डोली रुकी थी। यहां के सीता मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया-संवारा जा रहा। अखंड रामायण पाठ, भजन-कीर्तन और दीपोत्सव मनाया जाएगा।

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प्रभु और मां जानकी के भक्त कहते हैं कि कोरोना के कारण अयोध्या नहीं पहुंच पा रहे, लेकिन यहीं श्रीराम की भक्ति करेंगे। तामझाम नहीं होगा, सारे आयोजन सादगी के साथ पूरे होंगे।

वर्षों से चल रहा इंतजार खत्म होने से घर-घर उत्साह

मंदिर के पुजारी दिलीप शाही बताते हैं कि मंदिर निर्माण में भूमि पूजन को लेकर साधु-संत समेत आम लोगों में उमंग है। लोगों से आग्रह किया जा रहा है कि बुधवार को अपने-अपने घरों में दीये जरूर जलाएं। यह मौका होली-दिवाली की ही तरह है। वर्षों से चल रहा इंतजार खत्म होने जा रहा है।

माता सीता के दातून के कूचे ने ले लिया पाकड़ का रूप

वैदेही वल्लभ निकुंज मंदिर के महंत आचार्य सुमन झा ने बताया कि सीतामढ़ी से मात्र आठ किलोमीटर की दूरी पर पंथपाकड़ गांव स्थित है। राम-सीता विवाह के बाद अयोध्या जाते समय मां जानकी की डोली यहीं रुकी थी। इसी स्थान पर पाकड़ के पेड़ के नीचे सीता जी ने रात्रि विश्राम किया था। यहां से जनकपुर बारह कोस (लगभग 38 किलोमीटर) की दूरी पर स्थित है।

 लोककथाओं के अनुसार, मां जानकी ने प्रात: पाकड़ की टहनी से दातून किए थे। दातून के कूचे ने विशाल पाकड़ के पेड़ का रूप ले लिया है, जबकि कुल्ले का पानी सरोवर हो गया। इसी स्थल पर भगवान श्रीराम का महर्षि परशुराम से संवाद होने का भी जिक्र है। यहां भव्य मंदिर, माता सीता की पिंडी, पाकड़ के पेड़ और सरोवर न केवल धार्मिक आस्था, बल्कि शोध का भी विषय हैं। जो श्रद्धालु सीतामढ़ी और जनकपुर में मत्था टेकते हैं, वे पंथपाकड़ जरूर आते हैं।


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