आर्सेनिक प्रभावित जल के विकल्प की तलाश शुरू, वैज्ञानिकों ने लिया जायजा Samastipur News
पटोरी में इंग्लैंड व भाभा रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों ने लिया जायजा। कैंसर के विशेषज्ञों ने भी किया प्रभावित क्षेत्रों का दौरा।
समस्तीपुर, जेएनएन। इंग्लैंड व भारत के शीर्ष वैज्ञानिकों के साथ चिकित्सकों की टीम ने आर्सेनिक जनित बीमारियों से निपटने और इससे प्रभावित जल के विकल्प की तलाश शुरू कर दी है। इसके मद्देनजर गुरुवार को पटोरी प्रखंड स्थित गंगा के तटीय क्षेत्रों का भ्रमण किया। इस दौरान कैंसर के चिकित्सक और कई बीमारियों के विशेषज्ञों ने शोध भी किया। पटोरी प्रखंड क्षेत्र के हरपुर सैदाबाद में शीर्ष वैज्ञानिकों की टीम ने लोगों से परामर्श किया। विशेषज्ञों ने चापाकलों से निकलने वाले आर्सेनिक के अध्ययन के लिए पानी का नमूना लिया। इसके अलावा घर में बने भोजन, कच्ची सब्जी, लोगों के बाल और रक्त का नमूना भी लिया। जल की गुणवत्ता के परीक्षण और आर्सेनिक के दुष्प्रभाव के अध्ययन की भी शुरुआत की गई।
टीम ने मोहिउद्दीननगर प्रखंड के हरैल गांव में एक परिचर्चा आयोजित की। टीम में इंग्लैंड के विशेषज्ञ वैज्ञानिक डॉ. डेविड पोलिया, मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के डॉ. सुशील तिवारी, भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर मुंबई की वैज्ञानिक डॉ. सुमित्रा कर, महावीर कैंसर संस्थान के चिकित्सक डॉ. रंजीत कुमार, डॉ अरुण कुमार आदि थे। टीम को स्थानीय लोगों और पंचायत प्रतिनिधियों ने प्रदूषण की मौजूदा स्थिति से अवगत कराया।
जांच टीम में आगा खां ग्राम समर्थन कार्यक्रम के सदस्यों ने भी हिस्सा लिया। इसके अलावा एसडीओ मोहम्मद शफीक, बीडीओ नवकंज कुमार, ग्राम समर्थन कार्यक्रम के उमेश देसाई, जयप्रकाश ङ्क्षसह, जितेंद्र कुमार, मोहम्मद आबिद, आदर्श कुमार, मुखिया अवधेश कुमार राय भी थे।
45 पंचायतों में समस्या गंभीर
पटोरी अनुमंडल के तीन प्रखंडों और विद्यापतिनगर की कुल 45 पंचायतों में आर्सेनिकयुक्त पेयजल की समस्या गंभीर बनी है। पूर्व में भी चापाकल के पानी की जांच कराई गई थी। आर्सेनिक होने के कारण चापाकलों को चिह्नित कर दिया गया था। मगर वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई थी। नतीजा, लोग प्रदूषित जल को पीकर आर्सेनिकोसिस नामक बीमारी के शिकार हुए। इससे अब तक पटोरी प्रखंड में कई लोगों की जानें जा चुकी हैं। अब भी कई लोग बीमार हैं।