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हर साल बारिश के पानी में 'डूब' जाता जलनिकासी का वादा Muzaffarpur News

दो दशक से जलजमाव की पीड़ा झेल रहे शहरवासी। सवालों के घेरे में नगर निगम। सालोंभर सोता रहता है नगर निगम। जलजमाव होने पर खुलती है नींद। जमीन पर नहीं उतर रहीं योजनाएं।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 14 Jul 2019 03:27 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jul 2019 03:27 PM (IST)
हर साल बारिश के पानी में 'डूब' जाता जलनिकासी का वादा Muzaffarpur News
हर साल बारिश के पानी में 'डूब' जाता जलनिकासी का वादा Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बारिश के पानी में शहर फिर तैरता नजर आ रहा है। कई कॉलोनियों व गलियों में कमर तक पानी। शहरवासियों को जलजमाव की पीड़ा झेलनी पड़ रही। ऐसा पहली बार नहीं हुआ। इस पीड़ा को वे पिछले दो दशक से झेलते आ रहे हैं। हां, इस पीड़ा से मुक्ति दिलाने का वादा मुख्यमंत्री से लेकर महापौर और प्रधान सचिव से लेकर नगर आयुक्त तक ने जरूर किया। लेकिन, इस सालाना पीड़ा से लोगों को मुक्ति नहीं मिली।

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  हर बार की तरह इस बार भी समस्या के स्थायी समाधान का वादा बारिश के पानी में 'डूब' गया। शहर को इस समस्या से निजात दिलाने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। लेकिन, निगम के जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों का हाल यह कि वे सालोंभर सोते हैं और जब चारों ओर बारिश का पानी जमा हो जाता है, तब उनकी नींद खुलती है।

काम नहीं आई मुख्यमंत्री की पहल

शहरवासियों को जलजमाव से मुक्ति दिलाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल भी काम नहीं आई। वर्ष 2011 में सेवा यात्रा के दौरान नीतीश कुमार ने शहर की सबसे बड़ी समस्या पर स्थानीय विधायक एवं उच्चाधिकारियों साथ परिसदन में बैठक कर डीपीआर बनाने का निर्देश दिया था। निर्देश को आठ साल बीत गए लेकिन योजना जमीन पर नहीं उतर पाई। 

शहरवासियों को है मास्टर नाले का इंतजार

शहरवासियों को जलजमाव से मुक्ति को मास्टर नाले का इंतजार है। पिछले दो वर्षों से मास्टर नाले के निर्माण की बात चल रही है, लेकिन वह जमीन पर कब उतरेगी, सवालों के घेरे में है। एक साल पूर्व केंद्र सरकार ने शहर की जलनिकासी योजना को 99.90 करोड़ की योजना को स्वीकृति देते हुए राशि उपलब्ध करा दी थी। बाद में फिर से योजना बनाई गई और राशि बढ़ाकर 183 करोड़ कर दी। टेंडर के बाद एजेंसी भी तय हो गई। पांच माह पूर्व नगर विकास मंत्री ने योजना का शिलान्यास भी कर दिया पर काम शुरू नहीं हुआ।

नाला उड़ाही के नाम पर खाली होता खजाना

हरिसभा चौक के रहले वाले दिनेश मिश्रा ने कहा कि शहरवासी जलजमाव से त्रस्त हैं। लेकिन, इसकी परवाह शासन-प्रशासन को नहीं है। समस्या का स्थायी समाधान नहीं किया जा रहा। हां, नाला उड़ाही के नाम पर हर साल निगम का खजाना जरूर खाली किया जाता है। ब्रह्मपुरा के मनोज कुमार ने कहा कि हर साल कहा जाता है कि अगले साल से परेशानी नहीं होगी, लेकिन निगम का अगला साल कब आएगा पता नहीं। जनप्रतिनिधि व अधिकारी स्मार्ट सिटी की बात करते हैं, लेकिन जलजमाव से मुक्ति नहीं दिला पा रहे।

मंत्री ने कहा-शहरवासियों को जल्द मिलेगी जलजमाव की पीड़ा से मुक्ति

नगर विकास एवं आवास विभाग मंत्री सुरेश कुमार शर्मा ने कहा कि शहरवासियों को जल्द ही जलजमाव की पीड़ा से मुक्ति मिलेगी। 183 करोड़ की जलनिकासी योजना जमीन पर उतरने को तैयार है। इसके तहत 22.5 किमी बड़ा नाला, 21 कल्वर्ट एवं तीन एसटीपी का निर्माण होगा। मेसर्स खिलाड़ी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रालि व अन्नू इन्फ्रा कंस्ट्रक्ट इंडिया प्रालि जेवी को काम का जिम्मा सौंपा गया है।

  मेयर सुरेश कुमार ने कहा कि समस्या के स्थायी निदान को सजग हैं। जल निकासी योजना पर काम शुरू होने वाला है। लोगों को समस्या से निजात दिलाने को निगम के अधिकारी एवं कर्मचारी लगे हुए हैं। योजना पर जल्द काम हो, इसके लिए बुडको पर दबाव बनाया जा रहा है। अपर नगर आयुक्त विशाल आनंद ने कहा कि शहर की सभी छोटी-बड़ी नालियों की उड़ाही बरसात पूर्व करा ली गई थी। इसी का परिणाम है कि बारिश के बाद पानी लगने पर घंटा-दो घंटा में पानी निकल जाता है। जलनिकासी योजना बुडको के जिम्मे है।

समस्या समाधान को करने होंगे निम्न उपाय

नगर निगम के सेवानिवृत्त अभियंता उदय शंकर प्रसाद सिंह के अनुसार, जलजमाव से मुक्ति के लिए कई बातों पर ध्यान देना होगा। इनमें जलनिकासी के लिए पहले डीपीआर या मास्टर प्लान का निर्माण करना होगा। मास्टर प्लान के आधार पर छोटी-बड़ी नालियों का निर्माण करना होगा। निर्माण का जिम्मा किसी एक एजेंसी को देना चाहिए। नाला निर्माण के दौरान ले आउट का ख्याल रखना चाहिए। खुले नालों की जगह बंद नालों का निर्माण करना होगा। फरदो नाला के जीर्णोद्वार का उपाय किया जाना चाहिए। नालियों की उड़ाही जड़ से की जाए। नाला उड़ाही में आधुनिक उपकरणों का प्रयोग किया जाए।


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