पढ़ने की आदत में आए बदलाव के बीच उम्मीद जगाती ये लाईब्रेरी Muzaffarpur News
विवि के इतिहास विभाग में लाइब्रेरी से छात्रों का जुड़ाव। इस लाइब्रेरी ने स्टूडेंट्स को एक नया ऑप्शन दे दिया है जिससे कि वे शांत माहौल में घंटों पढ़ाई कर सकते हैं।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। रीडिंग हैबिट में आए बदलाव और इंटरनेट व डिजिटल मीडिया के क्रेज के आगे लाइब्रेरी का स्कोप सिकुड़ रहा है मगर इस लाइब्रेरी को देखकर तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता। यह है बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की लाईब्रेरी। इस लाइब्रेरी ने स्टूडेंट्स को एक नया ऑप्शन दे दिया है, जिससे कि वे शांत माहौल में घंटों पढ़ाई कर सकते हैं। साथ ही यहां उन्हें कई फैसिलिटीज भी मिल जाती है। बड़ी तादाद में स्टूडेंट्स यहां जाना पसंद करते हैं, ताकि उन्हें शोर-शराबे से अलग और सुविधाओं के साथ स्टडी करने का मौका मिल सके।
ये सब संभव हो पाया है विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पंकज कुमार राय जैसे वहां के शिक्षकों की बदौलत। एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राय लाईब्रेरी में विद्यार्थियों से घिरे हुए थे। छात्र-छात्राएं उनसे अपने-अपने टॉपिक पर सवाल करते और एक-एक कर वे जवाब देते। विभाग के एक कोने में एक छोटी लाइब्रेरी मगर समृद्ध लाईब्रेरी है। जिसमें कुछ खाने बने हुए हैं और पढऩे का एक हिस्सा है। मेज व कुर्सियां भी लगी हुई हैं। कंप्यूटर भी रखा है। छात्र-छात्राओं के पहुंचने से अब वह कमरा छोटा पडऩे लगा है।
सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं, इंसानियत का पाठ भी
यहां आकर पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों का कहना है कि यहां सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं बल्कि, इंसानियत-मानवता का पाठ भी पढऩे का मौका मिलता है। छात्रों के लिए घर पर रहकर पढ़ाई करने से ज्यादा मन यहां लगता है। ऋचा राज, तृषा सिंह, शालिनी शांडिल्य, रितु कुमारी ने कहा कि यहां आकर डॉ. पीके राय सर से कोर्स के अलावा लाइब्रेरी की दुर्लभ पुस्तकों का ज्ञान भी सहज उपलब्ध हो जाता है।
प्रभावी ढंग से पढऩे का मतलब कम से कम वक्त में ज्यादा से ज्यादा इफेक्टिव स्टडी सेशन, और आखिर में बेहतर ग्रेड्स पाना होता है। सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले कई दूसरे कैंडिडेट्स भी इस लाइब्रेरी में आकर ग्रुप स्टडी करते हैं। ज्यादातर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। हम पूरी कोशिश करते हैं कि उन्हें सारी सुविधाएं मिल जाएं।
सबने मिलकर बनाया समृद्ध
इस लाइब्रेरी को समृद्ध व छात्र-छात्राओं को उपयोगी बनाने के लिए विभागाध्यक्ष डॉ. विवेकानंद शुक्ला व पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. अर्पणा कुमारी का काफी योगदान रहा है। इनकी टीम की मेहनत व तत्परता के कारण मास्टर डिग्री हासिल कर रहे छात्र-छात्राएं यहां लगातार स्टडी करते और अपने विषय-वस्तु से संबंधित पुस्तकें देखते-तलाशते मिल जाते हैं।
डॉ. राय ने कहा कि जब क्लास नहीं रहती तब विभाग में खाली बैठने की बजाए लाइब्रेरी में पुस्तकों और बच्चों के साथ बैठना अच्छा लगता है। इससे दोनों का अभ्यास हो जाता है। बहरहाल, अगर आप पढऩे के शौकीन हैं और किताबों के सेलेक्शन को लेकर चुनिंदा, तो ये चीज आपको यहां आसानी से मिल जाती है।