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राजस्व जलकरों के माध्यम से जिले में बनी जल संरक्षण की मेगा योजना West champaran News

प्रत्येक अंचल में 10-10 तालाबों का होगा जीर्णोद्धार। डीएम ने जिला मत्स्य पालन पदाधिकारी को दिया निर्देश। सरकारी जलकरों को विकसित करने की दिशा में काम शुरू हो गया है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Fri, 05 Jul 2019 09:22 AM (IST)Updated: Fri, 05 Jul 2019 09:22 AM (IST)
राजस्व जलकरों के माध्यम से जिले में बनी जल संरक्षण की मेगा योजना West champaran News
राजस्व जलकरों के माध्यम से जिले में बनी जल संरक्षण की मेगा योजना West champaran News

पश्चिम चंपारण, जेएनएन। जल स्रोतों में हो रहे ह्रास एवं भू जल स्तर में गिरावट जीव जगत के लिए बहुत बड़ी समस्या बन गई है। यह विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय बन गया है। बढ़ती जनसंख्या एवं प्राकृतिक संसाधनों के निरंतर दोहन से यह समस्या बलवती हो रही है, लेकिन इससे निजात पाने के लिए अभी से ही कारगर पहल हर स्तर से दरकार है। इसके लिए प्रभावकारी पहल लोगों में जागरूकता लाना सबसे अहम मुद्दा माना जा रहा है। शासन स्तर पर भी इसमें विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इसे प्रमुखता से लेते हुए दैनिक जागरण ने जल संरक्षण पर एक साप्ताहिक अभियान की शुरुआत की है।

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  इसी कड़ी में जिला प्रशासन द्वारा इस दिशा में शुरु किए गए सरहनीय प्रयास को यहां उकेरा जा रहा है। जिला पदाधिकारी डॉ. निलेश रामचंद्र देवरे ने जिले में सरकारी जलकरों को विकसित करने की मेगा योजना बनाकर इस दिशा में काम शुरू करा दिया है। इसके लिए जिले के विभिन्न अंचलों में 170 तालाबों को चयन किया गया है। तालाबों के जीर्णोद्धार से जल संरक्षण की बात कही जा रही है। जिलाधिकारी का कहना है कि तालाबों के निर्माण एवं जीर्णोद्धार से बारिश के जल को भी संचित किया जा सकेगा, जिसका उपयोग सूखे की स्थिति में ङ्क्षसचाई जल के रूप में हो सकेगा।

   पहले चरण में इस योजना के तहत प्रत्येक अंचल से दस-दस तालाबों को चयन किया गया है। इस योजना में राशि मनरेगा से ली जा रही है। मनरेगा के तहत इस योजना के क्रियान्वयन से एक ओर जहां जल संरक्षण का काम होता, तो दूसरी ओर बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा। इस वर्ष 2019-20 में राजस्व जलकर से अनुमानित आय भी 44 लाख निर्धारित की गई। इसके अन्तर्गत मत्स्य उत्पादकता एवं रोजगार को बढ़ावा देने पर बल दिया जा रहा है।

  इन राजस्व जलकरों की व्यवस्था ऐसी की जाय कि इसमें मत्स्य उत्पादकता के साथ रोजगार को बढ़ावा मिले। यह क्षेत्र अबतक अल्प विकसित रहा है। जिलाधिकारी ने इस रोजगार को ध्यान में रखते हुए विभिन्न क्रियाकलापों को इसमें समाहित करने का आदेश दिया है। थरूहट क्षेत्रों में जल स्रोतों के विकास पर विशेष रूप से बल दिया जा रहा है।

मनरेगा से पौधरोपण के साथ -साथ होगा जल संरक्षण

जिले में इस बार मनरेगा से जल संरक्षण के साथ-साथ पौधरोपण पर बल दिया जा रहा है। तालाबों के जीर्णोद्धार की महत्वाकांक्षी योजना बनी है। उसमें पोखरों के किनारे मनरेगा से पौधरोपण करने पर भी बल दिया जा रहा है। इसमें इस बात पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि उन्हीं प्रजाति के पौधे लगाए जाएं, जिसका फल पानी में गिरे और वह मछलियों के भोजन में भी अहम योगदान दे। ताकि इस क्षेत्र को उत्पादकता एवं रोजगार से भी जोड़ा जा सके। जानकारों का मानना है कि प्राकृतिक जल स्रोतों को रोजगार से जोड़़ दिया जाय, तो इसके विकास पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा।

जलीय क्षेत्रों को विकसित करने को विभाग के पास है योजना

जिला मत्स्यपालन पदाधिकारी मनीष कुमार श्रीवास्तव के अनुसार जिले के जलीय क्षेत्रों में चौर का हिस्सा अहम है। जिले में करीब 3000 हेक्टेयर क्षेत्र चौर का है। इसके विकास के लिए विभाग पहल कर रहा है। चौर के विकास के लिए विभागीय स्तर पर पहल की जा रही है। ताकि जल स्रोतों के विकास के साथ-साथ उत्पादकता एवं रोजगार को बढ़ावा मिल सके।


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