तपती दुपहरी में प्यास भारी, सुबह से शाम तक जद्दोजहद जारी
शहर के 24 इलाकों में जलसंकट से जूझ रहे लोग। कहीं दो-चार मटके तो कहीं प्लास्टिक के जार व स्टील की बाल्टी लिए दौड़ भाग करते दिख रहे लोग। प्यास के आगे छोटे पड़ रहे बर्तन।
मुजफ्फरपुर, [मुकेश कुमार 'अमन']। तपती अलसाई दुपहरी। आसमान से आग बरस रही है। बदन झुलस रहा है। पानी के लिए जद्दोजहद फिर भी कम नहीं है। हैंडपंप हांफ रहे हैं। कहीं नलों से प्यास बुझ रही तो कहीं निगम टैंकरों से पानी भिजवा रहा है। दुविधा और संघर्ष में सुबह-शाम कट रही। जलसंकट का जायजा लेने को हम शहर की खाक छान रहे हैं। बालूघाट बांध इलाके में श्रीराममंदिर के पास लोगों का जमावड़ा लगा है। पानी के लिए बेचैनी दूर से ही दिख रही। एक नल पर बर्तन कतार में लगे हैं। दो घंटे बाद नल से पानी आएगा। लोग इस इंतजार में कुछ दूरी पर छांव में सुस्ता रहे हैं।
रूपरेखा देवी को टोकते ही उनका दर्द जुबां पर आ जाता है। कहती हैं-'बबुआ! एतना उमर बीत गइल पानी ला अईसन परेशानी कहिओ ना देखली...। एके जार पानी में नहाईल-खाइल सब करेके पड़ैत बा। रूपरेखा देवी की तरह पुष्पा रानी, गुडिय़ा वर्मा, नेहा श्रीवास्तव, मनोज वर्मा, अभिषेक कुमार सिंह अभिनव सिंह, हरेंद्र सिंह, मनीष वर्मा को भी पानी की किल्लत का बड़ा मलाल है। इस वाकये से पानी के लिए तरसते-भटकते लोगों का दर्द बयां हो जाता है।
हर तरफ बस पानी के लिए दौड़भाग
सिकंदरपुर, बालूघाट, पंखा टोली, रामबाग, खादी भंडार इलाके में लोगों की यहीं दिनचर्या बन गई है। बांध के उस पार राजनारायण सिंह कॉलेज, बनारस बैंक चौक से बालूघाट जाने वाले रास्ते में, धोबिया कुआं हर तरफ पानी के लिए हाहाकार मचा है। कहीं दो-चार मटके तो कहीं प्लास्टिक के जार, स्टील की बाल्टी लिए लोग दौड़ भाग करते दिख रहे हैं। उनकी प्यास बड़ी है और उसके सामने ये बर्तन छोटे पड़ रहे हैं। क्योंकि, आज एक गिलास पानी भी बड़ी जद्दोजहद के बाद मिलता है।
इन इलाकों में पानी के लिए अधिक बेचैनी
पवरिया टोला, देश सेवक मार्ग, नूनफर, जयप्रभा नगर, कटहीपुल चौक, दाउदपुर कोठी, झील नगर, बालूघाट, हकीम तौहिद लेन, रोटी वाली गली, साहु पोखर, पाण्डेय जी गली, पंखा टोली, सहाय कंपाउंड, सराय सैयद अली, खबरा रोड, रिफ्यूजी रोड, अघोरिया बाजार स्लम बस्ती, मिल्की टोला, आलोकपुरी, नूरी मस्जिद, आनंदबाग, रामबाग, खादी भंडार।
बीता वैशाख, जेठ की दुपहरी बाकी
वैशाख का महीना अब बीत चला। अब जेठ शुरू हो गया। गृहिणी चंचला श्रीवास्तव, छात्रा रोमिता श्रीवास्तव व खुशी श्रीवास्तव कहती हैं वैशाख तो बीत गया अब जेठ की दुपहरी कैसे कटेगी इस बात की चिंता साल रही है। संपन्न लोगों ने सबमर्सिबल पंप लगवा रखा है। आसपास के लोग आरजू-मिन्नत कर प्यास बुझा रहे हैं। जहां टैंकर पहुंच पाता है लोग उसमें पाइप लगाकर पानी ले रहे हैं।
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