Move to Jagran APP

बालिका गृह यौन हिंसा : आरोपितों को सजा दिलाने में 143 दस्तावेज और 102 गवाहों की चार्जशीट

पीडि़ता की पहचान गुप्त रहे, इसके लिए चार्जशीट में वी-एक से 33 तक पीडि़ता के नाम की कोडिंग। बेंगलुरु के निमहांस के मनोवैज्ञानिकों व काउंसिलरों की सीबीआइ ने ली मदद।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 07 Jan 2019 02:08 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jan 2019 02:08 PM (IST)
बालिका गृह यौन हिंसा : आरोपितों को सजा दिलाने में 143 दस्तावेज और 102 गवाहों की चार्जशीट
बालिका गृह यौन हिंसा : आरोपितों को सजा दिलाने में 143 दस्तावेज और 102 गवाहों की चार्जशीट

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बालिका गृह की लड़कियों के साथ यौन हिंसा मामले में 21 आरोपितों के खिलाफ विशेष पॉक्सो कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में सीबीआइ ने पर्याप्त साक्ष्य जुटाने का दावा किया है। इन साक्ष्यों में 143 दस्तावेज और 102 गवाह शामिल हैं। सीबीआइ की कोशिश है कि साक्ष्यों के आधार पर आरोपितों को कोर्ट में दोषी ठहराया जा सके।

loksabha election banner

वी-वन से 33 तक पीडि़ता के नाम की कोडिंग

पॉक्सो एक्ट के तहत पीडि़ता का नाम सार्वजनिक नहीं हो सीबीआइ ने चार्जशीट में इसका खास ख्याल रखा है। इनकी पहचान को गुप्त रखने के लिए सीबीआइ ने इन्हें वी-वन (विक्टिम वन) से 33 तक की कोडिंग में दर्शाया है। इसमें से जिस पीडि़ता ने जिस आरोपितों के खिलाफ बयान दिया उसके कॉलम में इस कोड के साथ ही उल्लेख किया गया है।

 इनकी व्यक्तिगत फाइलें भी कोर्ट को सौंपी गई हैं। पीडि़ता की पहचान गुप्त रहे, इसके लिए आरोपितों को पुलिस पेपर दिए जाने में इसका सीबीआइ ने खास ख्याल रखा है। सीबीआइ इसकी डी-कोडिंग कर इसे सीलबंद लिफाफा में ही कोर्ट को सौंपने की बात कही है।

सीबीआइ ने कहा-डीएफएसए का मामला

बालिका गृह मामले को सीबीआइ ने चार्जशीट में दवा की मदद से यौन ङ्क्षहसा (ड्रग्स फैसिलिटेड सेक्सुअल असाल्ट) का मामला कहा है। जिसमें बालिका गृह की लड़कियों को हर रात प्रशासकीय तौर पर दवा दी जाती थी। उन्हें कहा जाता था कि यह उन्हें स्वच्छ रखेगा। इस दवा के खाने के बाद लड़कियां गहरी नींद में सो जाती थीं। सुबह जगने पर उनकी छाती, पेट और अन्य अंगों में दर्द होता था।

निमहांस के मनोवैज्ञानिकों की ली मदद

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ ने बच्चियों के बयान दर्ज करने के लिए बेंगलुरु के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल एंड न्यूरो साइंस के बाल मनोवैज्ञानिकों व पेशेवर काउंसिलरों की मदद ली। सीबीआइ के अनुरोध पर उनकी मदद के लिए निमहांस ने योग्य मनोवैज्ञानिकों व विशेष एजुकेटरों की टीम को भेजा था। इस टीम की मदद से ही लड़कियों का बयान दर्ज किया गया। यह बयान भी इस चार्जशीट का महत्वपूर्ण व ठोस साक्ष्य है।

भयपूर्ण माहौल बनाकर लड़कियों से किया जाता था दुष्कर्म

सीबीआइ ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि सीधे दुष्कर्म करने के अलावा बालिका गृह में आरोपित भय का माहौल बना रखा था। उनकी पिटाई की जाती थी। उन्हें धमकी दी जाती थी और चुप रहने को विवश किया जाता था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.