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अपनी-अपनी किस्मत : हवाई जहाज से घर लौटे 10 प्रवासी मजदूर, कहा- सपने में भी नहीं सोचा

10 श्रमिक हवाई जहाज से नई दिल्ली से पटना आएंगे और इसके बाद यहां से समस्तीपुर के खानपुर स्थित अपने गांव जाएंगे।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 01:02 PM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 10:34 PM (IST)
अपनी-अपनी किस्मत : हवाई जहाज से घर लौटे 10 प्रवासी मजदूर, कहा- सपने में भी नहीं सोचा
अपनी-अपनी किस्मत : हवाई जहाज से घर लौटे 10 प्रवासी मजदूर, कहा- सपने में भी नहीं सोचा

मुजफ्फरपुर/ समस्‍तीपुर, जेएनएन/ एएनआइ। लॉकडाउन के कारण दिल्ली में फंसे जिले के दस प्रवासी किसान श्रमिक के सपनों को पंख लगे। गुरुवार को हवाई सफर के बाद अपनों के बीच खुद को पाकर सुकून मिला। ये सभी खानपुर प्रखंड के श्रीपुरगाहर गांव के निवासी हैं। दिल्ली के तिगीपुर के किसान पप्पन सिंह गहलोत के मशरूम फर्म में काम करते थे। सीजन खत्म होने के बाद लौट जाते थे।  इस बार लॉकडाउन में फंस गए थे। घर आने की इच्छा हुई तो  पप्पन ङ्क्षसह ने ट्रेन की जगह फ्लाइट से गांव भेजने का निश्चय किया। फ्लाइट सेवा शुरू होने का इंतजार किया। परिस्थितियां थोड़ी सामान्य हुईं तो 68 हजार रुपये खर्च कर टिकट बुक कराए। गुरुवार सुबह छह बजे दिल्ली से पटना के लिए इंडिगो विमान ने उड़ान भरी और 07.15 बजे पटना पहुंची। दिल्ली एयरपोर्ट तक छोडऩे खुद किसान के भाई पहुंचे थे। पटना पहुंचने के बाद दो कार रिजर्व कर खानपुर पहुंचे। सबको प्रखंड मुख्यालय के एक क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया है।

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लॉकडान के कारण फंस गए 

दरअसल, कोरोना संकट के कारण जब लाॅकडाउन की घोषणा हुई तो लाखों श्रमिक फंस गए। राजधानी दिल्ली के बख्तावरपुर इलाके के तिगीपुर गांव निवासी मशरूम किसान पप्पन सिंह गहलोत के यहां काम करने वाले बिहार के समस्तीपुर के 10 श्रमिक भी यहीं फंस गए। लेकिन, पप्पन ने न सिर्फ लॉकडाउन के दौरान खेतों में काम करने वाले दस मजदूरों का ध्यान रखा, बल्कि वे सुरक्षित घर पहुंच जाएं इसके लिए हवाई टिकट का भी इंतजाम किया। इतना ही नहीं, किसानों को जेब खर्च के लिए तीन-तीन हजार रुपये भी दिए हैं। 

ये सभी किसान गुरुवार की सुबह ही हवाई यात्रा की औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए आइजीआइ एयरपोर्ट पहुंच गए। इस बारे में एएनआइ से बात करते हुए किसान पप्पन गहलोत के भाई निरंजन गहलोत से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमने ट्रेनों के टिकट बुक करने की कोशिश की, लेकिन ऐसा कर नहीं पाए। तब हमें लगा कि ये लोग 20 वर्षों से हमारे साथ काम कर रहे हैं, उनकी यात्रा सुरक्षित होनी चाहिए। इसलिए हमने उनकी चिकित्सकीय जांच की और उनके लिए फ्लाइट टिकट की व्यवस्था की। हवाई जहाज से पटना आ रहे श्रमिकों में से एक ने एएनआइ से ही बात करते हुए कहा कि हमलोगों ने कभी हवाई जहाज में बैठने के बारे में सोचा ही नहीं था। मेरे मालिक ने इसकी व्यवस्था कराई है।

किसान पप्पन सिंह गहलोत मशरूम की खेती करते हैं। इनके खेतों में काम करने के लिए पिछले 25 सालों से बिहार के समस्तीपुर जिले के खानपुर के कुछ मजदूर आ रहे हैं। इनका काम जब समाप्त हो जाता है तो वे वापस चले जाते हैं। ऐसे में इस बार भी 10 मजदूर तिगीपुर आए, लेकिन लॉकडाउन के कारण फंस गए।

खाने रहने की पूरी व्यवस्था की 

लॉकडाउन के लगातार बढ़ने के कारण श्रमिकों की चिंता बढ़ने लगी। यह बात जब पप्पन सिंह को पता चली तो उन्होंने आश्वासन दिया कि वे परेशान न हों, सभी को सुरक्षित बिहार पहुंचाया जाएगा। जब तक कोई इंतजाम नहीं होता है, उन्हें खाने-पीने की कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी। इसके बाद किसान ने सभी दस श्रमिकों के लिए 28 मई का हवाई टिकट बुक कराया। बख्तावरपुर के निगम पार्षद सुनीत चौहान की मदद से मंगलवार को स्क्रीनिंग कराकर यात्रा के लिए जरूरी औपचारिकताएं भी पूरी करा दी हैं।

मदद का दिया आश्वासन

श्रमिक जीवछ, नवीन, प्रवीण, बछिन्दर राम आदि का कहना है कि वह जीवन में पहली बार हवाई यात्रा करेंगे। उन्होंने कहा कि पप्पन सिंह कहा करते थे कि सभी श्रमिक उनके परिवार का ही हिस्सा है, लेकिन संकट की घड़ी में उन्होंने यह बात साबित भी कर दी है। यही नहीं उन्होंने यह भी कहा है कि बिहार में कोई आर्थिक संकट आए तो बताना वह और पैसे भेज देंगे। 

फ्लाइट से यात्रा करनेवाले पहले व्यक्ति

पप्पन सिंह के फर्म में काम करनेवाले नवीन राम ने कहा कि लॉकडाउन में भी कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन काम खत्म होने के बाद घर आने का मन था। लॉकडाउन और ट्रेन की स्थिति देख हिम्मत नहीं हो रही थी। हवाई सफर के बारे में  सोचा भी नहीं थी। यह सब सपने जैसा है। किसान लखिंदर राम ने कहा कि उनमे फार्म में पिछले 27 वर्ष से काम कर रहे हैं। उन्होंने कभी दिक्कत नहीं होने दी। लॉकडाउन में भी  मुफ्त में खाना खिलाया। घर के सदस्य की तरह रखा। अगर वे फिर बुलाते हैं तो जाएंगे। 


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