Move to Jagran APP

बदबूदार टॉयलेट से मिलेगी निजात, ट्रेनों में हवाई जहाज की तरह होगा टॉयलेट

मुंगेर । आप में से लगभग हर किसी ने कभी न कभी रेलगाड़ी से यात्रा जरूर की होगी। उस दौरान क

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 10:11 PM (IST)Updated: Sat, 15 Aug 2020 06:13 AM (IST)
बदबूदार टॉयलेट से मिलेगी निजात, ट्रेनों में हवाई जहाज की तरह होगा टॉयलेट
बदबूदार टॉयलेट से मिलेगी निजात, ट्रेनों में हवाई जहाज की तरह होगा टॉयलेट

मुंगेर । आप में से लगभग हर किसी ने कभी न कभी रेलगाड़ी से यात्रा जरूर की होगी। उस दौरान कुछ खटके न खटके पर बदबूदार टायलेट के कारण सभी यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। टॉयलेट की बदबू से रेल यात्रियों को निजात दिलाने के लिए रेलवे बोर्ड ने अब अपने सभी जर्मन तकनीक वाले एलएचबी डिब्बों में हवाई जहाज की तरह टॉयलेट लगवाने का फैसला किया है। इसकी शुरूआत हो चुकी है और फिलहाल इसका परीक्षण शताब्दी एक्सप्रेस में किया जा रहा है।रेलवे का कहना है कि यात्रा की कठिनाइयों को दूर करने पर लगातार काम हो रहा है। इसी क्रम में 1500 सौ करोड़ रुपये की लागत से एलएचबी तकनीक वाले सभी एसी डिब्बों में हवाई जहाज की तरह बायो वैक्यूम टॉयलेट लगाया जाएगा। इसका पायलट परीक्षण किया जा रहा है, जिसे यात्रियों ने काफी सराहा है। अब इसका विस्तार आने वाले दिनों में सभी ट्रेनों में किया जाना है।

loksabha election banner

-------------------------

बदबूदार टॉयलेट से मिलेगा छुटकारा

रेलवे के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि चाहे एसी डिब्बा हो या जनरल डिब्बा, टॉयलेट की बदबू हर जगह परेशानी का सबब है। इससे छुटकारा पाने के लिए इन डिब्बों में बायो वैक्यूम टायलेट लगाने की कवायद चल रही है। इसमें वैक्यूम प्रेसर से गंदगी को टैंक में खींच लिया जाता है। जब कहीं गंदगी का अंश ही नहीं बचेगा तो फिर बदबू के फैलने का कोई डर नहीं। इस प्रक्रिया में पानी की बहुत कम आवश्यकता होती है। इसलिए पानी की भी बचत होगी।

- - - - - - - - - - - - -

शुरुआत में प्रीमियम ट्रेनों में यह सुविधा

शुरुआत में बायो-वैक्यूम टॉयलेट की सुविधा राजधानी, शताब्दी और दुरंतो सहित सभी प्रीमियम ट्रेनों में मिलेगी। तेजस और वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी प्रीमियम ट्रेन में तो यह सुविधा शुरू से ही है। अब नई दिल्ली और कोलकाता के बीच चलने वाली शताब्दी एक्सप्रेस में भी लगाई जा चुकी है। अब, एलएचबी तकनीकी वाले सभी एसी डिब्बों में इसे लगाया जाएगा। उसके बाद एलएचबी तकनीक वाले सभी स्लीपर और जनरल डिब्बों में भी यही सिस्टम लगा दिया जाएगा।

- - - - - - - - - - - - - -

लॉकडाउन में ही बदले जा रहे हैं

भारतीय रेल के चार जोन, उत्तर रेलवे, उत्तर मध्य रेलवे और पूर्वोत्तर रेलवे इस दिशा में साथ मिल कर काम कर रहे हैं। इन्होंने लॉकडाउन के दौरान ही एलएचबी तकनीक वाले 600 डिब्बों में से परंपरागत टॉयलेट हटा कर बॉयो वैक्यूम टायलेट फिट कर दिया है। इस समय 714 एसी डिब्बों में भी इसी तरह के टॉयलेट लगाने की प्रक्रिया चल रही है।

---------------------

एक डिब्बा पर लगभग 13 लाख रुपये का आएगा खर्च

परंपरागत टॉयलेट को बायो वैक्यूम टायलेट में बदलने में एक टॉयलेट पर करीब सवा तीन लाख रुपये का खर्च आ रहा है। एक डिब्बा में अमूमन 4 टॉयलेट होता है। मतलब कि एक डिब्बे पर करीब 13 लाख रुपये का खर्च आ रहा है। इस समय देश भर में करीब 15,000 एलएचबी कोच हैं। इसलिए फैसला किया गया है कि एलएचबी तकनीक वाले सभी डिब्बों में क्रमिक रूप से ऐसे टॉयलेट लगाए जाएंगे। शुरूआत एसी डिब्बों से हुई है।

- - - - - -

आने वाला है 1500 करोड़ रुपये का टेंडर

बायो वैक्यूम टायलेट के लिए के लिए शीघ्र ही 1500 करोड़ रुपये का टेंडर आने वाला है। अभी इसे अंतिम रूप देने की प्रक्रिया चल रही है। इसमें कहा जाएगा कि चाहे विदेशी ही कंपनी क्यों नहीं हो, उसे टॉयलेट यहीं भारत में ही बनाना होगा। इससे मेक इन इंडिया मेक इन इंडिया अभियान को बढ़ावा मिलेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.