नशे का विकल्प ढ़ूढ़ मौत की आगोश में जा रहे युवा
मुंगेर। प्रदेश में अप्रैल 16 से हुए शराबबंदी के बाद आदतन नशेड़ियों के साथ युवा वर्ग नशे के
मुंगेर। प्रदेश में अप्रैल 16 से हुए शराबबंदी के बाद आदतन नशेड़ियों के साथ युवा वर्ग नशे के विकल्प ढ़ूढ़ने में लगे हैं। जिस कारण वैकल्पिक नशे का कारोबार भी बढ़ा है। आए दिन पुलिस इनके खेप बरामद भी कर रही है। युवा वर्ग नशे के विकल्प के तौर पर गांजा, भांग, कफ सीरप के साथ ही फेविकोल या पंक्चर साटने वाले सुलेशन का प्रयोग कर रहें हैं। जिससे उनकी ¨जदगी तबाह हो रही है। सुलेशन की चपेट में आकर गुलजार पोखड़ निवासी एक युवक ने तो अपनी जान भी गवां दी है। बताते हैं कि शराबबंदी के बाद पूरे बिहार में गांजा के साथ अन्य मादक पदार्थों की बिक्री में इजाफा हुआ है। जिसे एनबीसी के साथ ही बिहार पुलिस भी मानती है। मुंगेर में मुख्यमंत्री के निश्चय यात्रा के दौरान साथ पहुंचे डीजीपी पीके ठाकुर ने भी माना था कि राज्य में मादक पदार्थों की तस्करी में 467 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जिसे नेपाल से बरास्ता पूर्णिया, अररिया बिहार लाया जा रहा है।
मुंगेर में भी युवा वर्ग तेजी से नशे की वैकल्पिक व्यवस्था में जुटा है। जिसका इन्हे खमियाजा भी उठाना पड़ रहा है। नशे के लिए गांजा, भागं या फिर पंक्चर बनाने वाले सुलेशन का प्रयोग युवा वर्ग द्वारा किया जा रहा है। कुछ दिनों पूर्व कागज या लकड़ी को जोड़ने वाले फेविकोल के उपयोग के कारण शहर के एक युवा व्यवसायी की मौत हो गई थी तो वहीं गुलजार पोखड़ एवं कासिमबाजार निवासी दो युवक एक युवक साथ लगभग आधे दर्जन युवा पंक्चर बनाने वाले सुलेशन का नशे के रूप में प्रयोग कर अपनी जान गंवा बैठे हैं।
इस संबंध में शहर के जाने माने चिकित्सक डा. सुधीर कुमार बताते हैं कि पंक्चर बनाने वाले सुलेशन या फिर फेविकोल शराब से भी ज्यादा जानलेवा है। इसके प्रयोग से सांस संबंधी बीमारी के साथ मस्तिष्क व मानसिक रोग से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसमें जान जाने की संभाववना भी प्रबल होती है।