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बदहाल हो रहे कल-कारखाने, तो पैदा होने लगा रोजगार का संकट

मुंगेर। योगनगरी मुंगेर कभी कल कारखाने के लिए देश भर में प्रसिद्ध हुआ करता था। जमालपुर रे

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Apr 2019 08:08 PM (IST)Updated: Wed, 10 Apr 2019 08:08 PM (IST)
बदहाल हो रहे कल-कारखाने, तो पैदा होने लगा रोजगार का संकट
बदहाल हो रहे कल-कारखाने, तो पैदा होने लगा रोजगार का संकट

मुंगेर। योगनगरी मुंगेर कभी कल कारखाने के लिए देश भर में प्रसिद्ध हुआ करता था। जमालपुर रेल कारखाना, बंदूक फैक्ट्री, आइटीसी आदि की चिमनी से निकलता धुआं मुंगेर के आर्थिक समृद्धि की कहानी बयां कर देती थी। लेकिन, आज की तारीख में बंदूक फैक्ट्री जहां बदहाल है। वहीं जमालपुर रेल कारखाना और आइटीसी से भी लगातार कर्मी रिटायर हो रहे हैं। कारखाना में स्थानीय स्तर पर बहाली बंद है। इस कारण युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। बेरोजगार रोजगार की तलाश में दूसरे प्रदेश जा रहे हैं। इस दिशा में आज तक किसी भी जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं गया है। मुंगेर जमालपुर में एशिया का सबसे बड़ा रेल कारखाना, विश्व का एकमात्र योग विश्वविद्यालय, बंदूक फैक्ट्रियां, सिगरेट फैक्ट्री हुआ करती थी। यहां के लोगों को सबसे अधिक रोजगार देने वाले बंदूक कारखाने लगातार बंद होते जा रहे है। ऐसा इसलिए हो रहा है कि लाइसेंस की प्रक्रिया जटिल होती जा रही है, जिस कारण से बंदूकों की मांग कम हो गई है। बेरोजगारी के कारण बंदूक बनाने वाले अनुभवी कारीगर नाजायज ढंग से हथियार बनाने लगे। नाजायज ढंग से हथियार बनाने से कानून-व्यवस्था पर भी असर पड़ रहा है। वहीं जिले के साथ राज्य की भी बदनामी हो रही है। इतनी बड़ी समस्या की ओर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। सिगरेट फैक्ट्री के द्वारा कई सालों से स्थानीय स्तर पर युवाओं के लिए वैकेंसी नहीं निकली गई है। आइटीसी का कारखाना कायम है। इस कारखाने में स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिला हुआ था। कारखाना चल रहा है। पुराने कामगार अवकाश ग्रहण कर रहे हैं, नई बहालियां नहीं हो रही हैं। जिले के युवाओं का शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी रोजगार के लिए बिहार से बाहर जाना पड़ रहा है। वहीं, जमालपुर रेल कारखाना में दिन प्रतिदिन रेलकर्मियों की संख्या घट रही है। कभी जमालपुर रेल कारखाना में पहले 22 हजार कर्मी करते थे। वर्तमान में कारखाना में मात्र सात हजार रेलकर्मी कार्यरत हैं। जमालपुर रेल कारखाना इस क्षेत्र की लाइफ लाइन मानी जाती है। ऐसे में कारखाना को निर्माण इकाई का दर्जा देने और स्थानीय स्तर पर बहाली प्रक्रिया शुरू किया जाना स्थानीय युवाओं के लिए बड़ा मुद्दा है। विक्की आनंद, मनोज क्रांति आदि ने कहा कि कारखाना के उत्थान के दिशा में जन प्रतिनिधियों को सकारात्मक प्रयास करना चाहिए।

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