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कला के जादूगर की नंदलाल बसु की जन्मस्थली पर कला महाविद्यालय की आकांक्षा

मुंगेर। हवेली खड़गपुर की धरती पर जन्मे नंदलाल बसु ने अपनी चित्रकारी से पूरी दुनियां में भारत

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 08:51 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 08:55 PM (IST)
कला के जादूगर की नंदलाल बसु की जन्मस्थली पर कला महाविद्यालय की आकांक्षा
कला के जादूगर की नंदलाल बसु की जन्मस्थली पर कला महाविद्यालय की आकांक्षा

मुंगेर। हवेली खड़गपुर की धरती पर जन्मे नंदलाल बसु ने अपनी चित्रकारी से पूरी दुनियां में भारत का मान बढ़ाया है। कला के क्षेत्र में इस मिट्टी के सपूत आचार्य नंद लाल बोस ने जो कुछ अपनी कूची से जीवन के हर पक्ष से जुड़े सुंदर और समूचे भाव को रचा है। उसे यहां के नई पीढ़ी रंग और तूलिका के माध्यम से सजीव कल्पना की शक्ति से कला की गरिमा को धवल परिचय से अनुनादित कर सके, इसके लिए आवश्यकता है कि उनके जन्मस्थली पर कला महाविद्यालय की स्थापना की जाएं। लेकिन कला महाविद्यालय के अभाव में यहां की नई पीढ़ी की प्रतिभाएं दम तोड़ रही है। शिक्षाविद सेवानिवृत्त प्राचार्य रामचरित्र प्रसाद ¨सह, उमेश कुंवर उग्र, कवि प्रदीप कुमार पाल, समाजसेवी बजरंग लाल साहा, रेखा ¨सह चौहान आदि ने कहा कि नंदलाल बसु की जन्मस्थली पर लंबे समय से कला विद्यालय की स्थापना की मांग उठती रही है। खड़गपुर का प्राकृतिक सौंदर्य कला महाविद्यालय के लिए सबसे उपयुक्त है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत हैं। इससे यह उम्मीद बांधे हैं कि इस बार मुख्यमंत्री आचार्य नंदलाल बसु की धरती पर कला महाविद्यालय की घोषणा करें।

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हवेली खड़गपुर के प्राय: निजी विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों को प्रारंभिक शिक्षा से लेकर माध्यमिक शिक्षा तक कला सिखाई जाती है । इस दौरान छात्र छात्रा जिला से लेकर विश्वविद्यालय एवं राज्य स्तर तक आयोजित प्रतियोगिता में भाग लेकर अपनी हुनर के माध्यम से जीवन के अन्य तम तूफानों से जुड़े तमाम जीवन मूल्यों को समाहित करते हुए अलंकृत सुसंस्कृत और सुरुचिपूर्ण कला का बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं । लेकिन माध्यमिक शिक्षा के बाद यही हुनरमंद छात्र छात्रा कला महाविद्यालय के अभाव में वर्षों से अपनी मेहनत के बल पर हासिल की कला प्रतिभा को विराम लगा देते हैं। यहां के अधिकांश परिवार के लोग दूसरे राज्यों में अपने परिवार के भरण पोषण के लिए दो जून की रोटी का जुगाड़ करने के लिए मजदूरी का काम करते हैं और इसी के बूते अपने बच्चों के भविष्य को सजाने संवारने के लिए शिक्षा को अधिक महत्व देते हुए सरकारी स्कूल की दयनीय स्थिति को देखते हुए प्राइवेट स्कूल में नामांकन कराते हैं । उनके बच्चों को निजी स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा से ही कला की शिक्षा दी जाती है लेकिन यह शिक्षा माध्यमिक शिक्षा तक ही कायम रह पाती है क्योंकि कला महाविद्यालय के अभाव में इन बच्चों के परिजन अपने बच्चों को कला की शिक्षा के लिए पैसे के अभाव में बाहर नहीं भेज पाते हैं और उनकी प्रतिभा दम तोड़ देती है। प्रत्येक वर्ष हवेली खड़गपुर की धरती से कला के प्रतिभागी जिला यूनिवर्सिटी एवं राज्य स्तर पर कला प्रतिभा में भाग लेकर खड़गपुर की धरती पर धर्म अध्यात्म प्रकृति उत्सव रामायण और महाभारत के कथानक से लेकर आम आदमी के जीवन के रोजमर्रा क्रियाकलापों जैसे धान काटती औरतें, बकरे को खींचता कसाई, गधा और मेमना, हाट से लौटती वनवासी औरतें, चैतन्य महाप्रभु का महाप्रयाण, शरशैय्या पर परे भीष्म जैसी अनेकों कलाकृतियों एवं भारतीय संविधान की पच्चीकारी से लेकर राष्ट्रीय अलंकरण के विन्यास तक नंदलाल बोस की कलात्मक दृष्टि का स्पर्श को जीवंत रखने का प्रयास करते हैं ।


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