धान खरीद पर सबके अलग अलग सुर, कौन सच, कौन झूठ, पहेली में उलझे किसान
मुंगेर। राज्य सरकार ने पैक्स के माध्यम से धान खरीद की घोषणा की। ताकि किसानों को धान फसल
मुंगेर। राज्य सरकार ने पैक्स के माध्यम से धान खरीद की घोषणा की। ताकि किसानों को धान फसल का सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य का लाभ मिल सके। पैक्स से सरकार द्वारा धान की खरीद पर सवाल उठ रहे हैं। कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ यह पहेली बना हुआ है। सरकारी पदाधिकारी, पैक्स अध्यक्ष और बैंक के अधिकारी एवं किसान की बातें अलग अलग हैं। कौन सही बोल रहा है यह सवालों के घेरे में है। परंतु सच यह है कि सरकारी तंत्र की उदासीनता से किसान लाभ से वंचित रह जा रहे हैं। सरकारी लाभ किसान की जगह बिचौलिया को मिल जाता है। छोटे , मध्यम एवं आर्थिक रूप से कमजोर किसान हमेशा लाभ मिलने की उम्मीद लगाए ही रह जाते हैं। सुखाड़ की चपेट में आने के बाद किसान किसी प्रकार अगर कुछ फसल पैदा किए तो उसे पैक्स निर्धारित घोषित तिथि से दो महीने बाद भी खरीदने की स्थिति में नहीं है। नवंबर माह से ही धान खरीदने का निर्देश था। वावजूद धान की खरीद किसानों से नहीं हो पाई है। अलबत्ता पिछले वर्ष का भी धान खरीद का बकाया किसानों को नही मिल पाया है।
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बोले प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी भोला दास
छह पैक्स ने धान खरीद का कार्य शुरू कर दिया है। एमडी के स्तर से बैंक को सीसी कर दिया गया है। बैंक को किसान के खाता में 24 घंटे में राशि हस्तांतरित करना है। अन्य पैक्स में भी खरीद जल्द शुरू हो जाएगी।
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को-ऑपरेटिव बैंक के अधिकारी ने फरमाया
दी मुंगेर जमुई सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के सहायक प्रबंधक सुबोध राम ने बताया कि जिला द्वारा बैंक को सीसी प्राप्त नहीं हुआ है। जिस कारण किसानों को राशि भुगतान नहीं किया जा सकता। सीसी मिलने पर तुरंत किसानों के खाता में राशि दी जाएगी।
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सुने पैक्स अध्यक्ष की
पैक्स अध्यक्ष रवि रंजन कुमार ने बताया कि बैंक में सीसी मिलते ही खरीद शुरू हो जाएगी। पैक्स धान खरीदने को तैयार बैठी है। फिलहाल मैंने कोई धान नहीं खरीदी है।
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जरा इनकी भी सुनें
रालोसपा नेता जितेंद्र कुमार ने बताया कि दो दिन से शाखा प्रबंधक नहीं आ रहे हैं। बैंक से राशि किसानों को नहीं मिलती है। पिछले वर्ष का भी बकाया है। यही स्थिति रहेगी तो आंदोलन किया जाएगा।
खानपुर के भगवान ¨सह और गनेली के अर्जुन प्रसाद ¨सह ने कहा कि पिछले साल से ही पैसा बांकी है। तबियत खराब होने पर आज रुपये की निकासी करने आए, लेकिन नहीं मिला। हमलोग अब पैक्स को धान नही देंगे। किसान रूदल ¨सह ने कहा कि 10 दिन पूर्व धान दिया हूं, परंतु बैंक से राशि नहीं मिली है।
किसान सह अधिवक्ता अजय झा ने कहा कि सरकार केवल घोषणा करती है। परंतु उसे समय पर कभी लागू नहीं कर पाई है। एक सुनियोजित साजिश के तहत पैक्स में विलंब से धान खरीद शुरू होती है। जब छोटे मध्यम वर्ग अपना निजी कार्यों के लिए धान सस्ते दरों पर बेच चुके होते हैं। तब ज्यादातर व्यापारियों अथवा बहुत बड़े किसानों या समाज में रसूख रखने वाले के ही धान पैक्स में खरीदें जाते हैं।
किसान रामानुग्रह ¨सह ने कहा कि जब नमी की बात करते हैं तो फिर नवंबर माह में धान खरीदने की बात ही बेमानी है। सरकार प्रत्येक वर्ष नवंबर माह से ही पैक्स द्वारा धान खरीदने का दावा करती है। लेकिन तारापुर अनुमंडल में कभी भी धान जनवरी से पहले खरीद नहीं होती है। स्पष्ट है कि घोषणा किसानों के हित की होती है परंतु लाभ उन्हें नहीं मिलता। जिला पार्षद एवं क्षेत्रीय किसान मंटु यादव ने कहा कि सरकार को यह व्यवस्था करनी चाहिए कि खुले बाजार में न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे धान की बिक्री नहीं हो। इस कार्य को करने वालों के विरुद्ध भी सरकार को कार्यवाही करनी चाहिए। सहकारिता एवं कृषि विभाग को किसानों का डेटाबेस तैयार करना चाहिए तथा पैक्स में धान बेचने वालों को अगर विलंब से ही उनके धान को लेना है तो प्रति एकड़ के हिसाब से वैसे किसानों को उनके द्वारा लिए जाने वाले संभावित धान के वजन के विरुद्ध अग्रिम राशि मुहैया कराने पर भी विचार करना चाहिए।