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उगते सूर्य को परदेशियों ने दिया अ‌र्घ्य

मुंगेर। आस्था और सूर्योपासना के महापर्व छठ को लेकर गंगा घाट पर विभिन्न राज्यों से पहुंचे

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 08:58 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 08:58 PM (IST)
उगते सूर्य को परदेशियों ने दिया अ‌र्घ्य
उगते सूर्य को परदेशियों ने दिया अ‌र्घ्य

मुंगेर। आस्था और सूर्योपासना के महापर्व छठ को लेकर गंगा घाट पर विभिन्न राज्यों से पहुंचे श्रद्धालुओं ने भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना की। खास कर दूसरे जगह से आई व्रतियों ने कहा कि छठ का त्योहार अब दूसरे प्रदेशों में भी मनाया जाने लगा है। लेकिन बिहार में जिस पवित्रता और समर्पण के साथ छठ का त्योहार मनाया जाता है, उसकी कल्पना नहीं की जा सकती है।

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कहते हैं परदेशी

रोजी रोटी के लिए पिछले आठ वर्षो से परदेश में रह रही हूं। लेकिन हर बार छठ में घर पहुंच जाती हूं। मुंगेर में छठ करने में जो सकून मिलता है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है।

बीणा देवी, गाजियाबाद

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पांच वर्षो से परेदश में हमारे पति कारोबार कर रहे हैं। मैं भी बच्चों सहित उनके साथ ही रहती हूं। मुंगेर में छठ मनाने की खुशी मैं कभी मिस नहीं करती हूं।

बबीता देवी, दिल्ली

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मैं बंगलुरु में अभियंता के रूप में कार्यरत हूं। छठ में आने और परिजन के साथ उगते सूर्य को अ‌र्घ्य अर्पित करने में जो खुशी मिली, उसे बयां करना मुश्किल है। छठ ऐसा त्योहार है, जिसमें सभी परिजन, दोस्त, रिश्तेदार एक साथ जुटते हैं।

राहुल कुमार

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छठ करने के कड़े नियम हैं। जिसका पालन परदेश में रहकर नहीं किया जा सकता है।

नवीता देवी

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छठ महापर्व परदेश में रहने वाले लोगों को गांव की ओर खींच लेता है। बच्चे जब गांव लौटते हैं, तब माता पिता कितने खुश होते हैं, उसकी कल्पना करना मुश्किल है।

वसंत कुमार, झारखंड


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