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सीएम के समक्ष चेहरा दिखाने की होड़

मुंगेर। जदयू के प्रमंडलीय दलित महादलित सम्मेलन का शोर रविवार की शाम तीन बजे थम गया। सम्मेलन क

By JagranEdited By: Published: Sun, 04 Nov 2018 06:47 PM (IST)Updated: Sun, 04 Nov 2018 06:47 PM (IST)
सीएम के समक्ष चेहरा दिखाने की होड़
सीएम के समक्ष चेहरा दिखाने की होड़

मुंगेर। जदयू के प्रमंडलीय दलित महादलित सम्मेलन का शोर रविवार की शाम तीन बजे थम गया। सम्मेलन को सफलता को लेकर पार्टी के अलग अलग प्रकोष्ठ के नेताओं ने पूरा दमखम दिखाया। सीएम की नजरों में आने की नेताओं की कोशिश सम्मेलन के समापन तक बनी रही। बावजूद कई कारणों से कई नेता सीएम को अपना चेहरा तक नहीं दिखा सके। इनमें पार्टी के कई विधायक, पूर्व विधायक जिलास्तर पर पार्टी के कई चर्चित चेहरे सुरक्षा घेरे के कारण मंच के आसपास तक दिखाई नहीं दिए। मुंगेर के एक विधायक को तीसरी पंक्ति में जगह मिला।

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मंच पर बैठने की व्यवस्था पर गौर करे तो महादलित के सम्मेलन में सीएम के अग्रिम पंक्ति में दलित महादलित नेताओं को स्थान मिला। अंग्रिम पंक्ति में दलित महादलित वर्ग के नेता श्याम रजक अशोक चौधरी, माहेश्वर हजारी, अशोक चौधरी आदि बैठे थे। दूसरी ओर सम्मेलन में सीएम के आगमन को लेकर बड़े बड़े पोस्टर पर दिखाई देने वाले पार्टी के कई वरीय अधिकारियों को सुरक्षा कारणों से मंच के आसपास भी जाने नहीं दिया गया और वे निराश हो सभा में बैठे नजर आए। इस बीच जिन्हें मंच पर जाने के मौका मिला वे वे अपने संपर्की नेता विधायक मंत्री से बात करने के बहाने सीएम को अपना चेहरा दिखाने की हर संभव कोशिश में लगे नजर आए।

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शिक्षा का दिलाया संकल्प

जागरण संवादाता मुंगेर: महादलित सम्मेलन के मंच से सीएम ने उन्हें शिक्षित दिलाने का संकल्प दिलाया। इसके लिए उन्होंने उनकी शिक्षा को लेकर सरकार द्वारा चलाई जा रही कई योजनाओं को अवगत कराते हुए उनसे सीधा संवाद करते हुए कहा कि बताइए आप अपने बच्चों को पढ़ाएगें या नहीं। अगर हां तो इस सभा में हमारे सामने संकल्प ले। और लोगों ने हाथ उठाकर उनकी बातों पर सहमति देते हुए बच्चों को शिक्षित करने का संकल्प लिया।

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दारू पीना और बेचना नहीं है मौलिक अधिकार

सम्मेलन के मंच से सीएम नीतीश कुमार ने शराबंदी को भी महादलितों के रक्षार्थ बताया और कहा कि कुछ लोग यह कहकर समाज को भ्रमित कर रहे हैं कि हमने शराबबंदी कर उनके मौलिक अधिकारों का हनन किया। तो मै बता दूं को दारू पीना और दारू बेचना मौलिक अधिकार में शामिल नहीं है। संविधान में यह स्पष्ट कहा गया है कि शराब पीने और बेचने की सहमति देना राज्य सरकार की इच्छा पर निर्भर है।


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