मुंगेर-खगड़िया-बेगूसराय रेलखंड पर यात्री करते हैं मौत की सफर
- बढ़ती गई यात्रियों की संख्या नहीं बढ़ सकी डिब्बों की संख्या - गेट पायदान पर लटक कर
- बढ़ती गई यात्रियों की संख्या, नहीं बढ़ सकी डिब्बों की संख्या
- गेट, पायदान पर लटक कर हो रही यात्रा
-आए दिन ट्रेन से गिर का मौत के मुंह में समा रहे हैं यात्री -मुंगेर-बेगूसराय-खगड़िया रेल खंड पर चलती है सात डिब्बों वाली ट्रेन
-1500 से 1800 यात्री रोज कर रहे हैं सफर
संवाद सहयोगी, जमालपुर (मुंगेर) : मुंगेर-तिलरथ-खगड़िया के बीच रोजाना यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। गंगा पुल पर जब रेल परिचालन शुरू हुआ, उस समय की तुलना में अभी यात्रियों की संख्या लगभग दस गुणा बढ़ गई है। लेकिन, मुंगेर-तिलरथ और मुंगेर खगड़िया के बीच चलने वाली पैसेंजर ट्रेन के डिब्बों की संख्या सात से आगे नहीं बढ़ी। जबकि, प्रत्येक दिन इस रेलखंड पर औसतन 1500 से 1800 रेल यात्री सफर करते हैं। ऐसे में भीड़ के कारण यात्री जान जोखिम में डाल कर गेट पर लटक कर या दरवाजे और रेल इंजन पर बैठ कर यात्रा पूरी करने को विवश हैं। कई बार ट्रेन से गिर कर यात्री जख्मी हुए, तो कई बार मौत हो गई। इसके बाद भी ट्रेन में बागी की संख्या बढ़ाने की दिशा में कोई पहल नहीं किया जा रहा है। सात डिब्बों वाली ट्रेन पूरे दिन में आठ चक्कर लगाती है। गंगा नदी पर बने सड़क पुल से वाहनों का परिचालन शुरू नहीं होने के कारण रेल ही यात्रा का एक मात्र माध्यम है। रेलवे अफसरों के अनुसार सात बोगी वाली ट्रेन में औसतन 600 लोग आराम से बैठकर सफर कर सकते हैं, लेकिन मुंगेर-तिलरथ और मुंगेर खगड़िया रेलखंड पर यह अनुपात संभव नहीं हो पा रहा है।
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पर्व-त्योहार के समय और बढ़ जाती है यात्रियों की संख्या ट्रेन में इतनी भीड़ रहती है कि लोग जान जोखिम में डालकर गेट पर लटककर या फिर खड़े होकर यात्रा कर रहे हैं। हर बोगी को 90 से 100 पैसेंजर क्षमता के अनुसार डिजाइन किया गया है। किसी विशेष दिन और छठ जैसे त्योहारी सीजन में यात्रियों की संख्या और भी बढ़ जाती है।
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पैर रखने तक की जगह नहीं होती
लोकल ट्रेन में कई बार इतनी भीड़ होती है कि पैर रखने तक की जगह नहीं होती है। गेट के पास ही कई यात्री बैठकर या लटककर सफर करते हुए दिखाई देते हैं।
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लंबित है कोच बढ़ाने का मामला
इस सेक्शन पर चलने वाली ट्रेनों में कोच बढ़ाने का मामला लंबित है। हर बार अधिकारी कोच की संख्या बढ़ाने का आश्वासन देते हैं। लेकिन कोच नहीं बढ़ा पा रहे हैं। इस कारण यात्रियों को परेशानी हो रही है।
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