क्रिकेट के ग्लैमर में गुम हो रही पहलवानी के दांव पेंच
संवाद सूत्र, मुंगेर : गांव देहात में अब कुश्ती काफी लोकप्रिय है। कुश्ती प्रतियोगिता देखने के लिए
संवाद सूत्र, मुंगेर : गांव देहात में अब कुश्ती काफी लोकप्रिय है। कुश्ती प्रतियोगिता देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती है। लेकिन, क्रिकेट के ग्लैमर ने कई अन्य खेलों की तरह कुश्ती प्रतियोगिता में भाग लेने वाले पहलवानों के दांव पेंच पर भी ग्रहण लगा दिया। सरकार की ओर से प्रोत्साहन नहीं मिलने के कारण अब कुश्ती खेल में नई पौध तैयार नहीं हो रही है। पहलवान भी कहते हैं कि कुश्ती भारत का परंपरागत खेल है। ऐसे में कुश्ती को बचाने के लिए सरकार की ओर से विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है।
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क्या कहते हैं पहलवान
मैं पहले अपने माता पिता के साथ खेती करता था। इसके बाद पिता के कहने पर बीते चार वर्षो से कुश्ती प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहा हूं। कुश्ती को बढ़ावा देने के लिए सरकार को विशेष प्रयास करना चाहिए। क्रिकेट खिलाड़ियों को जितनी सुविधा मिलती है, उतनी सुविधा पहलवानों को कहां मिल पाती है। सरकार नेशनल स्तर पर कुश्ती प्रतियोगिता में बेहतर करने वालों को नौकरी में आरक्षण देती है। इसलिए मैं नेशनल स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए मेहनत कर रहा हूं।
काशी यादव, तैमूर बिहार
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खेल को बढ़ावा देने के लिए सरकार को स्पष्ट नीति बनानी चाहिए। कुश्ती प्रतियोगिता में वर्षों भाग लेने के बाद पहलवानों को पेंशन दिया जाना चाहिए। तभी युवा कुश्ती के अखाड़े तक पहुंचेंगे। पहलवानी में जीवन समर्पित करने के बाद भी कुछ नहीं मिलता है, तो निराशा होती है।
रितेश यादव, गाजीपुर
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सरकार राज्य स्तर पर कुश्ती प्रतियोगिता करा कर चयनित पहलवानों को एक नियत राशि देने की घोषणा करें। ताकि, पहलवान उस राशि का उपयोग कर खुद को नेशनल और इंटर नेशनल प्रतियोगिता के लिए तैयार कर सकें।
वीर ¨सह, पहलवान
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पिछले कई 7 वर्षो से कुश्ती प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहा हूं। इस दौरान मैंने दर्जनों मेडल, ट्राफी जीती। इसके बाद भी सरकार की ओर से किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली है।
राकेश कुमार