खुद हुई मोटापा की शिकार, तो सुनीता ने समाज को स्वस्थ्य रखने का शुरू किया मुहिम
- रामपुर स्थित रेल कॉलोनी में चला रही है न्यूट्रिशन सेंटर - अभी 200 से ज्यादा महिला और प
- रामपुर स्थित रेल कॉलोनी में चला रही है न्यूट्रिशन सेंटर
- अभी 200 से ज्यादा महिला और पुरुष पहुंच रहे टिप्स लेने
केएम राज, संवाद सहयोगी, जमालपुर (मुंगेर) : जमालपुर में महिला योग गुरु के नाम से मशहूर सुनीता स्वस्थ्य समाज के निर्माण की मुहिम चला रही है। कुछ समय पूर्व सुनीता खुद मुटापा का शिकार हो गई। तीन वर्ष पूर्व ही सुनीता का वजन 90 से 95 किलोग्राम हो गया था। वजन बढ़ने के साथ ही कमर दर्द, गठिया, ट्यूमर और कब्ज जैसी बीमारियों ने सुनीता की परेशानी बढ़ा दी। लोग पैदल चलने की सलाह दे रहे थे। लेकिन, मोटापा के कारण कुछ दूर चलना भी सुनीता के लिए परेशानियों का सबब बन गया था। इसी दौरान उन्हें किसी ने न्यूट्रिशन कोर्स के साथ योग और व्यायाम से निरोग होने की बात बताई। सुनीता ने कहा कि न्यूट्रिशन कोर्स ने उन्हें नई ¨जदगी दे दी। वे कहती हैं कि आज न केवल उनका वजन घटा है, बल्कि वह पूरी तरह से निरोग भी हैं।
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क्वार्टर में चल रहा न्यूट्रिशन सेंटर, 45 मिनट का कोर्स हो रहा पूरा
रेलकर्मी कैलाश मंडल की पत्नी सुनीता कुमारी लौहनगरी में महिलाओं के साथ पुरुषों को निरोग बनाने के लिए अभियान चला रही है। रामपुर स्थित अपने रेल क्वार्टर में सुनीता ने न्यूट्रिशन सेंटर खोल कर मोटापा के साथ अन्य बीमारी से ग्रसित लोगों को स्वस्थ्य जीवन जीने की कला सिखा रही हैं। हर रोज 45 मिनट का कोर्स से लोगों को विशेषकर मोटापा से मुक्ति मिलती है। साथ ही साथ ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जैसे गंभीर बीमारियों का इलाज बिना दवाई खाए ही मिल रहा है।
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मोहल्ले और दूसरे इलाके के लोगों को फायदा
रेलकर्मी सुजीत कुमार, संजय कुमार, पूजा कुमारी, पल्लवी कुमारी, रंजीत कुमार, राममूर्ति, सत्येंद्र कुमार, सतीश, गोपाल प्रसाद, विक्की कुमार, सोनू कुमार आदि ने कहा कि सुनीता दीदी का वजन 95 किलो से ज्यादा था। किसी तरह घर के तमाम बंदिशों को छोड़ कर न्यूट्रीशन क्लासेस को ज्वाइन किया और तीन माह का कोर्स किया। इसके बाद उनका वजन लगभग 20 किलो घट गया।
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मूलमंत्र को अपने तक नहीं रखना चाहती है सीमित बीमारी से निरोग हुईं सुनीता इस मूलमंत्र को केवल अपने तक सीमिति नहीं रखना चाहती थीं। इसलिए उन्होंने आसपास की महिलाओं को भी योग सिखाने का बीड़ा उठाया। वे कहती हैं कि ¨जदगी के अंतिम क्षण तक वे महिलाओं को योग सिखाती रहेंगी। अब तक 200 से ज्यादा महिलाओं को निरोग कर चुकी है। इसमें न केवल मोहल्लों की कामकाजी महिलाएं हैं, बल्कि इसमें गृहणियां भी शामिल हैं।