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बालिका खो-खो में मुंगेर की बेटियां कायम कर रही बादशाहत

मुंगेर । खो खो के खेल में मुंगेर की बेटियां अपने सफलता का परचम लहरा रही है। एक दो नही

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 12:15 AM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 12:15 AM (IST)
बालिका खो-खो में मुंगेर की बेटियां कायम कर रही बादशाहत
बालिका खो-खो में मुंगेर की बेटियां कायम कर रही बादशाहत

मुंगेर । खो खो के खेल में मुंगेर की बेटियां अपने सफलता का परचम लहरा रही है। एक दो नहीं बल्कि आधे दर्जन से अधिक बेटियां राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में अपनी प्रतिभा का परचम लहरा चुकी हैं। यही कारण है कि अब मुंगेर में हर आयुवर्ग की लड़कियों में खो खो के प्रति क्रेज दिखने लगा है।

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ये है कुछ ऐसी प्रतिभाएं

मुंगेर शहर के कौड़ा मैदान की रूपा कुमारी ने 15 वर्ष की उम्र में पूर्णिया में आयोजित बिहार स्टेट चैंपियनशिप में में भाग लिया। मुंगेर खो खो टीम को विजेता बनाने में रूपा कुमारी का अहम योगदान रहा। वहीं इसी वर्ष रूपा ने बैगलौर में आयोजित एक भारत श्रेष्ठ भारत नेशनल चौंपियनशिप में जिला टीम की ओर से खेलते हुए टीम के लिए बेहतर प्रदर्शन किया। लखीसराय जिले भिड़हा गांव की मिष्टी मोनिका मुंगेर में रह कर शिक्षा ग्रहण कर रही है। मिष्टी भी महज 13 वर्ष की उम्र में अपनी खेल प्रतिभा के दम पर न सिर्फ जिला टीम में अपना स्थान बनाया बल्कि बैंगलौर में आयोजित एक भारत श्रेष्ठ भारत नेशनल चौंपियनशिप में अपनी खेल प्रतिभा का परचम लहराया। शहर के पूरबसराय की 17 वर्षीय हर्षिता श्रीवास्तव , लल्लूपोखर कालोनी की 13 वर्षीय मधु ¨सह , सुंदरपुर की 15 वर्षीय स्वर्णिम गर्ग, बासूदेवपुर की 18 वर्षीय अंजलि कुमारी, धरहरा पचरूखी की स्वाति कुमारी, एकासी टोला बरियापुर की अपराजिता, संदलपुर की राधिका प्रिया, जमालपुर फरदा की सुनीति भरद्वाज ,हेमजापुर की रिया जैन, चौरगांव असरगंज की युक्ता कुमारी आदि कई प्रतियोगिता में जिला का मान बढ़ा चुकी हैं।

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एक दिव्यांग तलाश रहा इनकी प्रतिभा

बेटियों की प्रतिभा निखारने में बरियारपुर प्रखंड के कल्याणपुर निवासी सह जिला खो खो एसोसिएशन के सचिव हरिमोहन ¨सह का अहम योगदान है। दिव्यांग होने के बाद भी हरिमोहन ¨सह स्वयं खो खो में स्टेट और नेशनल स्तर पर आयोजित होने वाले प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं। हरिमोहन ने कहा कि मुंगेर की बेटियां जब बेहतर प्रदर्शन करती हैं, तो लगता है कि मेरा जीने का उद्देश्य पूरा हो गया।


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