Move to Jagran APP

जल जीवन हरियाली अभियान को चिढ़ा रहा मुंह, नदी पर कब्जा करने की होड़

मुंगेर । जल संसाधन विभाग के अभियंताओं की उदासीनता के कारण दिनोंदिन नदी का स्वरूप बदल रहा ह

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 08:59 PM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 08:59 PM (IST)
जल जीवन हरियाली अभियान को चिढ़ा रहा मुंह, नदी पर कब्जा करने की होड़
जल जीवन हरियाली अभियान को चिढ़ा रहा मुंह, नदी पर कब्जा करने की होड़

मुंगेर । जल संसाधन विभाग के अभियंताओं की उदासीनता के कारण दिनोंदिन नदी का स्वरूप बदल रहा है। नदी की संरचना पर धड़ल्ले से अवैध कब्जा हो रहा है। इस कारण क्षेत्र में सिचाई प्रभावित हो रही है। नदी की बनी संरचना को धड़ल्ले से तोड़ा जा रहा है। मजबूत संरचना को मामूली मरम्मत के अभाव में टूट जाने के लिए छोड़ दिया गया है। विभाग की करोड़ों की राशि खर्च होने के बाद भी किसानों के खेतों को पानी की सुरक्षा नहीं है, तो तटीय गांवों को बचाने वाले तटबंध को बर्बाद कर उसे असुरक्षित किया जा रहा है। खनन, जलसंसाधन और नागरिक प्रशासन द्वारा जिम्मेवारियों को एक दूसरे पर थोप कर अंतत: नुकसान सरकारी राजस्व और जनता को पहुंचाया जा रहा है। बडुआ नदी से बालू एवं मिट्टी खनन, तटबंध को काट कर बेचना, तटबंध पर अवैध कब्जा करने, काउज वे को टूटने के लिए छोड़ देना जैसे कई अवैध कार्य विभागीय अधिकारियों की नाक के नीचे बड़े ही सुनियोजित तरीके से चल रहा है।

loksabha election banner

मिली जानकारी के अनुसार जल संसाधन विभाग द्वारा लगभग 35 वर्ष पूर्व बडुआ नदी में छत्रहार काउज वे बनाया गया। इसके बनने से तारापुर क्षेत्र के अठोरिया एवं खैराती खा नहर को अतिरिक्त पानी मिलने लगा। वर्तमान में काउजवे जर्जर हो गया है। इसकी मरम्मत कराए जाने की जरूरत किसान सिद्दत से महसूस कर रहे हैं। बीते तीन वर्षों से विभागीय अभियंता इसका प्राक्ककलन बनाने की बात कह रहे हैं। नदी के तटबंध को काट कर बालू माफिया बालू बेच रहे हैं। नदी के अंदरूनी भाग से धड़ल्ले से मिट्टी तक काटा जा रहा है। इतना ही नहीं जगह नहर पर मकान भी बनाया जा रहा है। चालू अवस्था में अब नदी में झोपड़ी डाले जा रहे हैं।

एसडीपीओ रमेश कुमार ने कहा कि विभागीय अभियंताओं ने इसको लेकर पुलिस से शिकायत नहीं की है। सीओ अजय सरकार ने कहा कि थोड़ा समय चाहिए। विभागीय कार्यपालक अभियंता रामजी चौधरी ने कहा कि उन्हें ऐसी कोई खबर नही है, हम जेई को भेजकर दिखवाते हैं। खनन विभाग के अधिकारी देखने तक नहीं आते हैं। सुरक्षा बांध को क्षतिग्रस्त किया जा रहा है, तो इसे बोंसी बाढ़ नियंत्रण की बता कह कर पल्ला झाड़ लिया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.