International Yoga Day : गंगा दर्शन योगाश्रम, जहां से पूरी दुनिया में फैला योग
बिहार के मुंगेर में स्वामी सत्यानंद सरस्वती द्वारा योग की शिक्षा के लिए योग विद्यालय की स्थापना की गई। International Yoga Day के अवसर पर यहां भी विशेष कार्यक्रम आयोजित है।
पटना [काजल]। बिहार के मुंगेर में स्थित 'गंगा दर्शन' योगाश्रम ने योग को विश्व पटल पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। इसके माध्यम से स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने योग को जन-जन तक पहुंचा दिया। उन्होंने बिहार में जिस योग क्रांति का सूत्रपात किया, उसका प्रभाव आज पूरी दुनिया पर दिख रहा है।
वर्ष 1964 में वसंत पंचमी के दिन स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने अपने परम गुरु परमहंस स्वामी शिवानंद की स्मृति में अखंड दीप प्रज्वलित कर इसकी शुरूआत की थी। वह दीप आज भी प्रकाशित है। ज्ञान की इस रोशनी के बल पर यह संस्थान योग के प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय योगदान कर रहा है। 21 जून को विश्व योग दिवस के अवसर पर भी यहां विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।
स्वामी सत्यानंद ने गंगा तट पर डाली नींव मुंगेर में गंगा तट पर स्थित एक पहाड़ी पर असामाजिक तत्वों का अड्डा था। यहां लोग दिन में भी जाने से डरते थे। यहां के ऐतिहासिक कर्णचौरा व प्राचीन जर्जर भवन पर शासन-प्रशासन की नजर नहीं थी। इस उपेक्षित स्थल पर वर्ष 1963-64 में स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने अपने गुरु स्वामी शिवानंद सरस्वती की प्रेरणा से 'शिवानंद योगाश्रम' की स्थापना की।
1983 तक हो चुका था वैश्विक विस्तार
योग की यह हल्की किरण 1983 में 'गंगा दर्शन' की स्थापना तक वैश्विक विस्तार पा चुकी थी। इसी गंगा दर्शन में वह योगाश्रम स्थित है, जिसे 20वीं सदी में एक बार फिर भारत में योग क्रांति का सूत्रधार बनने का गौरव प्राप्त है। इसका आध्यात्मिक प्रकाश आज भारत सहित विश्व के 40 से अधिक देशों में फैल रहा है।
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गुरु व संन्यासी का मिलन स्थल 'गंगा दर्शन'
गंगा दर्शन आश्रम कोई मठ-मंदिर नहीं, बल्कि यह गुरु व संन्यासी का वह मिलन स्थल है, जहां नि:स्वार्थ सेवा व सकारात्मक प्रवृत्ति का विकास किया जाता है।
योग शिक्षा का आधुनिक गुरुकुल
गंगा दर्शन वर्तमान में योग शिक्षा का एक आधुनिक गुरुकुल है। यहां एक महीने के प्रमाण पत्र से लेकर डॉक्टरेट तक के योग पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। एक समय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इस एकमात्र योग विवि की उपयोगिता देखकर इसे अपनी प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत संचालित कराया, लेकिन आश्रम के नियमों में बाधा पड़ती देख स्वामी जी ने यूजीसी से संबंध विच्छेद करना बेहतर समझा।
फ्रांस की शिक्षा पद्धति में शामिल है सत्यानंद योग
आज इस विशिष्ट योग शिक्षा केंद्र से प्रशिक्षित करीब 15 से 20 हजार शिष्य व करीब 13 से 15 सौ योग शिक्षक देश-विदेश में योग ज्ञान का प्रसार कर रहे हैं।
यही नहीं आज फ्रांस की शिक्षा पद्धति में भी मुंगेर योग संस्थान के संस्थापक सत्यानंद के योग की पढ़ाई हो रही है। स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने योग रिसर्च सेंटर की स्थापना कर जिसकी अनुशंसा की थी और योग को आम लोगों तक पहुंचा कर विश्व में योग क्रांति का जो सूत्रपात किया था उसी का परिणाम है कि आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग स्थापित हुआ है।
साधकों व श्रद्धालुओं के लिए सख्त नियम आश्रम में आने वाले साधकों व श्रद्धालुओं को यहां के सख्त नियमों का पालन करना पड़ता है। आश्रम में प्रतिदिन प्रात: चार बजे उठकर व्यक्तिगत साधना करनी पड़ती है। इसके बाद निर्धारित रूटीन के अनुसार कक्षाएं आरंभ होती हैं। सायं 6.30 में कीर्तन के बाद 7.30 बजे अपने कमरे में व्यक्तिगत साधना का समय निर्धारित है। रात्रि आठ बजे आवासीय परिसर बंद हो जाता है।
खास दिन होते विशेष आयोजन
यहां खास-खास दिन महामृत्युंजय मंत्र, शिव महिमा स्तोत्र, सौंदर्य लहरी, सुंदरकांड व हनुमान चालीसा का पाठ करने का नियम है। वसंत पंचमी के दिन हर साल आश्रम का स्थापना दिवस मनाया जाता है। इसके अलावा गुरु पूर्णिमा, नवरात्र, शिव जन्मोत्सव व स्वामी सत्यानंद संन्यास दिवस पर भी विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
विश्व योग सम्मेलन का आयोजन
स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने 1973 में मुंगेर में प्रथम विश्व योग सम्मेलन के माध्यम से देश व दुनिया का ध्यान योग की ओर केंद्रित किया था। 20 वर्षों बाद फिर 1993 में बिहार योग विद्यालय की स्वर्ण जयंती के अवसर पर द्वितीय विश्व योग सम्मेलन का आयोजन किया गया। पुनः स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने 2013 में मुंगेर में विश्व योग सम्मेलन के माध्यम से दुनिया में योग को स्थापित किया। आज भी यह परंपरा निर्बाध गति से चल रही है। देश- विदेश से लोग यहां योग की शिक्षा लेने आ रहे हैं।
विश्व के कोने-कोने से आते साधक
योगाश्रम की सहज व सादी व्यवस्था में मिलने वाली शांति से आकर्षित विश्व के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं। आज भी यहां अनेक विदेशी साधक योग का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। पश्चिम की भौतिकवादी संस्कृति से दूर आत्मिक शांति के लिए यहां हर साल हजारों आम व खास लोग आते हैं, लेकिन आश्रम की नजर में सभी समान होते हैं।
यहां खिंचे चले आए कलाम, इंदिरा व मोरारजी
योग विद्या के प्रचार-प्रसार के लिए आश्रम की व्यापक सराहना होती रही है। इससे प्रभावित होने वालों में शामिल न्यूजीलैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लिथ हालोस्की, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तथा तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी व मोरारजी देसाई तो केवल उदाहरण मात्र हैं।
बाबा रामदेव ने भी की सराहना
राजनीतिज्ञों के अलावा योग गुरु बाबा रामदेव भी योगाश्रम से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके थे। उन्होंने आश्रम के प्रमुख स्वामी निरंजनानंद सरस्वती को खुद से अधिक ज्ञानी बताते हुए कहा था कि 21वीं सदी योगज्ञान की होगी और भारत इसका मार्गदर्शक होगा।
बाबा रामदेव ने कहा कि स्वामी सत्यानंद महाराज ने योग का जो अलख जगाया, उसे ही वह घर-घर तक पहुंचने में लगे हैं। योग को वैज्ञानिक प्रमाणिकता के साथ दुनिया में स्थापित करने वाले स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने कहा था कि योग विद्या भारत की सबसे प्राचीन संस्कृति एवं जीवन पद्धति है, इसी विद्या के बल पर मनुष्य सुखी, समृद्धि एवं स्वास्थ्य जीवन बिता सकते हैं। इसलिए हर व्यक्ति को योग करना चाहिए।
परमहंस मेंहीं दास ने भी योगाश्रम की सराहना की थी।
...और रिखिया चले गए स्वामी सत्यानंद वर्ष 1972 में स्वामी निरंजनानंद सरस्वती को योगाश्रम का अध्यक्ष व प्रधान गुरु बना कर सत्यानंद सरस्वती तत्कालीन बिहार (अब झारखंड) में स्थित रिखिया चले गये। उन्होंने अपने जीवनकाल में बताया था कि रिखिया उनकी संन्यास दीक्षा का आश्रम है।
रिखिया क्षेत्र के अति निर्धन आदिवासी हजारों बच्चों-बड़ों को स्वामीजी ने काफी पिछड़ा पाकर उनकी सेवा और उत्थान का संकल्प लिया। यहां भी विशाल भूभाग में आश्रम तैयार हो गया। उन्होंने जीवनपर्यंत रिखिया के गांव-गांव के गरीब व उपेक्षित आदिवासी बच्चों को आश्रम में योगज्ञान के साथ परंपरागत शिक्षा देने के लिए विद्यालय चलाया।
योग दिवस पर आश्रम में विशेष कार्यक्रम
आश्रम से जुड़े मुंगेर के समाजसेवी शिवकुमार रूंगटा ने बताया कि 21 जून को सुबह 06.00 से 07.30 बजे तक विश्व योग दिवस के अवसर पर योगाश्रम के 'पादुका दर्शन' (आनंद भवन) में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। आश्रम ने 'प्रांगण से घर के आंगन तक' योग का कार्यक्रम आयोजित किया है। योगाश्रम 108 से अधिक जगहों पर भी प्रशिक्षण शिविर आयोजित करेगा। साथ ही डेढ़ हजार से अधिक घरों या सामुदायिक केंद्र की छतों, बरामदों, आंगन या अन्य खुली जगह पर ऐसे आयोजन होंगे।
खुद कर सकते योग
योगाश्रम ने लोगों से अपील की है कि सुबह छह बजे से अपने घर या सामुदायिक केंद्र की छत, बरामदे, आंगन या अन्य खुली जगह पर आसन और प्राणायाम करें। योगाश्रम के संदेश के अनुसार कोई भी व्यक्ति बिना किसी योग शिक्षक के भी इसे कर सकता है। सबसे पहले दो बार 'ओम' मंत्र का उच्चारण कर इसकी शुरूआत करें और अंत पांच चक्र 'सूर्य नमस्कार' से होगा।
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