किसान हर पांच साल जनप्रतिनिधियों से करते हैं सिचाई व्यवस्था की आस
मुंगेर । हर चुनाव में खड़े उम्मीदवार प्रखंड के किसानों को सिचाई की सुविधा उपलब्ध कराने क
मुंगेर । हर चुनाव में खड़े उम्मीदवार प्रखंड के किसानों को सिचाई की सुविधा उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाते हैं। लेकिन पांव साल बीत जाने पर भी किसानों के सिचाई के लिए जनप्रतिनिधियों के द्वारा कोई काम नहीं किया जाता है। जिसके कारण किसान मायूस रहते हैं। किसानों का कहना है कि हर चुनाव में प्रत्याशियों से वे लोग अपने क्षेत्र के विकास के साथ-साथ किसानों के लिए सिचाई की सुविधा उपलब्ध कराने की मांग करते हैं। हर बार उम्मीदवार चुनाव जीतने के बाद सबसे पहला काम किसानों के लिए सिचाई की व्यवस्था उपलब्ध कराने का बात करते हैं। लेकिन चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधि किसानों से किए गए वादे को भूल जाते हैं। यह किसी एक चुनाव की बात नहीं है बल्कि आजादी के बाद से आज तक किसान अपने जनप्रतिनिधियों से चौड़ क्षेत्र में सिचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के नाम पर मत देने का काम करते हैं। लेकिन आज तक किसानों की इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। क्षेत्र भ्रमण के दौरान किसान जब जनप्रतिनिधियों को इस की याद दिलाते हैं तब वे लोग पदाधिकारियों को बुलाकर सिचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए निरीक्षण करवा कर काम करना भूल जाते हैं।------------------------------------------
बोले किसान
किसान अनिल यादव, आजाद सिंह, संजय चौधरी, ज्योतिष कुमार पंकज कुमार सहित सैकड़ों किसानों का कहना है कि जनप्रतिनिधि चुनाव जीतने के बाद अपने वादा भूल जाते हैं। पांच साल तक जनप्रतिनिधियों को उनकी इस समस्या का समाधान का याद नहीं रहता है। लेकिन चुनाव के समय फिर से वोट मांगने आ जाते हैं। अगली बार उनकी समस्या के समाधान कर देने का आश्वासन देते हैं। इन किसानों का कहना है कि बार-बार छले जाने के बाद भी लोगों को अपने मताधिकार का प्रयोग करना पड़ता है। जिससे कि लोकतंत्र में अपनी भागीदारी निभा सकें। लेकिन किसानों की इस समस्या का समाधान करने वाला आज तक कोई भी नहीं हुआ है ।इन किसानों का कहना है कि क्षेत्र होकर पहाड़ी नदी बहती है। अगर पानी को रोकने का इंतजाम कर दिया जाय, या किसानों को वोरिग कराने के लिए सरकारी राशि दे तो सिचाई की समस्या का समाधान हो सकता है। इस चुनाव में भी किसान उम्मीदवार तथा जनप्रतिनिधियों से इस सवाल का जवाब मांगेंगे कि क्या उन लोगों की समस्या का समाधान सरकार के बस की बात नहीं है। ऐसे में किसी दल के उम्मीदवार को चुनना उसकी मजबूरी नहीं तो और क्या है।