हर्षोल्लास भगवान चित्रगुप्त की पूजा
झंझारपुर अनुमंडल के विभिन्न क्षेत्रों में कायस्थ समाज द्वारा बड़े ही धूमधाम एवं विधिविधान भगवान चित्रगुप्त की पूजा मनाया जा रहा है।
मधुबनी। झंझारपुर अनुमंडल के विभिन्न क्षेत्रों में कायस्थ समाज द्वारा बड़े ही धूमधाम एवं विधिविधान भगवान चित्रगुप्त की पूजा मनाया जा रहा है। कायस्थ वंशजों के कुल देवता के रूप में जगत विख्यात धर्मराज चित्रगुप्त की पूजा कार्तिक मास के द्वितीया तिथि को मनाए जाने की परम्परा सदियों से चला आ रहा है । इस संबंध में पं0 आलोक झा बताते हैं कि भगवान चित्रगुप्त ब्रह्मा के काया से उत्पन्न हुए और इनके वंशज कायस्थ कहलाए। उन्होंने बताया कि मशिभाजन संयुक्तशचरोशी त्वं महीतले, लेखनी च कटनी हस्त चित्रगुप्त नमोस्तुते । जो भी इस मंत्र के साथ भगवान चित्रगुप्त का स्मरण करे उसे यश, शौर्य, बुद्धि की प्राप्ति होती है तथा सारे कष्ट दूर हो जाते हैं । झंझारपुर प्रखंड परिसर स्थित भगवान चित्रगुप्त मंदिर में अनुमंडल में निवास करने वाले कायस्थ समाज के मनोज कुमार दास, विष्णुदेव लाल दास, प्रदीप कंठ, कुमार जितेंद्र, विनय कुमार दास बबलू, डॉ0 दिलीप कुमार आदि लोगों द्वारा विधिवत पूजा पाठ किया जा रहा है। उसी प्रकार अनुमंडल क्षेत्र के रतुपार, रेबारी, हटाढ़ रुपौली, नवानी, खड़ौआ, कनकपुरा, नवनगर, सिमरा, बलियारी, बेलारही आदि कायस्थ गांवों में बहुत ही धूमधाम से भगवान चित्रगुप्त की पूजा अर्चना किये जाने की खबर है । जगह-जगह पूजा को लेकर भव्य पंडाल का निर्माण किया गया है । चित्रांश समाजों में पूजा को लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है । रतुपार गांव स्थित तारकेश्वरनाथ महादेव मंदिर परिसर में भगवान चित्रगुप्त की पूजा को लेकर भव्य पूजा पंडाल बनाया गया है । पूजा समिति के समीर कुमार दास, कुमार अमित, सुजीत कुमार दास, मन्नू दास, जगत नारायण दास, कृष्ण नारायण चमन, राम नारायण सुमन, कुमार दिनेश्वर, भगवान जी, सीताराम दास, डॉ0 संजीव शमा, परमेश्वर लाल दास, नीरज, कंचन, दीक्षित दास आदि पूजा को लेकर काफी सक्रिय दिखे । जगह-जगह भजन संध्या के साथ-साथ रात्रि जागरण के हेतु सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया है ।