महिला जिला पार्षदों का अनिश्चितकालीन अनशन शुरू
पंचम राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में सरकार द्वारा जिला परिषद को प्रतिनिधायन मद में आवंटित राशि से योजनाओं की स्वीकृति में कई जिला पार्षदों के साथ कथिततौर पर पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए कई महिला जिला पार्षदों ने सोमवार से डीडीसी सह जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी कार्यालय के समक्ष अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दी है।
मधुबनी। पंचम राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में सरकार द्वारा जिला परिषद को प्रतिनिधायन मद में आवंटित राशि से योजनाओं की स्वीकृति में कई जिला पार्षदों के साथ कथिततौर पर पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए कई महिला जिला पार्षदों ने सोमवार से डीडीसी सह जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी कार्यालय के समक्ष अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दी है। अनिश्चितकालीन अनशन शुरू करने वाली महिला जिला पार्षदों में विक्रमशीला देवी, खूशबू कुमारी, शारदा निराला एवं मिथिलेश कुमारी शामिल हैं। उक्त चारों महिला जिला पार्षदों पांच मांगों के समर्थन में बेमियादी अनशन प्रारंभ कर दी है। अनशनकारी महिला जिला पार्षदों ने कहा कि कई जिला पार्षदों के क्षेत्र में योजनाओं में कटौती कर विकास कार्य को साजिश के तहत जिप अध्यक्ष द्वारा अवरुद्ध किया गया है। डीडीसी सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी एवं जिप अध्यक्ष द्वारा योजनाओं की स्वीकृति में मनमानी की गई है। जिला परिषद द्वारा अब तक मनरेगा योजनाओं का क्रियान्वयन भी शुरू नहीं किया गया है। ओडीएफ घोषित करने में भी अनियमितता बरती जा रही है। ओडीएफ घोषित करने में महज कागजी खानापूरी की जा रही है। धरातल पर ओडीएफ दिख ही नहीं रहा है। शौचालय निर्माण के लाभुकों से बीडीओ द्वारा दो हजार रुपये रिश्वत लिया जा रहा है। ओडीएफ घोषित पंचायत के सभी लाभुकों को शौचालय प्रोत्साहन मद की राशि का भुगतान नहीं किया गया है। जिला पार्षदों का प्रशासन द्वारा नोटिस नहीं लिया जा रहा है। सरकार द्वारा आवंटित राशि से योजनाओं की स्वीकृति में मनमानी कर जिप अध्यक्ष द्वारा राजनीतिक रोटी सेंकने का प्रयास किया जा रहा है। जिप अध्यक्ष अपने क्षेत्र में करीब 60 लाख रुपये की योजना स्वीकृत की है। जबकि कई जिला पार्षदों के क्षेत्र में सात लाख से दस लाख रुपये तक की ही योजना स्वीकृत की गई है। योजना स्वीकृत करने में जिप अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया गया है। बसैठ पंचायत को ओडीएफ तो घोषित कर दिया गया है, लेकिन धरातल पर यह पंचायत वास्तविक तौर पर खुले में शौच से मुक्त नहीं हुआ है। इस मामले की जांच की मांग भी उठाई गई। वहीं प्रतिनिधायन मद की राशि से योजनाओं की स्वीकृति में एकरूपता लाने की वकालत अनशनकारी महिला जिला पार्षदों ने की है।