वाटर लेवल नीचे जाने से कम पानी देने लगा चापाकल
इस वर्ष ठंड के इन दिनों जिले के कई इलाकों में वाटर लेवल नीचे जाने से चापाकलों ने कम पानी देने लगा है।
मधुबनी। इस वर्ष ठंड के इन दिनों जिले के कई इलाकों में वाटर लेवल नीचे जाने से चापाकलों ने कम पानी देने लगा है। शहरी क्षेत्र में सुबह में बेहतर मात्रा में पानी देने वाले अधिकांश चापाकल दिन चढ़ने के साथ कम पानी देने लगता है। जिससे चापाकल से पानी लेने वालों को अधिक समय तक चापाकल चलाने की परेशानी झेलना पड़ता हैं। इन दिनों वाटर लेवल नीचे जाने की शिकायत सामने आने से लोग अभी से ही आने वाले गर्मी के दिनों में संभावित जल संकट से बचाव की तैयारी में जुट गए हैं। करीब एक लाख की आबादी वाले शहर में लोग जल के लिए चापाकल के सहारे ही होते है। जाहिर है कि शहरी क्षेत्र में शहरी क्षेत्र में करीब चार दशक से नगर परिषद प्रशासन द्वारा घरों तक पेयजल आपूर्ति पूरी तरह ठप हैं। आमतौर पर गर्मी के दिनों में स्थानीय स्तर पर जल संकट की समस्या बनी रहती हैं। गर्मी चढ़ते ही जिले में तालाब, नदियां, झील, कुआं के अलावा चापाकल भी सूख जाता है। नल जल योजना का कार्य कई वार्ड में पूरा नही :
शहरी क्षेत्र में हर घर नल जल योजना के तहत कार्य की धीमी गति रहने से इस वर्ष गर्मी के दिनों में शहरवासियों को नल का जल के लाभ मिलने पर सवाल खड़ा हो गया है। विभागीय उदासीनता के कारण शहर के कई हिस्सों में हर घर नल जल योजना के तहत कार्य अधूरा पड़ा हैं। मालूम हो कि शहर के सभी 30 वार्डों में हर घर नल जल योजना के तहत कार्य शुरू किया गया। लेकिन अबतक किसी भी वार्ड में कार्य पूरा नही हो पाया हैं। जिससे लोग आज भी पानी के लिए चापाकलों निर्भर हैं। शहर में आम लोगों के लिए पेयजल हेतु बनाए गए वाटर पोस्टों का नामोनिशान तक मिट गया। नगर परिषद कार्यालय परिसर स्थित वाटर मीनार शोभा का बस्तु बनकर रह गया हैं। नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी आशुतोष आनंद चौधरी ने बताया कि शहरी क्षेत्र में हर घर नल जल योजना की समीक्षा कर इसे शीघ्र ही लागू करने का प्रयास होगा ताकि गर्मी के दिनों में लोगों को जल संकट से निजात मिल सके। शहरी में सार्वजनिक चापाकलों की स्थिति का आंकलन कर विभागीय स्तर पर समुचित कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए कर्मी को निर्देश दिया गया हैं।
'गर्मी के दिनों में होने वाले जल संकट से निजात के लिए नगर परिषद क्षेत्र के तालाबों की जीवित करने के दिशा में जिला प्रशासन के साथ-साथ नगर परिषद प्रशासन को गंभीर होने की जरुरत है। वर्षा जल के व्यर्थ बहाव को रोकते हुए तालाबों में संरक्षण आवश्यक है। इससे वाटर लेवल ठीक रहेगा।'
- नंदन झा 'जल ही जीवन है। जल का संरक्षण जरूरी है। जल श्रोतों को सूखने से हर कोई प्रभावित हो रहा हैं। अभी सचेत रहते हुए वह सभी उपाय अपनाना होगा जो जल को संरक्षित कर जल संकट का समाधान हो सके। जिससे आने वाले समय में जल संकट से बचा जा सके।'
- गुरू शरण सर्राफ