विकास की राष्ट्रीय व स्थानीय राजनीति का हिसाब करेंगे झझारपुर के वोटर
मिथिला की माटी खास है। मासूम हृदय के स्वामी यहा के लोग-बाग। इनके आतिथ्य का भोलापन देश में शायद ही कहीं मिले।
मधुबनी। मिथिला की माटी खास है। मासूम हृदय के स्वामी यहा के लोग-बाग। इनके आतिथ्य का भोलापन देश में शायद ही कहीं मिले। यहा स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देनेवाले वीर योद्धाओं की कहानी है। प्रात से राष्ट्रीय स्तर तक समाजवाद के नाम की राजनीति का असर भी। खुद के बूते प्रतिभा को राष्ट्रीय मानकों पर स्थापित करने का माद्दा रखने वाले युवा। गुरबत से निकलने को बेचैन गरीब बस्तिया। झझारपुर लोकसभा क्षेत्र। मुख्य सड़क से लेकर शहरी गलियों तक धूल उड़ा रहे वाहन। इन सबके बीच यहा की राजनीति थोड़ी उलझी है। लेकिन, चेहरे पर हल्की मुस्कान के साथ यहा के बुजुर्ग और युवा मतदाता इस बार की जंग को सीधा कर देते हैं। पढि़ए बूथ लाइव में झझारपुर से संजय कुमार उपाध्याय की रपट।
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नेताओं के अपने-अपने समीकरण
यह बिहार की झझारपुर सीट है। यहा तीसरे चरण में 23 अप्रैल को चुनाव होना है। सो, सभी दल और राजनीति के धुरंधर अपने-अपने समीकरणों को लेकर जनता के बीच दौड़ लगा रहे। पर, स्वतंत्रता संग्राम से अबतक स्थानीय लोगों के त्याग और सेवा संग जननायक कर्पूरी ठाकुर की राजनीति का स्वाद चख चुके वोटर इस बार सबकुछ सीधा चाहते हैं। लोग कहते हैं मतदान केंद्र सज रहे हैं। नेताओं की गाड़िया सड़कों पर नजर आने लगी हैं। हाथों में पर्चे दिए जाने लगे। लेकिन, सवाल वही है। विकास ..। जीवन के 80 बसंत देख चुकीं महिलाएं और पहली बार वोट देने वाले युवा दोनों के विचारों में समानता इस बात को बल देती है कि इस बार जो होगा, वह विकास के हिसाब का परिणाम होगा। मतदान केंद्र संख्या- 213 और 214 दोनों एक ही भवन में हैं। यहा चापाकल पर कुछ बच्चे खेल रहे हैं। स्कूल में बने इस बूथ के परिसर में बाहर से चहारदीवारी तो है। लेकिन, अंदर पहुंचते छोटा परिसर और इससे सटा बड़ा तालाब। यहीं मिलीं बिंदा देवी। रसोइया का काम करती हैं। इसी विद्यालय में। चुनाव का नाम लेते ही बिदक गईं। ..क्या करना है। वोट देना है, देंगे। पब्लिक तो त्रस्त है..। महिला बोली, रास्ता देख लीजिए, कहा दूर जाएंगे। स्कूल देख लीजिए। यह इस लोस के झझारपुर विधानसभा क्षेत्र का केंद्र था। अभी बिंदा बोल ही रही थीं, तभी 80 साल की बिंदेश्वरी देवी आ गईं। समझाने लगीं, रसोई, घर, सड़क, बिजली सब ठीक हो रहा है। लेकिन, बस्तियों में इनकी जाच नहीं हो रही है। --------------------
युवा मन चाह रहा विकास की रफ्तार बढ़े
हर चुनाव में युवा मतदाता माहौल बनाते हैं। निर्णायक भी होते हैं। इस बार के चुनाव में युवा मन बस यही चाहता है कि विकास की गाड़ी पटरी पर रहे। विकास की रफ्तार कभी कम नहीं हो। युवाओं के मन में कई सवाल हैं। लेकिन, टिकट बंटवारे से लेकर नेताओं के दल बदलने और छोड़ने की जो कहानी है, उसे वो समझ चुके हैं। झझारपुर नंगर पंचायत के वार्ड संख्या-04 निवासी मुरारी पोद्दार यहा के मतदान केंद्र संख्या-182 के वोटर हैं। कहते हैं, इस बार के चुनाव में पिछली सरकार के कायरें का मूल्यांकन करेंगे। ललित नारायण जनता महाविद्यालय में एमए के छात्र मो. निजामुद्दीन बोले, विकास बेहद जरूरी है।
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बेटियां चाहतीं हैं शिक्षा केबेहतर साधन
मतदान को लेकर इस बार पहली बार वोट देने जा रहीं बेटियों में खासा उत्साह है। वह विकसित भारत के निर्माण में सहभागी बनना चाहती हैं। ललित नारायण महिला महाविद्यालय में जंतु विज्ञान से स्नातक कर रहीं श्रुति कुमारी कहती हैं, हमारे झझारपुर में लड़कियों की उच्च शिक्षा के लिए बेहतर संस्थान नहीं है। एक भी अंगीभूत महिला कॉलेज नहीं है। पहली बार वोट करेंगी, सो विकसित भारत के निर्माण के लिए। हर्ष पति कॉलेज, मधेपुर में साइंस स्नातक अंतिम वर्ष की छात्रा शिवा कुमारी कहती हैं, राष्ट्र निर्माण में सहभागी बनना है। हमें मतदान का अवसर मिला है तो हम इस बार देश के लिए स्थाई और मजबूत सरकार चुनेंगे।
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ग्रामीण विकास अब भी आधा-अधूरा
कई इलाकों में विकास क्षेत्रीय व जातीय समीकरणों की राजनीति के चक्कर में आधा-अधूरा है। आज भी यहा के कई इलाके विकास की रोशनी से दूर हैं। सड़क टूटी, पुराने जर्जर तार। राजनगर (सु) विधानसभा क्षेत्र के सिसौनी निवासी पंकज कुमार शर्मा बीकॉम व बीएड ट्रेनिंग के बाद रोजगार की खोज में हैं। चुनाव की बात पर पहले मौन.. फिर बोलने लगे। चुनाव में क्षेत्रीयता साफ नजर आ रही है। ये अंधरा ठाड़ी मतदान केंद्र पर मत डालने जाते हैं। वोट का आधार विकास है। हम बेहतर चुनेंगे। लौकहा विधानसभा क्षेत्र के लौकहा निवासी राजेंद्र प्रसाद साह कहते हैं, चेहरे से काम नहीं चलेगा। जातीय बेड़िया भी टूट जाएंगी।
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विधानसभा क्षेत्र : झझारपुर, फुलपरास, खजौली, बाबूबरही, राजनगर (सु.) और लौकहा।
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