निर्वाचित प्रतिनिधियों पर आरोप पत्र गठित करने में बरती जाए सतर्कता
मधुबनी। त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के तहत निर्वाचित प्रतिनिधियों के विरुद्ध आरोप पत्र गठित करने के दौरान सतर्कता बरतने का निर्देश पंचायती राज विभाग ने दिया है।
मधुबनी। त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के तहत निर्वाचित प्रतिनिधियों के विरुद्ध आरोप पत्र गठित करने के दौरान सतर्कता बरतने का निर्देश पंचायती राज विभाग ने दिया है। पंचायती राज विभाग के निदेशक चंद्रशेखर सिंह ने इस संबंध में जिला पदाधिकारी एवं जिला पंचायत राज पदाधिकारी को पत्र जारी किया है। इसमें उल्लेख किया गया है कि यह बात संज्ञान में आ रही है कि धारा-18 (5) के अधीन कार्रवाई करने की अनुशंसा सरकार को भेजने के पूर्व जिलास्तर पर सम्यक जांच कराए बिना ही आरोप पत्र गठित कर दिया जाता है। लेकिन, बाद में अन्य स्तर से जांच कराने पर कई आरोप आधारहीन प्रमाणित हो जाता है। जबकि निर्वाचित प्रतिनिधियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के संबंध में विभाग द्वारा पहले से ही मानक संचालन प्रक्रिया के संबंध में जिला पदाधिकारी को अवगत कराया जा चुका है। फिर भी कई मामलों में साधारण आरोपों के आधार पर ही मुखिया के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करा देने का मामला संज्ञान में आया है। इससे मुखिया को अनावश्यक परेशानी उठानी पड़ती है।
निदेशक ने स्पष्ट किया है कि ऐसी स्थिति सरकार के लिए चिता का विषय है। इसी के मद्देनजर पंचायती राज विभाग के निदेशक ने जिला पदाधिकारी एवं पंचायत राज पदाधिकारी से अनुरोध किया है कि सक्षम प्राधिकारों से आरोपों की गहन जांच कराकर स्वयं संतुष्ट होने के बाद ही निर्वाचित प्रतिनिधियों के विरुद्ध आरोप पत्र गठित करने की कार्रवाई की जाए। जांच के दौरान विभाग द्वारा निर्गत मार्गनिर्देश तथा बिहार पंचायत (कार्यालय का निरीक्षण तथा कार्यकलापों की जांच, पर्यवेक्षण एवं मार्गदर्शन) नियमावली, 2014 के प्रावधानों का पूरी तरह पालन आवश्यक किया जाए।