कई बाधाओं को पार कर चल पड़ी ट्रेन
मधुबनी। लाखों लोगों की उम्मीदों को आज पंख लग गया। झंझारपुर-दरभंगा रेलखंड के मंडनमिश्र हॉल्ट-झंझारपुर खंड पर बड़ी ट्रेनों का परिचालन शुरू हुआ। मगर इस उम्मीद के पूरा होने में बार-बार कई बाधाएं आईं।
मधुबनी। लाखों लोगों की उम्मीदों को आज पंख लग गया। झंझारपुर-दरभंगा रेलखंड के मंडनमिश्र हॉल्ट-झंझारपुर खंड पर बड़ी ट्रेनों का परिचालन शुरू हुआ। मगर, इस उम्मीद के पूरा होने में बार-बार कई बाधाएं आईं। सकरी-निर्मली-लौकहा रेलखंड में आमान परिवर्तन की कहानी तब शुरू हुई जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी। वर्ष 2004 में तत्कालीन रेल मंत्री के रूप में नीतीश कुमार व रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीस ने इसकी आधारशिला रखी थी। वर्ष 2004 में दोनों तत्कालीन मंत्रियों ने स्थानीय ललित नारायण जनता महाविद्यालय में एक भव्य समारोह में आमान परिवर्तन की आधारशिला रखी थी। मगर, इसके पांच वर्ष बाद तक कोई काम नहीं हुआ। वर्ष 2009 में तत्कालीन सांसद देवेंद्र प्रसाद यादव ने फिर से झंझारपुर स्टेशन पर आमान परिवर्तन की आधारशिला वर्ष 2009 में रखी। मगर, इसी वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में वे हार गए। इसके बाद फिर कार्य जस का तस पड़ा रहा। देखते-देखते समय बीतता गया। क्षेत्र में लोग धरना-प्रदर्शन पर उतारू हो गए। समाजसेवी ओम प्रकाश पोद्दार, माले नेता योगनाथ मंडल, विजय दास समेत कई लोगों ने धरना दिया। मगर, नतीजा कुछ नहीं निकला।
इन बाधा और आंदोलन के बीच वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव हुआ। देश में नरेंद्र मोदी की लहर पर सवार होकर झंझारपुर से बीरेंद्र कुमार चौधरी भाजपा सांसद बने। उन्होंने लोकसभा में कई बार इस मामले को उठाया। साथ ही रेलमंत्री से मिलकर आमान परिवर्तन की मांग की। वर्ष 2017 के 27 मई को वह दिन आ गया जब रेलवे ने इस रेलखंड पर छोटी लाइन की गाड़ियों का परिचालन बंद करने की घोषणा कर दी। इसके साथ ही आमान परिवर्तन का काम दिखने लगा। काम प्रारंभ होने के ढाई माह छह दिन के बाद यानी तीन दिसंबर की तारीख ऐतिहासिक हो गई। इस तिथि को झंझारपुर से बड़ी लाइन पर सवारी गाड़ियों का परिचालन प्रारंभ हो गया है। एक लंबे सफर और अंतराल के बाद झंझारपुर के लोगों को रेलवे के द्वारा मिली रेल परिचालन की सौगात लोगों को सुख दे रही है।