वाहन परिचालन के समय ब्लोअर के उपयोग में लापरवाही होती खतरनाक
ठंड के मौसम में चार पहिए वाहन में सफर करते समय खास सावधानी की जरूरत होती है।
मधुबनी। ठंड के मौसम में चार पहिए वाहन में सफर करते समय खास सावधानी की जरूरत होती है। इसके लिए चालक को छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना चाहिए। चार पहिए वाहन में परिचालन के समय ठंड से बचने के लिए हीटर के प्रयोग में थोड़ी लापरवाही खतरनाक साबित होता है। कुहासा और शीतलहर के मौसम में चार पहिए वाहन से यात्रा के समय वाहन की लाइट और इंडिकेटर की जांच कर लेना चाहिए। लाइट और इंडिकेटर ठीक होने पर उसे पानी से साफ कर देना चाहिए। ठंड के मौसम में वाहन में सावधानी पूर्वक हीटर का प्रयोग करना चाहिए। ठंड में अक्सर वाहन की बैटरी का स्टार्टअप कम हो जाता है। ऐसी स्थिति में वाहन स्टार्ट करते ही ठंडे पड़े इंजन को गर्म होने का मौका देना चाहिए। वाहन का इंजन गर्म होने के बाद ही हीटर ऑन करना चाहिए। आधा घंटे के अंतराल पर कुछ समय के लिए हीटर बंद कर देना होता जरुरी भीषण कुहासे के कारण वाहन के अंदर भी कुहासा का प्रवेश हो जाता हैं। ऐसे समय में वाहन का हीटर चलाना चाहिए। बीच-बीच में करीब आधा घंटे के अंतराल पर कुछ समय के लिए हीटर बंद कर देना जरुरी होता हैं। जाहिर है कि गाड़ी के अंदर का तापमान बढ़ जाना नुकसानदायक साबित होता है। वाहन परिचालन के दौरान रास्ते में रुकने पर बच्चों को वाहन के अंदर बैठाकर हीटर नहीं चलाना चाहिए। तापमान अधिक होने के कारण वह बीमार भी पड़ सकते हैं। कहीं अच्छी तो कहीं जर्जर सड़क बन रही दुर्घटनाओं की गवाह क्षेत्र में कही अच्छी तो कही जर्जर सड़क बन रहा दुर्घटनाओं का गवाह। बेहतर सड़क पर स्पीड और बदतर सड़कों पर वाहनों का असंतुलन दुर्घटनाओं को आमंत्रण देता रहा है। जिला मुख्यालय से ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़ने वाली कई सड़कों की बदतर स्थिति से हर कोई भयभीत होते है। वाहनों के परिचालन के समय दुर्घटना की आशंका सताती रहती है। दुर्घटना जोन बना झंझारपुर का मोहना चौक झंझारपुर अनुमंडल मुख्यालय से सटे एनएच 57 के मोहना चौक से गुजरने वाले छोटे-बड़े वाहनों एवं पैदल यात्रियों के लिए भी यह चौक जानलेवा बन गया है। वर्ष 2006 में फोरलेन का निर्माण प्रारंभ होने के बाद वर्ष 2010 में इस सड़क को यातायात के लिए खोला गया था। उसी समय से यह दुर्घटना जोन बना हुआ है। गत सात वर्षो में दर्जनों छोटी-बड़ी दुर्घटनाओं में छह दर्जन से अधिक लोगों की जानें जा चुकी हैं। बड़ी संख्या में लोग अपना हाथ-पांव गवां चुके हैं। एनएच 57 कंट्रोल रुम एडमिन संजय झा के अनुसार एनएच 57 पर सड़क दुर्घटना के जख्मियों को ससमय स्वास्थ्य केन्द्र तक पहुंचाने के लिए कंट्रोल रूम के मोबाइल नं. 8298419419 या फिर एम्बुलेंस पर तैनात चिकित्सक के मोबाइल नं. 7808888552 पर सूचना दे सकते है। ट्रैफिक नियमों की उड़ रही धज्जियां यातायात नियमों की उड़ रही धज्जियों के प्रति प्रशासन अब भी बेखबर है। व्यावसायिक वाहनों में फाग लाइट, हेड लाइट, ब्रेक लाइट, पार्किंग लाइट, कलर रिफलेक्टर टेप सहित अन्य विभागीय मापदंडों का उल्लंघन आम बात हो गई है। क्षेत्र में आने वाले फोर लेन एनएच 57, एसएच 51, 52, 77 तथा एनएच 105 पर डिवाइडर्स, पार्किंग प्लांट, कलर लाइट रिफलेक्टर का तो अनुपालन नहीं किया जा रहा है। नो पार्किंग जोन में अवैध पार्किंग, नो हार्न जोन की उपेक्षा, चौक-चौराहों पर ट्रैफिक लाइट का अभाव, अस्पताल, स्कूल के समक्ष यातायात संकेतक के अभाव के बीच गति सीमा उल्लंघन के मामले सामने आते रहे है। किसी भी दुर्घटना के शिकार लोगों की सहायता तुरंत करना चाहिए। त्वरित उपचार से दुर्घटना के शिकार लोगों को बचाया जा सकता है। इस तरह का कार्य समाजसेवा के समान होता है। किसी भी प्रकार के नशा का पान कर वाहन नही चलाएं। हमेशा बाएं से अपनी लेन में ही गाड़ी चलाएं।
- मो. वसीम, समाजसेवी बाइक चलाने के समय हेलमेट का प्रयोग करें। तेज रफ्तार से वाहन न चलाएं। वाहनों के ड्राइवर सीट बेल्ट का निश्चित रूप से प्रयोग करें। बाइक, साइकिल पर गैस सिलेंडर सहित अधिक भार बड़े आकार का सामान लादने से परहेज करें। वाहन चलाने का कार्य केवल जिम्मेदार चालक ही करें।
- विद्या सागर, समाजसेवी यातायात नियमों के पालन के दिशा में विभाग द्वारा निरंतर वाहन चे¨कग अभियान चलाया जा रहा है। वाहन चालकों को यात्रा के दौरान मोबाइल के प्रयोग से परहेज करना चाहिए। राजमार्ग पार करते समय बाईं एवं दाईं दोनों दिशा देखकर कर ही आगे बढ़ें। वाहन चालकों को नियमों का पालन करना चाहिए।
- सुजीत कुमार, जिला परिवहन पदाधिकारी
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