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आर्थिक समृद्धि की राह में अनदेखी का रोड़ा

यह झझारपुर की आर्थिक राजधानी के रूप में ख्यात है। घोघरडीहा के नाम से जाना जाता है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 12:11 AM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2019 06:20 AM (IST)
आर्थिक समृद्धि की राह में अनदेखी का रोड़ा
आर्थिक समृद्धि की राह में अनदेखी का रोड़ा

मधुबनी। यह झझारपुर की आर्थिक राजधानी के रूप में ख्यात है। घोघरडीहा के नाम से जाना जाता है। जब से है, तब से मेहनती लोगों की बदौलत विकास की राह पर है। इस दयार का लोहा सरकार भी मानती है। साल 2002 में नगर पंचायत का दर्जा देकर इसके विकास की राह शहरीकरण के जरिए आसान करने की कवायद हुई। लेकिन, यकीन से परे है कि डोलती सड़क, अतिक्रमण और गंदगी इसकी पहचान बनने लगी। स्थानीय लोग कहते हैं, बर्बाद भ गेलै..। लेकिन चुनाव छई त.. वोट त देवे करबै। देखिए, घोघरडीहा का आम अदमी क्या कह रहा। झझारपुर से शैलेंद्र नाथ झा की रपट।

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विपरीत है आज की स्थिति

घोघरडीहा में प्रवेश पाने के साथ व्यवसाय की एक बड़ी मंडी का आकार सामने होता है। यह स्थान आर्थिक हलचल के लिए अपनी अमिट पहचान कायम कर चुका है। यहा के व्यवसायियों की व्यावसायिक क्षमता मधुबनी जिले के किसी भी शहर से अधिक है। कहते हैं कभी यहा का व्यापार सूबे में 11वें स्थान पर था। आज स्थिति थोड़ी विपरीत है। रेलवे के आमान परिवर्तन में हो रही देरी एक कारण है। तीन साल से रेल यातायात बंद है। कपड़े से लेकर किराना व्यवसाय मंद पड़ा है। व्यावसायिक महत्व को देखते हुए इसे नगर पंचायत बना दिया गया। समुचित विकास की उम्मीद जगी। लेकिन, नगर पंचायत अपने उद्देश्यों में पूरी तौर पर सफल नहीं हो सकी। शहर में कायम गंदगी, जलजमाव, खस्ताहाल सड़क नपं के विकास की कहानी बता जाते हैं। फुलपरास की ओर से यहा आनेवाली टूटी सड़क पर जमा पानी से आनेवाली सड़ाध शहर की पहचान बनती जा रही। अब लोग चाहते हैं कि उनके प्रतिनिधि अपनी इच्छाशक्ति बढ़ाएं और जमीन पर काम को देखें। लोकसभा चुनाव का वक्त और आम आदमी के दर्द के बीच रोज जंग हो रही। सवाल राष्ट्रीय स्तर के चुनाव का है, सो लोग इसे स्थानीय चुनाव में उठाने की बात तो करते हैं। पर, यह भी कहते हैं नेता आएंगे तो बताएंगे, परेशानी क्या है।

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जो विकास करेगा, उसी को देंगे वोट

बाजार के मध्य स्थित खाटू श्याम मंदिर में बैठे लोग चुनावी मंथन कर रहे। चर्चा ऐसी, जिसमें सभी को बोलने का अधिकार। फुलकाही के श्याम यादव कहते हैं, हम मसाला बेचै छी। चुनाव छई.. चुनाव। वोट देवै। मुद्दा राष्ट्रीयता। विकास के नाम पर कहते हैं, सब एके बेर थोड़े होई छई..। विकासो हेबे करतै। पैंट-शर्ट सलीके से पहने वयस्क चंद्रभूषण प्रसाद कहते हैं, बाजार में नाला अनुपयोगी है, यह सिरदर्द है। यह पूछने पर क्या इस चुनाव में उनके लिए यह एक मुद्दा होगा। उल्टे सवाल कर देते हैं, ई सब काज त स्थानीय स्तर के छई। नरहिया बाजार निवासी युवक शिवशकर कुमार पाचवीं तक पढ़े हैं। कहते हैं कि जखन पढ़ै के समय छलई तहन स्कूल में व्यवस्था ठीक नई छलई आ परिवारक बोझ के कारणे नई पइढ़ सकलउं। रोजगार में छी लेकिन..। चुनाव के बाबत कहते हैं, जे विकास करतै ओकरे वोट देवै। नगर पंचायत के वार्ड चार निवासी विश्वनाथ भगत चुनावी मुद्दा पूछने पर घूरते हैं.. मुस्कुराते हैं.. कहते हैं..राष्ट्र सर्वोपरि है। यहीं रतन भगत बैठे मिल जाते हैं। कहते हैं, चाय की दुकान है। इस बार का मुद्दा रोजगार और शिक्षा। फिर बोलने लगते हैं, नीति ऐसी हो कि जवान शहीद न हों।

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जानिए क्या है, जनता का दर्द

घोघरडीहा बाजार में समस्याए कई हैं। यहा ऑटो स्टैंड नहीं। सड़क किनारे लगनेवाले बेतरतीब वाहन लोगों को तकलीफ देते हैं। सब्जी मंडी भी सड़क पर ही है। सड़क अतिक्रमित है। बाजार को आर्थिक गलियारे में तब्दील करने के लिए रेलवे लाइन का शीघ्र चालू होना जरूरी है। मेनही गाव से सिमराहा तक सड़क बन जाए तो व्यवसाय की नगरी का भला हो।

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