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वर्ग कक्ष में दिखी गंदगी, चापाकल भी खराब

मधुबनी। सरकारी कोशिशों के बावजूद स्कूलों में सरकारी योजनाएं कागज पर दौड़ रही है। संसाधनों की कमी सबसे बड़ी बाधा है। शिक्षकों की कमी ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। वहीं निजी स्कूलों की बाढ़ ने सरकारी स्कूलों की कमर तोड़ दी है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Jul 2019 11:06 PM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 11:06 PM (IST)
वर्ग कक्ष में दिखी गंदगी, चापाकल भी खराब
वर्ग कक्ष में दिखी गंदगी, चापाकल भी खराब

मधुबनी। सरकारी कोशिशों के बावजूद स्कूलों में सरकारी योजनाएं कागज पर दौड़ रही है। संसाधनों की कमी सबसे बड़ी बाधा है। शिक्षकों की कमी ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। वहीं निजी स्कूलों की बाढ़ ने सरकारी स्कूलों की कमर तोड़ दी है। माध्यमिक शिक्षा में सुधार के दावे में भी दम नहीं दिख रहा है। स्कूलों में बेहतर माहौल का अभाव है। स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर एक ओर जहां केंद्र और राज्य सरकार पानी की तरह पैसा बहा रही है। मिड डे मील, पोशाक, छात्रवृत्ति देने से लेकर शिक्षकों की बहाली और चकाचक भवन बनाए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है। शिक्षकों की लापरवाही एवं अभिभावकों की निष्क्रियता भी इसकी वजह है। इसी परिप्रेक्ष्य में दैनिक जागरण के ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड अभियान के तहत गुरुवार को करीब 10 बजे मधवापुर प्रखंड के वासुकी बिहारी दक्षिणी पंचायत के वासुकी चौक स्थित राजकीय मध्य विद्यालय का जायजा लिया। नामांकित 580 में मात्र 375 बच्चे थे उपस्थित विद्यालय पहुंचने पर देखा कि विद्यालय प्रधान शिक्षक कार्यालय में कुर्सी पर बैठे थे। अन्य शिक्षक वर्ग कक्ष में छात्रों की हाजरी बनाने में व्यस्त थे। बच्चे बरामदे में शोर मचा रहे थे। विद्यालय में नामांकित 580 छात्रों में 375 विभिन्न वर्ग कक्ष में मौजूद थे। हमें देख विधालय प्रधान शिक्षक राजेश कुमार रंजन कार्यालय से निकल कर रसोइयों को भोजन बनाने का निर्देश देने लगे। जबकि रसोईया एमडीएम बनाने की प्रक्रिया में लगे हुए थे। पूछने पर प्रधान शिक्षक ने बताया कि सुबह से बारिश होने के कारण विद्यालय में छात्रों की उपस्थिति आज कम है। हमने कक्षा चार की छात्रा रीता कुमारी से पूछा कि बिहार के मुख्यमंत्री का नाम बताओ तो छात्रा गुम हो गई। यही हाल अन्य बच्चों का था। विषयगत सामान्य प्रश्नों का उत्तर भी छात्र सही तरीके से नहीं दे सके।

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यूनीफार्म में नहीं आते बच्चे

विद्यालय के अधिकांश बच्चे यूनीफार्म में नहीं थे और बच्चे जमीन पर बैठकर शोर मचा रहे थे। शिक्षक बरामदे में बच्चों को शांत करा रहे थे। विद्यालय में कहने के लिए तीन शौचालय है परंतु स्वच्छता का अभाव दिखा। चापाकल चार में दो चालू स्थिति में है। विद्यालय के कमरे और परिसर कूड़े कचरों से पटा हुआ था। स्वच्छता के प्रति ना तो शिक्षकों में कोई उत्साह देखा गया और साफ दी। विद्यालय परिसर में जलजमाव के साथ ही मुख्य सड़क से विद्यालय में प्रवेश के रास्ते कीचड़ में सना हुआ है।

शिक्षा व्यवस्था में पाई गई कमी

संसाधन के अभाव के कारण विद्यालय के बच्चों का पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है। शिक्षा व्यवस्था में काफी कमी पाई गई। आए दिन शिक्षकों के देर से विद्यालय पहुंचने की नियति सी बन चुकी है जिस कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का यहां घोर अभाव देखा जा रहा है। विद्यालय के 450 छात्रों के बीच पोशाक और छात्रवृत्ति की राशि दी गई है।

क्या कहते प्रधान शिक्षक

प्रधान शिक्षक राजेश कुमार रंजन ने बताया कि प्रति दिन समय से विद्यालय पहुंचते हैं। सुबह से बारिश होने के कारण विधालय में छात्रों की उपस्थिति कम है। विद्यालय परिसर में जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं रहने से जलजमाव की स्थिति बनी हुई है। तथा चहारदीवारी कई जगहों पर क्षतिग्रस्त हो गया। इसको लेकर विभाग को लिखा जा चुका है। खराब चापाकल को अविलंब ठीक कराया जाएगा।

प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी उमेश बैठा ने बताया कि विद्यालयों में शिक्षण व्यवस्था की कमियों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।


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