शिल्पावतार बाबा विश्वकर्मा के पूजा-अर्चना को ले चहुंओर उत्साह
शिल्पावतार बाबा विश्वकर्मा की पूजा अर्चना को लेकर आज सोमवार को सुबह में जगह-जगह भव्य कलश यात्रा निकाली जाएगी।
मधुबनी। शिल्पावतार बाबा विश्वकर्मा की पूजा अर्चना को लेकर आज सोमवार को सुबह में जगह-जगह भव्य कलश यात्रा निकाली जाएगी। कलश स्थापन के बाद पूजा स्थलों पर स्थापित बाबा विश्वकर्मा की प्रतिमा का पूजा-अर्चना किया जाएगा। विश्वकर्मा पूजा को लेकर विभिन्न प्रतिष्ठान व गैरेजों की आकर्षक सजाया की गई है। जगमग लाइट व ध्वनि विस्तारक यंत्र लगाए गए हैं। शहर के स्टेशन चौक स्थित बाबा विश्वकर्मा मंदिर के अलावा अनेक छोटे-बड़े सरकारी-गैर सरकारी प्रतिष्ठानों पर भव्य पंडालों में बाबा विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित करने का सिलसिला देर रात्रि तक चलता रहा। शंकर चौक, गंगासागर चौक, निजी बस पड़ाव चौक, चकदह, सप्ता, गदियानी, कोइलख, भगवती चौक सहित विभिन्न हिस्सों में विश्वकर्मा पूजा पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन-कीर्तन कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। सजावट के लिए गेंदा फूलों की बनी रही मांग बाबा विश्वकर्मा की पूजा से प्रतिमाओं का कारोबार के अलावा सजावट व अन्य सामग्री की खरीद-बिक्री में बड़े पैमाने पर इजाफा देखा जा रहा है। पूजा पंडाल की सजावट के लिए गेंदा फूलों की मांग काफी बनी रही। पिछले वर्ष के अनुपात इस वर्ष बाबा विश्वकर्मा के प्रतिमाओं के मूल्यों में 10 प्रतिशत की इजाफा आंकी गई है। वहीं पूजा में प्रसाद के लिए खीरा बुंदिया 150 रुपये प्रतिकिलो की दर पर पहुंच गया है। मूíतकार रामप्रसाद पंडित कहते हैं कि प्रतिमा निर्माण में मिट्टी, सूत, रंग, लकड़ी आदि के मूल्यों में निरंतर बढ़ोतरी के कारण प्रतिमाओं का कीमत बढ़ना लाजमी है। जिससे प्रतिमाओं पर बचत पूर्व की भांति नहीं हो पा रही है। बाबा विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना का शुभ मुहूर्त पूर्वाह्न 10. 17 से 12. 34 तक फोटो 16 एमडीबी 21
किसी भी अनुषठान के लिए शुभ मुहूर्त का ख्याल रखा जाना जरुरी होता हैं। बाबा विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना शुभ मुहूर्त की जानकारी देते हुए ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषिनाथ झा ने बताया कि इस वर्ष बाबा विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना के सोमवार सुबह से सुबह 10. 17 बजे से दिन के 12. 34 तक का समय शुभ माना गया है। पूजा के लिए आवश्यक सामग्री में अक्षत, फुल, चंदन, धूप, अगरबत्ती, पान, सुपारी, फल, मिठाई आदि वस्तुओं की जरुरत होगी। श्री झा के अनुसार भगवान विष्णु के अनेक स्वरूपों में बाबा विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना आदि काल से होती आ रही है। भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना का महत्व व दायरा बढ़ता ही जा रहा है। कल-कारखानों से लेकर छोटे गैरेजों, वाहन संचालकों द्वारा भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन खासकर कल-कारखानों से लेकर छोटे-बड़े गैरेजों के अलावा वाहन संचालकों द्वारा निश्चित रूप से भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना से उपकरणों पर आधारित उद्योग धंधा में तरक्की होती है। भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना सभी लोगों को करना चाहिए। पूजा-अर्चना से किसी भी उद्योग धंधे में निश्चित रूप से सफलता मिलती है।