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बैंक ग्राहकों को हरसंभव लाभ मुहैया कराने को एसबीआइ गंभीर

मधुबनी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) के सूड़ी स्कूल चौक स्थित आरबीओ शाखा में परिचर्चा सत्र का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Aug 2019 10:27 PM (IST)Updated: Sun, 18 Aug 2019 10:27 PM (IST)
बैंक ग्राहकों को हरसंभव लाभ मुहैया कराने को एसबीआइ गंभीर
बैंक ग्राहकों को हरसंभव लाभ मुहैया कराने को एसबीआइ गंभीर

मधुबनी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) के सूड़ी स्कूल चौक स्थित आरबीओ शाखा में परिचर्चा सत्र का आयोजन किया गया। परिचर्चा में राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए बैंक हित में नए विचारों और सुझावों को सामने लाने, बैंक के प्रदर्शन की समीक्षा करते हुए जमीनी स्तर से सुझाव पाने या बैंक की बॉटम-अप कंसल्टेटिव प्रक्रिया के पहले चरण को तैयार करने के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया गया। दो दिवसीय परिचर्चा में मधुबनी क्षेत्र में कार्यरत 25 शाखा प्रबंधकों के साथ बैंक के उप महाप्रबंधक आइके गोहिल, क्षेत्रीय प्रबंधक व्यवसाय निशीथ ने हिस्सा लिया। परिचर्चा में वरिष्ठ नागरिकों को एटीएम, डेबिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिग की जानकारी देने के लिए शाखा द्वारा ग्राहक गोष्ठी आयोजित करने पर बल दिया गया। वहीं वरिष्ठ नागरिकों के बचत खाते खोलने को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के साथ वरिष्ठ नागरिकों द्वारा डेबिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिग सुविधा के उपयोग को प्रेरित करने के लिए विशेष अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। परिचर्चा में निर्णय लिया गया कि महिला स्वयं सहायता समूह को बढ़ावा देते हुए त्वरित ऋण लिकेज प्रदान किया जाय। प्रधानमंत्री गृह आवास योजना, बैंको के गृह निर्माण एवं प्लॉट क्रय जैसी सुविधाओं के लिए उपलब्ध वित्तीय सुविधा का लाभ को अधिक से अधिक लोगों को मुहैया कराया जाय। रोजगार सृजन क्षेत्र विस्तार होना चाहिए ताकि छात्रों को रोजगार मिले और समय पर ऋण चुकता हो सके। बैंक का एनपीए कम हो सके। बैंकों को सौर्य ऊर्जा, जैव ऊर्जा, पवन चक्कियों जैसे नवीकरणीय ऊर्जा के लिए परियोजनाओं को वित्त पोषित करना चाहिए। सरकारी संस्थानों के साथ इन उद्योगों के व्यवस्था, एमओयू के अधीन रिसाइक्लिग उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए। व्यापारियों, उपयोगकर्ताओं को पीओएस, आइएनबी, मोबाइल बैंकिग आदि जैसे नकदी रहित उत्पादों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। ग्राहकों द्वारा डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। ग्रामीण आय में पर्याप्त वृद्धि के पूरक के लिए केसीसी, एटीएल के अलावा संबद्ध कृषि गतिविधियों के लिए वित्त पोषण मे वृद्धि की जानी चाहिए। ऋण को बढ़ाने और अंतिम रूप देने के लिए अर्थ वयवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को चिन्हित करने, नवाचारों को लाने और बिग डेटा एनालिटिक्स को सक्षम बनाने के लिए प्रधौगिकी का उपयोग बढाने, बैंकिग को नागरिक केन्द्रित करने के साथ-साथ वरिष्ठ नागरिकों, किसानों, छोटे उद्योग, उधमों, युवाओं, छात्रों और महिलाओं की जरूरतों और आकांक्षाओं के प्रति अधिक उत्तरदायी बनाने पर काफी जोर दिया गया। परिचर्चा में सामूहिक रूप से कई कार्यान्वयन योग्य और अभिनव सुझावों की पहचान की गई। बैंक के प्रदर्शन को बेहतर बनाने और भविष्य के रोड्मेप को तैयार करने मे मदद कर सके। परिचर्चा में लिए गए निर्णय और सुझावों से रिजनल-कार्यालय का अवगत कराये जाने का निर्णय लिया गया।

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