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लालटेनगंज उपन्यास के लिए सम्मानित हुए सच्चिदानंद सच्चू

मधुबनी । अनुमंडल क्षेत्र के चनौरागंज के राधाकृष्ण मंदिर परिसर में लक्ष्मी-हरि स्मृति उपन्यास सम्मान समारोह सह कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Sep 2021 11:21 PM (IST)Updated: Tue, 28 Sep 2021 11:21 PM (IST)
लालटेनगंज उपन्यास के लिए सम्मानित हुए सच्चिदानंद सच्चू
लालटेनगंज उपन्यास के लिए सम्मानित हुए सच्चिदानंद सच्चू

मधुबनी । अनुमंडल क्षेत्र के चनौरागंज के राधाकृष्ण मंदिर परिसर में लक्ष्मी-हरि स्मृति उपन्यास सम्मान समारोह सह कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम तीन सत्रों में संपन्न हुआ। अंतिका प्रकाशन की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम ने नवोदित साहित्यकारों, उपन्यासकारों एवं कवियों को अपनी प्रतिभा को उजागर करने का अवसर मिला। लेखकों के रचना की पांडूलिपि को जूड़ी की कसौटी पर कसने के बाद उसे न केवल पुस्तक के रुप में प्रकाशित किया जाता है, बल्कि लेखक को उनके पुस्तक के लिए सम्मानित भी किया जाता है। इस कार्यक्रम की इस थीम के कारण लेखकों को अपनी प्रतिभा को पाठकों तक लाना आसान हो जाता है। यह बातें कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. भीमनाथ झा ने कही। आयोजन समिति के सदस्य कहानीकार. आलोचक श्रीधरम ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य मैथिली में बेहतर उपन्यास लेखन को बढ़ावा देना है। कार्यक्रम की शुरुआत हरिदास की आत्मकथा जनम जुआ मति हारहु के लोकार्पण से किया गया। फिर हरिदास के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तृत चर्चा हुई। इसके बाद सच्चिदानंद सच्चू को उनके उपन्यास लालटेनगंज के लिए सम्मानित किया गया। उन्हें स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र और अंग वस्त्र से पुरस्कृत कर 11 हजार की प्रोत्साहन राशि और पुस्तक की लेखकीय प्रति दी गई। कथाकार अशोक ने कहा कि अब तक जितनी भी ऐतिहासिक बातें लिखी हुई है वह राजा महाराजाओं के इतिहास की बात लिखी हुई है। यह आत्मकथा वर्ष 1940 के बाद आम लोगों का इतिहास है। तारानंद वियोगी ने कहा कि मठ के इतिहास में हरिदास कहते हैं कि दरभंगा महाराजा के खवास की हवेली चनौरगंज मठ बनी। उन्होंने इस रचना को एक कालजई रचना बताया। लालटेनगंज उपन्यास के लेखक सच्चिदानंद सचिव ने कहा कि लेखक कुम्हार की तरह होता है। दूसरा सत्र पुरस्कृत उपन्यास लालटेनगंज पर चर्चा के लिए केंद्रित रहा। कार्यक्रम में अशोक और प्रमुख वक्ता तारानंद वियोगी, कमलानंद झा, गौड़ीनाथ, बुद्धदेव विभाकर, राम नरेश यादव, जगदीश प्रसाद मंडल, नारायणजी, अमरनाथ झा, अजित आजाद, बिभा कुमारी, बैद्यनाथ मिश्र, रामकृष्ण परार्थी, आनंद मोहन झा, बैद्य नाथी राम, संजीत झा सरस आदि शामिल हुए।

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