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आवास व शौचालय योजना में गड़बड़ी पर भारी हंगामा

मधुबनी। नगर परिषद के बोर्ड की बैठक में आवास और शौचालय योजना में गड़बड़ी को लेकर वार्ड पार्षदों ने जमकर हंगामा किया। मुख्य पार्षद सुनैना देवी की अध्यक्षता में गुरुवार को परिषद कार्यालय में बैठक शुरू होते ही पार्षदों ने हंगामा शुरू कर दिया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Nov 2019 12:59 AM (IST)Updated: Fri, 22 Nov 2019 12:59 AM (IST)
आवास व शौचालय योजना में गड़बड़ी पर भारी हंगामा
आवास व शौचालय योजना में गड़बड़ी पर भारी हंगामा

मधुबनी। नगर परिषद के बोर्ड की बैठक में आवास और शौचालय योजना में गड़बड़ी को लेकर वार्ड पार्षदों ने जमकर हंगामा किया। मुख्य पार्षद सुनैना देवी की अध्यक्षता में गुरुवार को परिषद कार्यालय में बैठक शुरू होते ही पार्षदों ने हंगामा शुरू कर दिया। इन योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर पार्षदों ने कार्यपालक पदाधिकारी आशुतोष आनंद चौधरी पर सवालों व आरोपों की बौछार कर दी। उनका कहना था कि आवास योजना में सही लाभुकों को योजना की राशि नहीं मिल रही। वहीं जिन लोगों को नाम डीपीआर में नहीं है उन्हें राशि का भुगतान कर दिया गया। पार्षदों का कहना था कि योजना पर काम नहीं होने से वे जनता के आक्रोश का शिकार हो रहे हैं। वे लगातार सवाल उठा रहे। मगर, यहां कोई काम नहीं हो रहा है। हंगामे के बाद बैठक की कार्यवाही शुरू की गई। इसमें पांच एजेंडे को बोर्ड ने स्वीकृति दी। इसमें आवास योजना का काम सही से नहीं कर पाने के लिए सहायक अनिल कुमार झा को निलंबित करने का निर्णय लिया गया। मालूम हो कि आवास योजना को लेकर लगातार कई तरह के सवाल उठ रहे थे। यहां तक कि इस योजना की फाइल आलमीरे में बंद कर उसकी चाबी लेकर कर्मी फरार हो गए थे। उनके नहीं आने पर आलमीरे का ताला तोड़कर उसकी इंवेंट्री तैयार की गई। मगर, इसका जवाब कार्यपालक पदाधिकारी के पास भी नहीं था कि इस आलमीरे की चाबी किसके पास थी। कारण, यहां सभी प्रभार मौखिक ही दिए गए थे।

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15 दिसंबर तक शुरू की जाएगी भुगतान की प्रक्रिया :

पार्षदों के आक्रोश को देखते हुए निर्णय लिया गया कि पूरी तरह इंवेंट्री तैयार कर 15 दिसंबर तक आवास योजना के भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। वहीं जिन्हें राशि दे दी गई उनका नाम डीपीआर में शामिल करने पर भी विचार करने का निर्णय लिया गया। आवास येाजना का मामला उठाने वालों में पार्षद खालिद अनवर, धर्मवीर प्रसाद, कैलास साह, रजा इश्तेयाक, जामुन सहनी आदि शामिल थे।

नल-जल योजना की स्थिति पर भी चिता :

नगर परिषद में नल-जल योजना की स्थिति पर पार्षदों ने चिता जताई। पार्षद यह जानना चाहते थे कि आखिर योजना का प्राक्कलन क्यों नहीं तैयार किया जा रहा। बताया गया कि कनीय अभियंता रवि रंजन कुमार ने अपडेट रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं किया। इस कारण इसका टेंडर नहीं निकाला जा सका। इसे देखते हुए प्राक्कलन तैयार करने की जिम्मेदारी कनीय अभियंता ज्योतिश्वर शिवम को दी गई। इसके बाद टेंडर की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इस योजना की विस्तृत समीक्षा अगले माह की बैठक में किए जाने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा साहित्यकार भोला लाल दास की प्रतिमा वार्ड नंबर चार में विवेकानंद कॉलोनी में पेट्रोल पंप के पास लगाने का निर्णय लिया गया। आलमीरे के बाहर रखी फाइल पर काम क्यों नहीं हुआ आज पार्षदों के निशाने पर कार्यपालक पदाधिकारी रहे। आवास योजना की धीमी गति को लेकर जब पदाधिकारी ने बताया कि इसकी फाइल आलमीरे में बंद थी। इस पर पार्षदों का कहना था कि आलमीरे के बाहर रखी फाइल पर क्यों काम नहीं किया गया। यहां पूरी तरह काम के प्रति लापरवाही बरती गई। कई पार्षद योजना की जांच की बात भी करते रहे। बिना भौतिक सत्यापन रिपोर्ट के दे दी गई आवास योजना की राशि आवास योजना की कई फाइलों में यह बात सामने आ रही कि लाभुकों के भौतिक सत्यापन की रिपोर्ट फाइनल भी नहीं हुआ और उन्हें पहली किस्त की राशि दे दी गई। इंवेंट्री तैयार की गई फाइल में यह सामने आया कि ऐसे कई लाभुक के बारे में रिपोर्ट फाइनल भी नहीं हुई थी। मसलन, उसके पास जमीन है या नहीं। पहले से मकान है या नहीं। एसईसीसी सूची में नाम है या नहीं। मगर, उन्हें योजना की राशि भी दे दी गई।

फरार कर्मियों पर प्राथमिकी क्यों नहीं : योजना की फाइल आलमीरे से निकालने के लिए इंवेंट्री तैयार तो कराई गई। मगर, नगर परिषद प्रशासन दोषी कर्मियों को ही बचाने में लगा रहा। एक तो यहां के पदाधिकारी से लेकर किसी कर्मी को यह पता नहीं था की जिस अलमीरा में कागजात रखे थे वह नगर परिषद का है भी या नहीं। क्योंकि यहां के अभिलेख में इसका कोई उल्लेख नहीं है। यहां तक कि भंडारपाल भी इसके बारे में अनभिज्ञ थे। वहीं यह भी बताया गया कि योजना की फाइल मौखिक रूप से एक कर्मी पवन कुमार को दे दी गई थी। एक साथ इतने घालमेल के कारण यह बता पाना मुश्किल है कि नगर परिषद कार्यालय में कौन सा काम सही हो रहा है। यहां अराजकता की स्थिति है। लिखित में कोई काम नहीं होने से बाद में उन कर्मचारियों को बचाव का मौका मिल जाता है जो दोषी हैं।


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