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11 वर्षों में भी नहीं हो सका नियमित उत्पादन

2008 के दिसंबर माह का क्षण झंझारपुरवासियों के लिए सुखद था।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Mar 2019 10:07 PM (IST)Updated: Sun, 24 Mar 2019 10:07 PM (IST)
11 वर्षों में भी नहीं हो सका नियमित उत्पादन
11 वर्षों में भी नहीं हो सका नियमित उत्पादन

मधुबनी। 2008 के दिसंबर माह का क्षण झंझारपुरवासियों के लिए सुखद था। इस इलाके के गरीब व अमीर के लिए पौष्टिकता से भरपूर मखाना प्रोसेसिग यूनिट का उद्घाटन तत्कालीन सहकारिता मंत्री द्वारा किया गया था। किसानों से लेकर आम लोगों को 32 लाख की लागत से बनने वाली मखाना प्रोसेसिग यूनिट के खुलने से रोजगार के नए अवसर सृजन होने का काल्पनिक पंख लोगों को लग गया था। लेकिन, अपने उद्घाटन के 11 वर्षों के बाद ही इसे ग्रहण लग गया। मखाना प्रोसेसिग यूनिट में उत्पादन ठप्प हो गया और मशीनों को जंग खाने लगी। किसान का सपना सपना ही रह गया। अब इसे चालू कराने की रणनीति पर राजनीति होने लगी। लोकसभा चुनाव गुजरा हो या विधानसभा चुनाव, हर चुनाव में इसे चालू कराने की मांग आम जनता द्वारा उम्मीदवारों से की जाती रही है। आश्वासन भी मिलते रहे हैं। लेकिन जीतकर जाने वाले चाहे वे सांसद हों या विधायक किसी ने सदन में इस आवाज को बुलंद नहीं किया। यहां यह बता दें कि यह मखाना प्रोसेसिग यूनिट नगर पंचायत के व्यापार मंडल की जमीन पर बनाया गया था। मिथिलांचल में मखाना की जितनी पैदावार होती है उसमें भी आधे से अधिक पैदावार मधुबनी जिला में होती है। सांसद एवं विधायकों का कार्यकाल बीतता गया। लेकिन पांच वर्षों में इसकी किसी ने सुध नहीं ली। आज भी यहां के किसान परंपरागत तरीके से मखाने की प्रोसेसिग कर रहे हैं। लेकिन मखाना के विभिन्न उत्पाद नहीं बना रहे हैं। जब यहां यह यूनिट चालू था तो मखाना के चिप्स, मखाना का बारीक कण खीर बनाने के लिए तथा अन्य उत्पाद विभिन्न पैक में मार्केट में झंझारपुर की शान बढ़ा रहा था जो आज लुप्त है। इस बार आम लोग मन बनाए हुए हैं कि आने वाले उम्मीदवार को इस सवाल से भी रूबरू कराएंगे। यहीं नहीं यह केंद्र गैसीफायर से चलना था। धान की भूसी से चलने वाले इस गैसी फायर से मखाना प्रोसेसिग यूनिट चलाने के बाद बचत होने वाली बिजली आसपास के गांवों में देने का था। जो भी पूरी तरह ठप है।

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