कमला नदी की बदलती धारा से दहशत
तेज वर्षा और कमला बलान नदी कि बदलती धारा से भदुआर सहित दर्•ानो गांव के लोग आशंकित है। वर्षा शुरू होते ही लोगों का दिल कांपने लगता है।
मधुबनी। तेज वर्षा और कमला बलान नदी कि बदलती धारा से भदुआर सहित दर्•ानो गांव के लोग आशंकित है। वर्षा शुरू होते ही लोगों का दिल कांपने लगता है। उन्हें याद आने लगता है साल 2002 व 2004 की प्रलयंकारी उस बाढ़ की जिसने कमला तटबंध तोड़ कर पूरी बस्ती को तिनके की तरह अपने साथ बहा ले गया था। पानी के सैलाब ने पलक झपकते ही 62 घरों को अपने आगोश में समेट लिया था। हर साल बारिश के मौसम में तटबंध से रिसाव होने लगा लगता है और लोग घर द्वार छोड़ छोटे छोटे बच्चे, पशु, बृद्ध और बीमार को लेकर ऊंचे जगह पर शरण लेने को मजबूर हो जाते हैं।
तटबंध निगरानी विभाग हरना ढाला से लेकर गंधराईन ढाला के बीच तटबंध की मजबूती पर ध्यान नहीं दिया गया है। तटवंध पर पक्की सड़क भी है। यातायात और सड़क वाहनों का भारी दवाव इस पर रहता है। अंधराठाढ़ी झंझारपुर भाया भदुआर एक बहुत चालू और लोकप्रिय रास्ता है। तटवंध के चौड़ीकरण और उंचीकरण में बाहर की मिट्टी नहीं लगी है। इसमें कई जगहों पर रेन कट बन गया है। लगातार हो रही बारिश और नदी की धारा मुड़ने से खतरा बढ़ा है। कमला बलान की धारा पहले पश्चिम तटवंध के करीब थी। अब पूर्वी तटवंध समीप है। भदुआर में तो धारा तटबंध से कुछ ही दूरी पर है। अगर मानसून के दौरान तटवंध पर पानी का विशेष दवाब आया तो एकबार फिर कमला नदी कहर बनकर भदुआर सहित दर्•ानो गांव पर टूट पड़ेगी। सबसे ज्यादा क्षति भदुआर गांव वालों को उठानी पड़ती है। तटबंध के टुटने से भदुआर गांव के लोग तो बर्बादी का दंश दो दो बार झेल चुके है।
गौरतलब है वर्ष 2004 में 9 जुलाई की रात कमला बालान के कहर 62 घरों को पलक झपकतें लील गई थी। इस घरों की जगह बना तालाब आज भी उसी प्रकार है। भदुआर के महावीर महतो के 9 कमरों का नया भवन हो अथवा रामेश्वर महतो क 5 भाई का भव्य मकान हो या 15 परिवार वाला ठाकुर टोला। सभी फुस के घरों के साथ ही पानी में विलीन हो गये। भदुआर के 42 परिवार एवं हरना के 20 परिवारों की सुची बनाई गयी थी। इनको सरकार द्वारा फिर से बसाने का आश्वासन दिया गया जो 14 साल बाद भी छलावा ही साबित हुआ है। क्या कहते ग्रामीण .
समाजकर्मी विकाउ महतो, हरेराम महतो, जिबछ प्रसाद भारती, सीताराम महतो, महावीर महतो, श्रीराम महतो, नारायण दास, राम प्रसाद महतो आदि लोगों ने कहा कि तटबंध के पश्चिमी भाग में पत्थर व ईंट से पाटिशन वाल देनी चाहिए और एक दो जगह पर डैम का भी निर्माण होना चाहिए। जिससे तटबंध पर हो रहे खतरे को कम किया जा सके। फिलहाल लोग भय और आशंकाओं के बीच रतजगा करने को मजबूर हैं।