यातायात नियमों की अनदेखी, बसों की छत पर बैठते यात्री
मधुबनी। यातायात नियमों की अनदेखी से अनफिट व बीमार वाहन के परिचालन और बसों के छत पर यात्रियों को बिठाने पर रोक के प्रति विभागीय कार्रवाई नाममात्र होने की सूरत में बीमार व जुगाड़ वाहनों की परिचालन देखी जाती है।
मधुबनी। यातायात नियमों की अनदेखी से अनफिट व बीमार वाहन के परिचालन और बसों के छत पर यात्रियों को बिठाने पर रोक के प्रति विभागीय कार्रवाई नाममात्र होने की सूरत में बीमार व जुगाड़ वाहनों की परिचालन देखी जाती है। वहीं वाहनों के कानफोड़ू हॉर्न व इंजन की गड़बडिय़ों के कारण साइलेंसर से निकलने वाले काले धुआं से प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है। बीमार वाहनों का परिचालन दुर्घटना के साथ पर्यावरण संकट को भी बढ़ावा दे रहा है। प्रावधान के अनुसार वाहनों के लिए नन पॉल्यूशन केंद्र से प्रमाण पत्र लेना आवश्यक होता है। विभागीय स्तर पर नन पॉल्यूशन प्रमाण पत्र व फिटनेस के बाद भी ड्राइवरिग लाइसेंस निर्गत किया जाता है। नन पॉल्यूशन प्रमाण पत्र की अवधि पूरा होने के बाद इसका नवीकरण नहीं कराने वाले वाहनों पर कार्रवाई का प्रावधान है। वाहनों के फिटनेस की अनदेखी शहर सहित जिले में सघन चेकिग अभियान जारी रहने से विभाग को राजस्व की आमदनी बढ़ रही है। भाड़े के वाहनों में बस सहित अन्य वाहनों पर समुचित कार्रवाई में कोताही की शिकायत सामने आते रहे है। शहर के निजी बस पड़ाव से खुलने वाले बसों की फिटनेस की अनदेखी की जा रही है। जिला परिवहन पदाधिकारी सुशील कुमार ने बताया कि मोटर वाहन अधिनियम के विभिन्न धाराओं के तहत यातायात नियंत्रण के दिशा में विभाग पूरी तरह सजग है। बीमार वाहनों के परिचालन पर रोक के लिए विभागीय स्तर पर समुचित कार्रवाई की जाती है। इस दिशा में सघन चेकिग अभियान भी चलाया जा रहा है। धुआं उगलने वाले वाहनों के कारण प्रदूषण से बीमार हो रहे लोग वाहनों से निकलने वाली धुआं के कारण आंखों से पानी गिरने की शिकायत बढ़ती जा रही है। वाहनों के तेज आवाज से सिर में दर्द भी होने लगता है। वहीं धूल व धुआं के कारण त्वचा में खुजलाहट की शिकायत आम हो गई है। धुआं उगलने वाले वाहनों के कारण शहरी क्षेत्र में प्रदूषण का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। लोगों का चैन छीन रखा है। चिकित्सक अरविन्द झा ने बताया कि वायु प्रदूषण से बीमार व बुजुर्ग लोगों की परेशानी बढ़ने लगी है। छोटे-छोटे बच्चे भी वायु प्रदूषण से प्रभावित हो रहे हैं। धूल से सांस संबंधी, आंखों व एलर्जी की समस्या उत्पन्न होती है। इससे बचाव के लिए मास्क का प्रयोग करना चाहिए। डस्ट व जहरीला धुआं से कैंसर रोग की आशंका बनी रहती है।