जूड़शीतल पर पारंपरिक खेल में लोगों ने लिया हिस्सा
सालों पुरानी अंधविश्वास का खेल आज भी जूड़शीतल पर खेला जाता है। कई बार इस खेल में लोगों की मौत भी हो चुकी है।
मधुबनी। सालों पुरानी अंधविश्वास का खेल आज भी जूड़शीतल पर खेला जाता है। कई बार इस खेल में लोगों की मौत भी हो चुकी है। आस पास के व्योवृद्ध कहते हैं कि शिविपट्टी, बहरवन, नजीरपुर, बेलाही के बीच रौवाहि बाध में यह खेल 100 वर्ष से खेला जाता है। मान्यता के अनुसार बसिया भात खाकर जुड़शीतल के खेल में पत्थर खाने से आदमी एक साल तक निरोग रहता है। पूर्व में यह खेल एक महीना पहले आरंभ होता जाता था लेकिन धीरे- धीरे यह बंद हो गया। इस खेल में हिन्दू समाज के अलावे मुस्लिम समुदाय के लोग भी दोनों ओर से इस खेल में भाग लेते है। सैकड़ो वर्ष पुरानी इस खेल में अभी तक कोई दंगा नही हुआ है जबकि दो की मौत होने के बाबजूद किसी स्तर पर अभी तक थाना पुलिस में मुकदमा नही हो सका। मधेपुर पंचायत के मुखिया अजय कुमार झा कहते है कि इस खेल में दोनों तरफ से सभी समुदाय के लोग एक दूसरे पर रोड़े बाजी इस्तेमाल करते आये है। इस खेल की सबसे विशेषता यह है कि सूर्यास्त के बाद दोनों तरफ के लोग अपने आप घुल मिल जाते है सब एक दूसरे के साथ नाश्ता, पानी भी करते है। इस खेल में बेलाही, बहरबन, नजीरपुर, डोकहर, लोहा, मधेपुर सहित बेनीपट्टी तक के सभी समुदाय तथा दसरी तरफ सिबिपट्टी, बेलहवार, अनडीपट्टी, रसीदपुर, परिहारपुर, मधुबनी टोल सहित राजनगर तक के सभी समुदाय के लोग मौजूद रहते है ।