पंचायत सचिवों के वेतनादि मद में प्रखंडों को मिले 2.94 करोड़
जिले के विभिन्न प्रखंडों में पदस्थापित प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारियों पंचायत सचिवों तथा प्रमुखों के आदेशपालों संविदा पर नियुक्त पंचायत सचिवों एवं अनुसवकों के वेतनादि व मानदेय मद में 02 करोड़ 93 लाख 87 हजार रुपये आवंटित किया गया है।
मधुबनी। जिले के विभिन्न प्रखंडों में पदस्थापित प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारियों, पंचायत सचिवों तथा प्रमुखों के आदेशपालों, संविदा पर नियुक्त पंचायत सचिवों एवं अनुसवकों के वेतनादि व मानदेय मद में 02 करोड़ 93 लाख 87 हजार रुपये आवंटित किया गया है। यह आवंटन जिले के सभी 21 प्रखंडों के बीडीओ को जिला पंचायत राज पदाधिकारी द्वारा दिया गया है। विभिन्न प्रखंडों को आवंटित की गई उक्त राशि में संविदा आधारित पंचायत सचिवों व अनुसेवकों के मानदेय भुगतान हेतु 79 लाख रुपये शामिल हैं। यहां उल्लेखनीय है कि उक्त मद में चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 में अब तक प्रखंडों को तीन बार राशि आवंटित की गई है। चालू वित्तीय वर्ष में बीते 09 जुलाई 2018 को 7.05 करोड़ रुपये तथा 15 जनवरी 2019 को दो करोड़ रुपये आवंटित किया गया था। इस प्रकार चालू वित्तीय वर्ष में अब तक जिले के विभिन्न प्रखंडों में पदस्थापित प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारियों, पंचायत सचिवों तथा प्रमुखों के आदेशपालों एवं संविदा आधारित पंचायत सचिवों के वेतनादि मद में विभिन्न प्रखंडों को 11 करोड़ 98 लाख 87 हजार रुपये आवंटित किया जा चुका है। हालांकि कलुआही, बिस्फी, अंधराठाढ़ी, मधेपुर, फुलपरास, खुटौना एवं लौकही के बीडीओ द्वारा उक्त मद में आवंटन की मांग नहीं किए जाने के कारण तृतीय किस्त के तहत आवंटन नहीं दिया गया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जिले में पंचायत सचिवों का कुल स्वीकृत पद 398 है। जबकि जिले में ग्राम पंचायतों की संख्या-399 है। हालांकि स्वीकृत पद के विरूद्ध करीब 185 पंचायत सचिव ही जिले में पदस्थापित हैं। इसके अलावा करीब दस पंचायत सचिव संविदा आधारित भी कार्यरत है। गौरतलब है कि पंचायत सचिव के वेतनादि मद में प्रखंडों को आवंटित राशि में वेतन, जीवन यापन भत्ता, परिवहन भत्ता, चिकित्सा भत्ता मद की राशि शामिल है।
जिला पंचायत राज पदाधिकारी ने जिले के विभिन्न प्रखंडों के बीडीओ को निर्देश दिया है कि उक्त आवंटित राशि से उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में यदि किसी प्रकार के बकाए वेतन, सेवानिवृत कर्मी के बकाए वेतन आदि का नियमत: भुगतान किया जाना आवश्यक हो तो उसका भुगतान भी किया जाए। इसके बाद अवशेष राशि से नियमित वेतन का भुगतान किया जाए। इसके बाद भी राशि अवशेष रहती है तो नियमानुसार बकाया वेतन की निकासी की जा सकती है। उक्त राशि की निकासी हेतु बीडीओ को निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी का अधिकार दिया गया है।