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जल स्त्रोतों के जीर्णोद्धार से ही जल संकट पर काबू

मधुबनी। जल संरक्षण के लिए प्राचीन जल स्त्रोतों का जीर्णोद्धार के साथ उसकी नियमित रूप से देखभाल पर अम

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jun 2018 04:55 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jun 2018 04:55 PM (IST)
जल स्त्रोतों के जीर्णोद्धार से ही जल संकट पर काबू
जल स्त्रोतों के जीर्णोद्धार से ही जल संकट पर काबू

मधुबनी। जल संरक्षण के लिए प्राचीन जल स्त्रोतों का जीर्णोद्धार के साथ उसकी नियमित रूप से देखभाल पर अमल किया जाए तो निश्चित रूप से गर्मी के दिनों में जल संकट की समस्या पर हद तक काबू पाया जा सकता है। इससे जल की बर्बादी भी रुकेगी। जल संरक्षण के लिए वर्षा जल का संचय हेतु बड़ी संख्या में पारंपरिक जल स्त्रोतों में कुओं व तालाबों को जीवित करना होगा। प्राचीन काल में पेयजल सहित अन्य कार्यों हेतु जल के लिए कुआं ही मुख्य साधन माना जाता रहा है। वहीं तालाबों को प्रमुखता दी जाती थी। समय के साथ जल स्त्रोतों की उपेक्षा और अतिक्रमण से इसके अस्तित्व खतरे में होने से जल संकट की समस्या बढ़ती चली जा रही हैं। मधुबनी नगर परिषद क्षेत्र के दो दर्जन से अधिक सरकारी कुआं पूरी तरह अतिक्रमण कर लिया गया। कई कुएं कूड़ा-करकट से भरे पड़े नजर आते हैं। इसके बेशकीमती भूखंडों का अतिक्रमित निर्माण कार्य करा लिया गया है। कुओं को मुक्त कराकर फिर से इसे जीवित कर वर्षा जल का संचय के दिशा में कामयाबी हासिल किया जा सकता है। तालाब ¨भडा का चल रहा साफ-सफाई कार्य नगर परिषद तालाब का सौंदर्यीकरण कार्य तेजी से चलाया जाएगा। फव्वारा सिस्टम लगाए गए इस तालाब के सौंदर्यीकरण की योजना बनायी गई है। इसकी जानकारी देते हुए नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी जटाशंकर झा ने बताया कि तालाब ¨भडा की साफ-सफाई कार्य निरंतर चल रहा है। तालाब के चहुंओर शहर वासियों को बैठने के लिए ब्रेंच का निर्माण के अलावा स्ट्रीट लाइट लगाई जाएगी। आकर्षक घाट का निर्माण कराया जाएगा। तालाब के चहुंओर पौधरोपण कार्य कराया जाएगा। श्री झा ने शहर बताया कि नगर परिषद तालाब का सौंदर्यीकरण

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कार्य से इसका कायाकल्प होता नजर आ रहा है। कारगर हो रहा जल जागृति अभियान

जल संरक्षण के प्रति जागरुकता के दिशा में जल जागृति अभियान काफी कारगर हो रहा है। जल संकट से निजात के दिशा में तालाबों का जीर्णोंद्धार जरूर होना चाहिए। तालाबों को जीवित करने का प्रयास शासन-प्रशासन की सहयोग के बगैर यह संभव नही हो पा रहा हैं। तालाबों के जीर्णोद्धार के दिशा में आवश्यक पहल शुरू किया जाना चाहिए। जिले में तालाबों की संख्या 10 हजार 735 है। इसमें से अधिकांश तालाब मछली, मखाना उत्पादन के लिए जिले भर के मत्स्यजीवी सहयोग समिति को दिया गया है। तालाबों के जीर्णोद्धार नहीं होने के कारण पांच हजार से अधिक तालाब जलकुंभी से भड़ा पटा है। ऐसे तालाबों में मछली पालन या मखाना उत्पादन कार्य भी मुश्किल भरा होता है। इस तरह के तालाब के कई हिस्सा अतिक्रमणकारियों के कब्जे में चला गया है। परंपरागत जलस्त्रोतों को बचाना निहायत जरूरी है। किसी भी तालाब के निकट खुले में गंदगी फेंकने से परहेज करना चाहिए। तालाबों के निकट मृत पशुओं को फेंकना कानून अपराध की श्रेणी में आता है। किसी तालाब के निकट मृत पशु फेंकने बालों पर कार्रवाई की जाएगी।

- जटाशंकर झा जल जागृति अभियान लोगों को तालाबों की स्थिति के प्रति जागरुक कर दिया है। अनेक तालाबों के सौंदर्यीकरण का रास्ता आसान हो गया है। स्थानीय लोगों को तालाब की स्थिति में सुधार का प्रयास शुरू कर देना चाहिए।

- सुजनकांत ठाकुर सूर्योपासना का लोक पर्व छठ के अलावा अन्य अनुष्ठानों के लिए तालाब की अहमियत रही है। सालों भर लोगों का स्नान, ¨सचाई सुविधा मुहैया कराने वाले तालाबों को सूखने से लोगों के समक्ष विकट समस्या उत्पन्न हो रहा है।

- अमित ¨सह तालाब की धार्मिक महत्ता रही है। मुंडन सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठान के लिए तालाबों का होना निहायत जरूरी माना गया है। तालाबों के संरक्षण में सहयोग जरुरी है। तालाबों को सूखने से लोगों का जीवन सूखने लगा है।

- बिमल झा


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