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नीतीश सरकार में भ्रष्ट पदाधिकारियों की खैर नहीं

मधुबनी। नीतीश सरकार में भ्रष्ट अफसरों एवं कर्मियों की खैर नहीं है। भ्रष्टाचारी चाहे कितने बड़े पद पर क्यों नहीं हों चाहे कितने बड़े सफेदपोश ही क्यों न हो लेकिन नीतीश सरकार के कानून के राज में कानून की गिरफ्त से बच नहीं सकता है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Jul 2019 10:30 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jul 2019 10:30 PM (IST)
नीतीश सरकार में भ्रष्ट पदाधिकारियों की खैर नहीं
नीतीश सरकार में भ्रष्ट पदाधिकारियों की खैर नहीं

मधुबनी। नीतीश सरकार में भ्रष्ट अफसरों एवं कर्मियों की खैर नहीं है। भ्रष्टाचारी चाहे कितने बड़े पद पर क्यों नहीं हों, चाहे कितने बड़े सफेदपोश ही क्यों न हो लेकिन नीतीश सरकार के कानून के राज में कानून की गिरफ्त से बच नहीं सकता है। देर-सवेर भ्रष्टाचारी का जेल की हवा खानी ही होगी। इसका ताजा उदाहरण वेतन विपत्र में फर्जीवाड़ा कर मधवापुर प्रखंड के फर्जी प्रखंड शिक्षकों एवं पंचायत शिक्षकों का वेतन भुगतान करने में संलिप्त रहे डीपीओ-स्थापना राजेश कुमार सिन्हा का गिरफ्तार होना है। उक्त बातें जिला जदयू महासचिव फुलदेव यादव व जिला पार्षद सह जिला पंचायत राज प्रकोष्ठ की जिलाध्यक्ष विक्रमशीला देवी ने कही। उक्त नेताद्वय ने कहा कि नीतीश सरकार के कानून के राज में कोई भी भ्रष्टाचारी कानून के शिकंजे से बच नहीं सकता है। डीपीओ-स्थापना की गिरफ्तारी ने भी साबित कर दिया है कि सूबे में कानून का राज कायम है। उन्होंने कहा कि उक्त रैकेट में संलिप्त कोई भी व्यक्ति बचने वाला नहीं है। उक्त रैकेट में शामिल सभी को गिरफ्तार होकर जेल जाना ही होगा। वहीं डीवाईएफआई के राज्य सचिव मंडल सदस्य राजेश कुमार मिश्र ने कहा कि मधवापुर प्रखंड में 39 फर्जी शिक्षकों को फर्जी तरीके से वेतन भुगतान मामले में डीपीओ-स्थापना को गिरफ्तार होकर जेल जाने से यह साबित हो गया है कि जिले में शिक्षक नियोजन में बड़े पैमाने पर फर्जीबाड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि केवल मधवापुर ही नहीं बल्कि पंडौल, हरलाखी, बासोपट्टी, लौकही, पुलपरास, घोघरडीहा समेत कई अन्य प्रखंडों में भी कथिततौर पर 1,300 फर्जी शिक्षकों को वेतन भुगतान लगातार जारी है। उन्होंने कहा कि शिक्षक नियोजन में बड़े पैमाने पर की गई धांधली की जांच पुलिस से संभव नहीं है, इसकी हरहाल में निगरानी से व्यापक जांच कराया जाना चाहिए। लेकिन सरकार की उदासीनता में विभागीय पदाधिकारियों के संलिप्त रहने के कारण बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा की जांच नहीं कराई जा रही है। अगर व्यापक जांच हो तो कई और अधिकारी व कर्मी के साथ-साथ सफेदपोश को भी जेल की हवा खानी पड़ेगी।

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