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कर्मठता से काम करने की दी प्रेरणा

के प्रति निरंतर प्रयास करते रहे। वे लोगों को शुचिता शिष्टाचार के प्रति जागरूक करते रहे। उनके बताए मार्ग पर आज भी धार्मिक अनुष्ठानों के आयोजन में लगे रहते हैं। उनके सुकर्मों त्याग तपस्या और मानवता की रक्षा के प्रयास को याद रखते हुए उनके प्रति तर्पण समर्पित करता हूं। तर्पण जैसे अनुष्ठान के दिनों में उन्हें तनमयता के साथ याद कर अपने निकट पाने का अनुभव करता हूं। उनके बताए मार्गों पर चलने का संकल्प लेता हूं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Sep 2019 10:35 PM (IST)Updated: Sun, 22 Sep 2019 10:35 PM (IST)
कर्मठता से काम करने की दी प्रेरणा
कर्मठता से काम करने की दी प्रेरणा

पिता स्व. उमाकांत झा का मार्गदर्शन हमारे साथ है। उनके मार्गदर्शन पर चलकर बेहतर तरीके से जीवन-यापन में कर रहा हूं। वे सदा कोई भी काम कर्मठता व इमानदारी से करने को कहते थे। कर्मठता ही उनकी पहचान थी। वे सदैव मर्यादा एवं सर्वव्यापी गरिमा के रास्ते चलने को प्रेरित किया। पिता ने परिवार के सदस्यों को अनुकरणीय आचरण की सीख दी। पिता की कमी तो खलती रहती है। लेकिन, उनका साथ होना अनुभव करता हूं। तर्पण जैसे अनुष्ठान के दिनों में उन्हें याद कर अपने निकट पाता हूं।

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- संजय झा, समाजसेवी

संपूर्ण जीवन समाज सेवा के लिए रहा समर्पित

पिता स्व. देवेंद्र झा संपूर्ण जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित रहा है। उनकी नैतिकता के बताए मार्ग पर चलकर निरंतर तरक्की की ओर बढ़ता रहा हूं। मानव सेवा को ईश्वर की सेवा मानते हुए वे सदैव जरूरतमंदों की सेवा करते हुए परिजनों को भी इसके लिए प्रेरित करते रहे। उनके द्वारा किए गए शुभ कार्यों के बल पर खुशहाल जीवन गुजार रहा हूं। उनके अरमानों को पूरा करने की चाहत रखता हूं। पूर्वजों का मान-सम्मान को अक्षुण्ण रखने से कभी भी पीछे नहीं हटूंगा। तर्पण के माध्यम से उनकी आत्मा के प्रति प्रणाम निवेदित करता हूं।

- शंभू झा, समाजसेवी

पिता ने जगाई समाज सेवा की प्रेरणा

पिता स्व. संत्तेलाल चौधरी सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सदैव उपेक्षितों, पीड़ितों की सहायता में आगे रहते थे। सामाजिक कायरे को आगे बढ़ाने के प्रति उनके मनोबल का ही परिणाम है कि मैं भी सामाजिक व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में लगा रहता हूं। जरूरतमंदों को सेवा कर पिता के बताए मार्ग पर चल रहा हूं। पिता कहा करते थे कि समाज सेवा से बढ़कर कोई सेवा नही। पिता का प्यार और आशीर्वाद से कामयाबी के मुकाम पर पहुंचा हूं। उनका आशीर्वाद आज भी प्राप्त हो रहा है। मै पितृपक्ष में अपने पिता को नमन करता हूं।

- राजू चौधरी, व्यवसायी

शिक्षा के विकास को थे समर्पित

शिक्षक रहे पिता स्व. कामेश्वर चौधरी सदा शिक्षा के प्रति प्रतिबद्ध रहते हुए परिवार से लेकर समाज में शिक्षा की लौ जलाते रहे। आर्थिक रूप से कमजोर मेधावी छात्रों को वे सदा प्रोत्साहन दिया करते थे। उनके आशीर्वाद स्वरूप परिवार में शिक्षा के सहारे बेहतर प्रतिष्ठा के साथ जीवन-यापन कर रहे हैं। उनका समाज कल्याण के प्रति समर्पण कार्यों को बढ़ावा देने में आगे बढ़ता रहा हूं। उनके सुकर्मों, त्याग, तपस्या और मानवता की रक्षा करने की अथक प्रयास को याद रखते हुए उनके प्रति तर्पण अनुष्ठान समर्पित करता हूं।

- संजीव कुमार चौधरी, समाजसेवी

धर्माचरण करने के प्रति रहे जागरूक

धार्मिक आचरण के प्रति समर्पित पिता स्व. दरबारी राउत लोगों मे धर्म का आचरण करने के प्रति निरंतर प्रयास करते रहे। वे लोगों को शुचिता, शिष्टाचार के प्रति जागरूक करते रहे। उनके बताए मार्ग पर आज भी धार्मिक अनुष्ठानों के आयोजन में लगे रहते हैं। उनके सुकर्मों, त्याग, तपस्या और मानवता की रक्षा के प्रयास को याद रखते हुए उनके प्रति तर्पण समर्पित करता हूं। तर्पण जैसे अनुष्ठान के दिनों में उन्हें तन्मयता के साथ याद कर अपने निकट पाने का अनुभव करता हूं। उनके बताए मार्गों पर चलने का संकल्प लेता हूं।

- लक्ष्मण राउत, पूर्व मुखिया


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